“धर्म” भारत की “आत्मा” है.
– स्वामी विवेकानंद
आतिश तासीर जी, अल जज़ीरा पर आपका कार्यक्रम देखा “In search of India’s soul“.
ये शीर्षक देखते ही मार्टिन लूथर किंग जूनियर का एक कथन याद आ गया. उन्होंने कहा था- “To other countries, I may go as a tourist, but to India, I come as a pilgrim.”
एक मिनट देखकर समझ आ गया कि आपने ये फिल्म भारत की आत्मा ढूंढने के लिए नहीं अपितु किसी निहित उद्देश्य से बनायी है. आपने पहले ही मिनट में बताया यहाँ मुसलमानों पर हिन्दू कट्टरपंथियों द्वारा बहुत अत्याचार हो रहे हैं. आपको बता दूं भारत मुसलमानों की जनसँख्या में विश्व में दूसरे अथवा तीसरे नंबर आता है. यहाँ मुसलमान सुकून से रह भी रहा है और बढ़ भी रहा है. जिस भारतीय जनता पार्टी को आप हिन्दू राष्ट्रवादी कह रहे हैं, उसी पार्टी ने एक मुसलमान डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को भारत का राष्ट्रपति बनाया था.
खैर, आपने गौभक्तों को बहुत ही शानदार बैकग्राउंड साउंड से साथ खलनायक के रूप में प्रस्तुत किया जो एक विशेष narrative सेट करने वाला तथा तथ्यों को छुपाने वाला है. यदि आप सच बोलते ओर आंकड़ों की कुछ जांच पड़ताल करते तो आपको पता चलता कि कम से कम २० पुलिस अधिकारी और लगभग इतने ही गोपालकों की हत्या गो तस्करों ने कर पिछले एक वर्ष में दी है. जिन दो लोगों का परिचय आपके कार्यक्रम में आपने दिया है वो दोनों ही आदतन गौ तस्कर थे. cattle trader नहीं. उन दोनों पर पहले से ही पुलिस केस चल रहे थे. जिस प्रकार भीड़ ने उनकी हत्या की वो गलत था लेकिन क्या आपको यह नहीं बताना चाहिए था कि गौ तस्करों ने कितनी हत्याएं की हैं? उनकी पृष्ठभूमि क्या है?
भारत में गाय sensitive issue नहीं, श्रद्धा का विषय है, पूजनीय है. जो बालक बचपन से जिस गौ का दूध पीता आया हैं, जिसको भोजन देता आया हैं, जिसकी माँ के सामान पूजा करता आया हैं, जब एक दम पता चले उसको मार दिया है, तो गुस्सा आना स्वाभाविक है. यहाँ के मुसलमान और हिन्दू, दोनों के लिए ही गौ श्रद्धा का विषय है. ये विचार की यह मुसलमानों और कुछ छोटी जातियों के लिए commodity है बहुत ही जहरीला ओर झूठा विचार है. भारत के लोग एक हैं, एक दूसरे का सम्मान करना जानते हैं. लेकिन यह समझने के लिए मानवीय हृदय होना आवश्यक है, जो संभवतया आपके पास नहीं. आपके लिए तो गौ ओर इंसान दोनों ही एक commodity है.
आपकी यह फिल्म देखकर लगा की आप एक घटिया पत्रकार ही नहीं एक घटिया इंसान भी हैं. यहाँ का मुसलमान बाबर और औरंगजेब का वंशज नहीं है. आम हिन्दू भी इतिहास के मतान्ध इस्लामी आक्रमणकारियों के अत्याचारों का आरोप यहाँ के मुसलमानों पर नहीं डालता है,जैसा की आपने बताया है. यहाँ का मुसलमान इसी मिट्टी की संतान है. उसने अपना मजहब बदला है, संस्कृति उसकी भी वही है, पुरखे उसके भी वही हैं. आप जैसे लोगों के कारण कुछ दूरियां बढ़ी हैं लेकिन अपनी समस्याएं हम स्वयं सुलझा लेंगे. आप जैसे लोग बांटने का काम करते हैं लेकिन आप बुरी तरह विफल होते आये हैं ओर आगे भी होंगे.
आतिश जी, हिन्दू राष्ट्र से आपको बहुत समस्या है. लेकिन आपको हिन्दू तो छोडिये राष्ट्र का अर्थ भी नहीं पता. भारत कोई nation state वाला राष्ट्र नहीं, अगर ऐसा होता आज तक इतनी भाषाएँ, इतनी भूषा, इतने मजहब लेकर हजारों सालों से एक राष्ट्र के रूप में नहीं खड़ा रह पता. विश्व में जहाँ केवल एक चीज़ अलग होने से अलग राष्ट्र खड़े हो जाते हैं, यहाँ सबकुछ अलग होने के बाद भी हजारों वर्षों से एक होकर खड़े हैं. दुनिया सीखती है इस राष्ट्र से. और इसी प्रश्न के उत्तर में भारत की आत्मा का रहस्य है.
अगर इस देश की आत्मा को समझना है, विनम्र बनिए, शिक्षार्थी की तरह श्रद्धा के साथ आइए, तभी इस राष्ट्र का ओर उसकी आत्मा का अनुभव आप कर पायेंगे, नहीं तो ऐसे ही अपना जीवन व्यर्थ समाप्त कर लेंगे.
भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर पंथ (मजहब) अपना घर पाता है.
-एनी बेसंन्ट
पुनश्च: मेरी कही “एक संस्कृति” की बात आपके समझ से बाहर है. सोचता हूँ, culture और संस्कृति का अंतर स्पष्ट करूँ पर छोडिये, भरे घड़ों में पानी नहीं भरता.