हम सब जानते हे की भारत एक बहोत प्राचीन देश हैं। भारत के इतिहास पे नज़र डाले तो हमें ४ से ८ हज़ार साल तक का इतिहास हमें देखने को मिलता हैं। विश्व के शुरुवाती सभ्यताओं में हमें हरप्पा जैसे सभ्यता का नाम मिलता हैं, सिन्धु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता थी। जो मुख्य रूप से दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में, जो आज तक उत्तर पूर्व अफगानिस्तान ,पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम और उत्तर भारत में फैली है। शोध के अनुसार यह सभ्यता कम से कम 8000 वर्ष पुरानी है। यह हड़प्पा सभ्यता और ‘सिंधु-सरस्वती सभ्यता’ के नाम से भी जानी जाती है।
उसके आलावा भारत के पास ४ हज़ार साल पुराण वेदो का अपार ज्ञान हे,जिसके सिर्फ २ प्रतिशत ज्ञान का इस्तेमाल करके पश्चिम वासियो ने अब तक के शोध किये हैं। आज जो भारत हम देखते हे वो एक विविध संस्कृतियों का मिला जुला देश हैं। जिसमे मराठी, गुजराती, पंजाबी, बंगाली, तमिल जैसी २२ अलग अलग संस्कृतिया हमें देखने को मिलते हैं।
पर आपने कभी सोचा हे क्या, की इतनी सारी संस्कृतिया बनी कैसी और बनी तो क्यों? इसका उत्तर हमें आज के मुस्लिम राष्ट्रों की तरफ देख कर मिलता हैं। उदहारण की तौर पर पाकिस्तान देख लीजिये। पाकिस्तान के मस्जितो में इस्लाम को अलग तरीके से पेश किया जाता हैं, जिसमे दारुल ऐ देवबंद करके एक अलग तरह का इस्लाम उन्होंने इजात किया हैं। उसी में ये गज़वा ऐ हिन्द, गैर मुस्लिम जैसे शब्द उन्होंने ड़ाल दिए।
इससे हमें ये पता चलता हे की अगर किसी देश में सिर्फ एक ही संस्कृति हे तो उसे बड़े आसानी से नियंत्रण किया जा सकता हैं। जैसे की अगर किसी देश का एक ही मुँह हो तो वो बड़े आसानी से दबाया जा सकता हैं, पर अगर उसके बहोत सरे मुँह हो तो उसको दबाने को बहोत मशक्कत करनी पड़ेगी।
यही कारण हे की बहुत सारी सभ्यताए आयी और चली गयी, पर हिन्दू संस्कृति अभी भी इस पृथ्वी पर कायम हैं। अगर देखा जाये तो दुनिया में जीतनी भी बर्बादी हो रही हैं, उस में सरे धर्म आते हैं सिवाय हिन्दू धर्म के। मेरे कहने का ये मतलब ये हैं की कोई भी धर्म इंसान को अलग नहीं बताता। सभी धर्म इंसानियत और शांति की बात ही करते हैं। और अगर आपको किसी भी धर्म में भेदभाव सिखाया जाता हो तो जान लीजिये की वो इंसानो का ही प्रचार प्रसार हैं।