रायपुर. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में जनादेश मिला है उससे न सिर्फ भाजपा हतप्रभ है अपितु कांग्रेस भी भरोसा नहीं कर पा रही है। इतनी बुरी हार से जहां भाजपा टूटती-बिखरती दिख रही है, चूंकि लोकसभा चुनाव थोड़ी एकजुट दिखी थी लेकिन वो नाकाफी है। दूसरी तरफ कांग्रेस में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ताजपोशी के बाद एक अलग ही तरह की ऊर्जा का संचार हुआ। साथ ही एक के बाद एक बड़े फैसलों ने भूपेश का कद बड़ा दिया है। साथ ही भूपेश ने नान घोटाला, झीरम कांड, अंतागढ़, जनसंपर्क विभाग की जांच के लिए एसआईटी पर एसआईटी बनाने का काम किया है, जिस तरह वे पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह समेत पूरे भाजपा को जांच के नाम पर जेल भेजने की धमकी दे रहे हैं उससे उनका खौफ भाजपा नेताओं में साफ देखा जा सकता है।
भाजपा ने इसे बदलापुर कहकर विरोध करने की कोशिश जरूर की लेकिन भूपेश को चुनौती देने की हिम्मत अभी तक कोई नहीं कर पाया। भूपेश लगातार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक पर खुलेआम विवादास्पद बयानबाजी कर रहे है, हाल ही में उन्होंने पीएम को मानसिक रूप से बीमार तक कह दिया था। छत्तीसगढ़ कांग्रेस तो पीएम को कायर और डरपोक कह चुकी है। इतना ही नहीं कांग्रेस के ऑफिसियल ट्वीटर से वीर सावरकर को कायर तक लिखा जा चुका है। लेकिन भाजपा में से कोई भी नेता उन्हें जवाब नहीं दे पा रहा है। जिसके कारण वे बेलगाम होकर न सिर्फ मोदी अपितु जेटली, स्मृति ईरानी तक को निशाना बना रहे हैं।
हाल के दिनों में भाजपा के मीडिया विभाग ने प्रवक्ता व भाटापारा से विधायक शिवरतन शर्मा के नाम से विज्ञप्ति जारी की थी। जिसमें भूपेश के उस बयान का जवाब दिया गया था जिसमें भूपेश ने अमेठी में प्रचार के दौरान स्मृति ईरानी को एकता कपूर के सीरियल में वापस काम करने की सलाह दी थी। इस पर पलटवार करते हुए भाजपा ने भूपेश को पोर्न सीडी बनाने वाला जमानतदार नेता कह दिया था, साथ ही सोनिया को रेस्तरां खोलने की सलाह दी थी। इस बयान के बाद कांग्रेस हमलावर हो गई। इतना ही नहीं उन्होंने शिवरतन के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करा दी।
इस मामले के बाद घबराए शिवरतन ने भाजपा मीडिया विभाग के हवाले से माफीनामा रिलीज कराया। इससे भाजपा कि जमकर किरकिरी हुई। यहां सवाल यह है कि आखिर शिवरतन शर्मा को भूपेश बघेल से इतना खौफ क्यों है। क्यों भाजपा नेता भूपेश को जवाब देने से कतरा रहे हैं। भूपेश बघेल डॉ रमन सिंह के बेटे-दामाद के नाम से ऊलजलूल बयानबाजी करते हैं, वे हर दिन रमन सिंह पर हमला करते हैं लेकिन न तो भाजपा हमलावर होती है न ही बचाव करती है। ऐसे में आमजन की मुद्दे भी विपक्ष के नाते उठाने में भाजपा असफल ही दिखती है।
कांग्रेस और भूपेश बघेल यही चाहते थे कि भाजपा नेताओं में ऐसा खौफ बनाया जाए। जिससे वे सवाल पूछने या मुद्दे उठाने से डरें। इसलिए उन्होंने सबसे पहले डॉ रमन सिंह को निशाना बनाया। उन्हें कई मुद्दों में उलझाने की कोशिश की। उनके परिवार पर कई आरोप लगाए। हालांकि अभी तक साबित कुछ नहीं हुआ लेकिन भाजपा के अन्य नेताओं व कार्यकर्तांओं में यह संदेश जरूर चला गया कि भूपेश बघेल से टकराओगे तो अच्छा नहीं होगा। भाजपा नेताओं की चुप्पी के कारण ही भूपेश बघेल बड़बोले हो गए हैं, और जो मन में आए वो बयान दे रहे हैं।
छत्तीसगढ़ भाजपा का गढ़ रहा है, 15 साल डॉ रमन सिंह मुख्यमंत्री रहे लेकिन आज हालात देखेंगे तो ऐसा लगता है जैसे भाजपा सत्ता में कभी रही ही नहीं है। भूपेश बघेल के खौफ के कारण शराबबंदी, बेरोजगारी भत्ता, किसान कर्जमाफी जैसे मुद्दे भाजपा इस लोकसभा चुनाव में उठा ही नहीं पाई। सिर्फ मोदी के नाम पर ही वोट मांगती हुई दिखी। चुनाव के नाम पर भी सिर्फ खानापूर्ति की गई। वो उत्साह और जोश न नेताओं में दिखा न ही कार्यकर्ताओं में। ऐसे में अब जनता भी सवाल पूछने लगी है कि आखिर भाजपा भूपेश बघेल से इतना घबराती क्यों है?