एक बार एक जंगल में 2 गिद्धों के बीच झगड़ा हो गया।
मुद्दा था कौन सबसे बड़ा मुर्दाखोर है, किसकी हैवानियत और गिद्धनियत सबसे ज्यादा है। दोनों काफी समय तक आपस में लड़ते रहें, धीरे धीरे वहां कुछ दूसरे गिद्ध भी जमा हो गए और उन्हें समझाने की कोशिश करने लगे पर बात न संभलती देख गिद्धों की सभा बुलायी गयी।
सभा में दोनों ने अपने अपने कारनामे बताए और अपने गिद्धनियत का सबूत दिया पर पंचों के लिए फैसला मुश्किल हो रहा था कि इनमें से किसे सबसे बड़ा और हैवान गिद्ध घोषित किया जाए। तभी गुप्तचर सन्देश देता है कि अभी अभी आर्यावर्त में एक भीषण त्रासदी हुई है और हर तरफ चीख़ पुकार मचा हुआ है। ये बात सुनते ही पंचों ने कहा कि लो आ गया मौका अपने आप को साबित करने का।
आज वहां सिर्फ तुम दोनों जाओ और सबूत लेकर आओ कि तुम दोनों में कौन सबसे बड़ा गिद्ध है, पूरा इलाका रक्त से लतपथ मृत शरीरों से भरा पड़ा है इसलिए शिकायत का कोई मौका नही मिलेगा, जाओ दोनों…
ये सुनते ही दोनों फौरन घटनास्थल की ओर निकल जाते हैं।
करीब 30 मिनट बाद ही दोनों गिद्ध सभागार वापस आते हैं, शर्म से आंखे झुकी हुई, मुंह से बोल नही फुट रहे थे.. काफी देर तक मौन धारण करने के बाद दोनों एक साथ लज्जित स्वर में कहते हैं, “हम दोनों ही अपनी हार स्वीकार करते है. आज हमारा घमण्ड चूर चूर हो गया।”
उम्मीद के विपरीत पंच बिना चौके बड़े आराम से मुस्कुराते हुए बोले- इंसानी बुद्धिजीवियों की भीड़ थी न वहां पर?
दोनों गिद्ध सिर झुका कर बिना कुछ कहे सभागार से बाहर से चले गए…