प्रिय रवीश कुमार,
आजकल सभी लोग खुला पत्र लिख रहे हैं तो सोचा मैं क्यूं पीछे रहूं। मैं आपके ज़ीरो TRP शो का दर्शक हूं, सही पढ़े, आपके गिने चुने दर्शकों में एक, जैसा आप ख़ुद ही कहते हैं। पर क्या बताऊं, मुझे आपका शो देखकर काफ़ी तकलीफ़ होती है। आप सोच रहे होंगे क्यूं, बताता हूं।
कारण है आप रोते बहुत हैं। मानते हैं आपके शो का TRP कम है तो क्या हुआ, बाद में आ जायेगा। आप दिखाते तो हैं कि आपको फ़र्क नहीं पड़ता, लेकिन पता तो चल ही जाता है। वो कहते हैं न इश्क़, मुश्क और TRP का दर्द छिपाये नहीं छिपता।
एक और बात कहना चाहता हूं। आप ख़ुद को unbiased कहते हैं, पर आप हैं नहीं। इसके लिये मैं आपके एक episode की याद दिलाता हूं, जिसमें आपने बिरयानि पर शो किया था। आपने उस एपिसोड में बिरयानि के बारे में काफ़ी कुछ बताया। यहां तक तो ठीक था, लेकिन फिर आपने बात को बीफ़ कि तरफ़ मोड़ दिया। आपके गेस्ट ने काफ़ी बातें बीफ़ पर की और बीफ़ क्यूं बैन नहीं करना चाहिये, इस पर काफ़ी ज़ोर दिया। लेकिन आपने उनसे ये नहीं पूछा की वे लोग बीरयानि में सुअर के गोस्त क्यूं नहीं मिलाते। सुअर का गोस्त सस्ता भी है और पौस्टिक भी।
अंत में मैं आपसे कहूंगा की आपको अब पत्रकारिता छोड़ देनी चाहिये क्यूंकि आप पत्रकारिता के बेसिक नियम भूल गये हैं। आपको फ़ीडबैक पसंद नहीं है। फ़ीडबैक के बिना mass communication अधूरा है। आप सोशल मीडिया से काफ़ी डरते हैं, क्यूंकि सोशल मीडिया के ज़रिये लोग आप से सवाल कर रहे हैं। अगर आप सच्चे पत्रकार होते तो आप सोशल मीडिया की आलोचना न करते। सच्चाइ ये है कि अब हमें पत्रकारों की ज़रूरत नहीं है। हम अपनी बात सरकार तक ख़ुद पहुंचा सकते हैं।
आपका ज़ीरो TRP दर्शक