अविश्वाश प्रस्ताव बुरी तरिके से असफल हो गया। सत्य की जीत हुई और धर्म विजयी हुआ। वर्ष २०१८ की भांति एक बार फिर एकजुटता का दम्भ भरने वाला विपक्ष फ्लोर टेस्ट में असफल हो गया।
प्रश्न ये है विपक्षी नेता और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओ को ही केवल दिखाई दे रहा है की "संविधान खतरे में है" पर आम जनता को तो जैसे लगता है इसमें कोई दिलचस्पी ही नहीं है या फिर वो अच्छी तरह समझती है की संविधान खतरे में नहीं बल्कि भ्रष्टो का भ्रष्टाचार खतरे में है, लुटेरों का लूट खसोट खतरे में है, माफियाओ की माफियागिरी खतरे में है, गुंडों की गुंडागर्दी, दंगाइयों के दंगे फसाद, हुड़दंगियों का हुड़दंग और दलालो की दलाली खतरे में है।
It is ironic that be it the anti-CAA protests or the farmers’ agitation, the opposition has been consigned to the footnotes of the biggest anti-government protests during Modi 2.0.
इस षड्यंत्र की शुरुआत हुई 2014 से। जब देश को अपने बापों की जागीर समझने वाले राजनीतिक घरानों और सबसे महत्वपूर्ण उन राजनीतिक घरानों पर अपनी वोट की एकता का दबाव डालने वाले तथाकथित अल्पसंख्यक समुदाय और उन अल्पसंख्यकों को राजनीति संरक्षण देने के लिये सत्ताधारी राजनीतिक घरानों को धन देने वाली विदेशी ताक़तों को एक अप्रत्याशित (unexpected) झटका लगा।
Condition of our food provider haven't improved in last 3 years. Suicide rate is still high almost everywhere. Unemployment is rising and it needs to be tackled
भारतीय राजनीति का पांचवा चरण है जातिवाद बनाम जातिवाद| इस चरण के कई सूरमा है मायावती, मुलायम, उठावले| लेकिन इस चरण के बाहुबली बनकर उभरे है नरेंद्र मोदी|