TOPIC
Liberals' problem with Hinduism
उदारवादी या हिन्दू विरोधी?
लिबरल शब्द से तो ऐसा लगता है कि ये उदारवादी प्रवृत्ति के होंगे पर ऐसा नहीं है। ये अव्वल दर्जे के पाखंडी हैं जिनका एक मात्र काम है हिन्दू धर्म के खिलाफ टिप्पणी या कार्य करना। ये हर वो चीज़ का उपहास करेंगे जो हिंदुओं की भावनाओं से जुड़ी हुई हैं।
भारत में ब्राह्मण होना (अच्छा या बुरा)
anialka -
शायद आज के भारत में ब्राह्मण होना 1930 के जर्मनी में यहूदी होने जैसा है। यहूदी जर्मनी की आबादी का एक बहुत छोटा हिस्सा थे, फिर भी जर्मनी की लगभग सभी समस्याओं के लिए दोषी ठहराया गया था।
वामपंथ: “अ” से लेकर “ज्ञ” तक
spcool96 -
चूंकि वामपंथी अराजकता का समर्थन करते हैं और उनका मानना है कि वर्तमान में जो तंत्र, जो व्यवस्था देश में है वह भ्रष्टाचार से लिप्त है और इसे उखाड़ कर फेंक देना चाहिए और नये सिरे से साम्यवादी सिध्दांतों के साथ नया तंत्र बनाना चाहिए।
Open letter to liberals
shobha -
Many of you while writing about black lives matter have juxtaposed that Muslim lives too matter. However comparing Muslim lives in India to black lives is like comparing apples and oranges.
धुर्वीकरण की राजनीति से भारत का हितोपदेश
2014 के बाद देश कई तथाकथित राष्ट्र्वादी पत्रकार मैदान में उतरे हो जिसे उस बहुसंख्यक समाज ने ये मौका दिया जो तथाकथित महा उदारवादी पत्रकारों की न्यूज के व्यूज को गलत मान कर भी थाली में सरकाई रोटी खा रहा था।
यूट्यूब और कॉमेडी के मंच से लिब्रान्डुओं और वामपंथियों का हिन्दू विरोध का नया धंधा
भारत एक ऐसा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र जहाँ हिन्दुओं के विषय तो कुछ भी कहा जा सकता है किन्तु मुसलमानों और ईसाईयों के विषय में कुछ कहना तो दूर सोचना भी अपराध है। संविधान द्वारा प्रदान की गई पूरी फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन मात्र हिन्दू धर्म और सनातन में पूज्य देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणियां करने में उपयोग में लाई जाती है।
Beginner’s guide for the Indian Liberalism exam
shivani -
It is important to remember that Indian Liberal’s love for India is not desi love. Indian Liberal loves India the way an outsider would love India.
Why Indian web series are not so Indian
Shwetank -
Most of the web series currently streaming in India are nothing but uncensored and legal porn movies.
आखिर क्या है वीर सावरकर का हिंदुत्व जिससे वामपंथी चिढ़ते हैं?
सावरकर का मानना था कि सामाजिक अनुबंध के आधार पर राष्ट्र राज्य मजबूत नहीं हो सकता है तथा राष्ट्रीय एकता स्थापित करने के लिए कोई मजबूत बंधन आवश्यक है। आज जब देश के अलग-अलग क्षेत्रों में जिहादी-वामपंथी गठजोड़ के नेतृत्त्व में अलगाववादी आवाज़े उठती हैं तो सावरकर का सामाजिक अनुबंध को लेकर दृष्टिकोण स्पष्ट समझा जा सकता है।