Wednesday, November 6, 2024
3 Articles by

@ in_amangupta

मोदी को न राम से बड़ा बताया है और न ही जय श्रीराम का उदघोष साम्प्रदायिक है

हिन्दू धर्म में तुलसीदास और सूरदास जैसे कई कवियों ने भगवान कृष्ण और राम के लिये वात्सल्य भाव का प्रयोग किया है। आज भी वैष्णव सम्प्रदाय में भगवान की वात्सल्य भाव से पूजा की जाती है तथा उन्हें परिवार के एक बालक की तरह ही देखा जाता है।

आज न सिर्फ उत्सव मानना है अपितु कार सेवकों के बलिदान को याद कर प्रपंचों से भी लड़ना है

आज न सिर्फ राम मंदिर की आधारशिला रखी जा रही है, बल्कि नए भारत निर्माण के संकल्प का वास्तविक आगाज भी हो रहा है। आज से हर राम भक्त दायित्व है कि अपने धर्म के विरुद्ध रचे जाने वाले प्रपंच और मिथ्या दुष्प्रचार का खंडन करे तथा अपने धर्म और कार सेवकों के बलिदान की शुचिता बनाए रखे।

आखिर क्या है वीर सावरकर का हिंदुत्व जिससे वामपंथी चिढ़ते हैं?

सावरकर का मानना था कि सामाजिक अनुबंध के आधार पर राष्ट्र राज्य मजबूत नहीं हो सकता है तथा राष्ट्रीय एकता स्थापित करने के लिए कोई मजबूत बंधन आवश्यक है। आज जब देश के अलग-अलग क्षेत्रों में जिहादी-वामपंथी गठजोड़ के नेतृत्त्व में अलगाववादी आवाज़े उठती हैं तो सावरकर का सामाजिक अनुबंध को लेकर दृष्टिकोण स्पष्ट समझा जा सकता है।

Latest News

Recently Popular