आक्रामकता में इतना नीचे नहीं गिरिये कि आप सावरकर पर भद्दी बातें करना शुरू कर दें। फ्री कश्मीर के बैनरों का समर्थन करना शुरू कर दें। दिल्ली के शाहिन बाग में जिन्ना वाली आजादी का समर्थन शुरू कर दें।
Current outrage is more about denying the rights to the Hindus who have been persecuted, so as to hold their "Litfest" masters in Rawalpindi in high "Spirits".
हिंदुओं के लिए बॉलीवुड में एक ही प्रिय चरित्र है और वह है विलेन। विलेन भी ऐसा-वैसा नहीं, सदैव ब्राह्मण (आर्टिकल 15, केदारनाथ, मदर इंडिया) अथवा ठाकुर/ऊंची जाति क्षत्रिय (अनगिनत फिल्में जैसे कलंक) और ब्राह्मण/ठाकुर केवल विलेन ही नहीं दिखाए जाते बल्कि विशुद्ध धार्मिक प्रतीकों के साथ दिखाए जाते हैं।
किसी ने कहा है कि फिल्में (साहित्य) समाज का दर्पण होती है। अगर यह नॉरेटिव आज सेट हो गया तो आगे आने वाली पीढ़ी हमें सिर्फ हिंदू आतंकवादी के नाम से जानेगी।
सोफे पे बैठने वाले सरस शराबी लोग कबीर सिंह का कहीं सिर्फ इसलिए तो विरोध नहीं कर रहे कि बॉलीवुड धीरे-धीरे मोदी के समर्थन में आ रहा है और शाहिद भी मोदी को पसंद करते हैं और ऐसा अर्जुन रेड्डी और कबीर सिंह के रिव्यू को देखकर भी लग सकता है।
Dear Swara Bhaskar, you say you are ashamed of being a Hindu, I, as a common Indian say, with all heavy heart, we are ashamed of calling you an Indian.
हालिया दिनों में लोकसभा चुनाव के कारन बहुत सारे लोगों ने अपना वक्तव्य व्यक्त किया जिसमे कई अभिनेता भी हैं। स्वरा भास्कर, जावेद अख्तर का कन्हैया कुमार को समर्थन करना, कमल हसन का हिन्दू आतंकवाद को लेकर नाथूराम गोडसे को आतंकवादी कहना, अनुराग कश्यप का सरकार के खिलाफ अपने विचार रखना, रणवीर शोरी का सरकार के साथ खड़े होना ऐसे कई उदाहरण हैं।
We live in a world where celebrities seem to have an unfettered right and moral authority to educate the masses on any and all aspects of politics, geopolitics, national security, military strategy, religion, social justice, feminism, foreign policy etc.