The society expects transparency, reliability, accountability and effective discharge of duties and responsibilities by the banks. Depositors of a bank put their hard-earned salaries and life savings in the banks which should by protected before lending huge loans to fraudsters masquerading as borrowers.
भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता २०१६ (IBC) की धारा ३३ और इसके पश्चात की धाराओं में "परिसमापन" अर्थात लिक्विडेशन (LIQUIDATION) से सम्बंधित प्रावधानों को सूचीबद्ध किया गया है।
बड़े बड़े विषेशज्ञों से विचार विमर्श करने के पश्चात सभी इस निष्कर्ष पहुंचे कि यदि बैंको और अन्य वित्तीय संस्थानों में Non-Performing- Assets की संख्या पर नियंत्रण कर उसे निरंतर काम किया जाये तो बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के पास पैसा आएगा और जब इनके पास पर्याप्त मात्रा में पैसा आएगा तो युवाओं और अन्य नागरिकों को आसान ब्याज पर ऋण उपलब्ध होंगे।
वर्ष २०१६ में भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता को लागु करने की आवश्यकता क्यों पड़ी, आखिर इसकी आवश्यकता क्या थी? इस लेख के प्रथम भाग में हम संक्षिप्त रूप से इस विषय पर प्रकाश डालने का प्रयास करेंगे।
PMC’s collapse is unlikely to impact financial markets or other private or public sector banks as co-operative banks have meagre dealings in money markets as they largely depend upon deposits.
आपको अधिकतम फायदा एक लाख तक ही है भले ही वहाँ पैसा इससे ज्यादा हो। लेकिन आप ज्यादा फायदा वैध तरीके से ले सकते हैं और उसके लिये आपको प्लानिंग करनी होगी,यही यहाँ उल्लेखित कर रहा हूँ ।
In the recent case of PMC bank, only accountability is discussed and would be discussed for many months to come, however, there're some other more issues too which need to be looked upon.