देश में एक नेरैटिव बना दिया गया है और बडे जोर शोर से प्रसार प्रचार किया जाता रहा है कि दीपावाली के अवसर पर पटाखों और आतिशबाजी के प्रयोग से प्रदूषण फैलता है, जिसके कारण हर साल दीपावली से पहले प्रतिबंध लगाने की होड मच जाती हैं।
भारतीय परंपरा के प्रत्येक पर्व के पीछे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक हेतु होते हैं। पांच पर्वों के समुच्च्य वाली दीपावली तो अपने आप में भारतीय जीवन मूल्यों का सम्पूर्ण ग्रन्थ है।
It is rather painful to see the illogical and shrill campaign gathering momentum against all Hindu festivals. Particularly in the case of Deepavali (or Diwali), it has taken off like a Diwali aerial shot.
To hide his failure in managing air pollution, Felhi CM Arvind Kejriwal is putting full ban on fire crackers since from so many years. That is the most easiest thing all the governments can do to show case themselves as big environmentalists.
जैसा सभी को मालूम ही है कि दशहरा फिर दीपावली त्यौहार आ रहे हैं और हम सब इन त्यौहारों पर पटाखे वगैरह फोड़ते हैं और पटाखों से निकलने वाली जहरीली गैस एक स्वस्थ आदमी तक के लिये नुकसानदायक होती है तो कोरोना संक्रमितों के लिये तो बहुत ज्यादा ही नुकसानदायक रहेगी ही।
This entire lobby who is fussing relentlessly seems to be selective on issues they want to raise voice for, in this issue they are not concerned about the environment but about their anti-Hindu agenda.
आप सभी को सचेत किया जाता है कि आने वाले कुछ दिनों में आपके फेसबुक, वाट्सैप अथवा ट्विटर पर वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे को लेकर यूएन के आंकड़े आदि देखने को मिल सकते हैं।
पटाखे सिर्फ दीपावली जैसे त्योहारों पर ही प्रदूषण क्यों फैलाते हैं? क्रिसमस या अंग्रेजी नए साल के मौके पर जलाये जाने वाले पटाखें क्या किसी और तकनीक से बनाये जाते हैं?