आरंभिक दिनो मे इस पार्टी का उद्देश्य ब्रिटेन से भारत की आजादी की लड़ाई लड़ना नहीं था। कांग्रेस का गठन देश के प्रबुद्ध लोगों को एक मंच पर साथ लाने के उद्देश्य से किया गया था ताकि देश के लोगों के लिए नीतियों के निर्माण में मदद मिल सके। क्रांतिकारीयों के गतिविधियों का पता लगाया जा सके और उनके आंदोलन को कूचला जा सके।
डोकलाम विवाद के समय, देश का एक प्रमुख राजनेता चीनी राजदूत से मिलने जाता है, रात के स्याह अंधेरों में मुलाकात होती है, और गौर कीजिये उसके बाद से ही वो राफेल डील के बेसुरे नगमे चिंघाड़ने लगता है। यहाँ सवाल ये है, कि क्यूँ इसमें आपको देशद्रोह नहीं दिखता? क्यूँ उसका हर दौरा विशेष रुप से गुप्त रखा जाता है?
राहुल गाँधी की चीनी राजदूत से मिलने से देश की जनता के मन में सवाल खड़ा हो गया है कि कहीं राहुल गाँधी भी तो सलमान खुर्शीद और मणि शंकर अय्यर के क़दमों पर तो नहीं चल रहे हैं?