Friday, April 26, 2024

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कोविड-काल एवं 2020 के सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री: योद्धा संन्यासी योगी आदित्यनाथ

योद्धा संन्यासी योगी आदित्यनाथ जी ने भी कोविड और उसकी चुनौतियों को अवसर में परिणत कर दिया और ऐसे आशातीत-आश्वस्तकारी परिणाम दिए कि पूरी दुनिया दाँतों तले ऊँगली दबाकर बस देखती रह गई!

देश रंगीला

आप एक ऐसे देश में रहते हैं जहां नियम कानून के विषय में सोचना नही। बस अपने अनुसार चलते रहो। खुश रहो और अपने को राजनैतिक दलों का भेड़ मानते हुए बस निष्ठावान बने रहो।

भीमा कोरेगांव का प्रपंच

1 जनवरी को फिर से भीमा कोरेगांव का जिन्न जागेगा और दुष्ट अंग्रेजों के विजय की बरसी मनाई जाएगी, रवीश अपने फेसबुक पर प्रपंच फैला चुका है एवं अन्य वामी कामी उसके फिराक में हैं।

नववर्ष में अपेक्षायें व हमारा उत्तरदायित्व

मजबूत इच्छाशक्ति और आत्मबल से हम स्वयं में बदलाव लाकर "परिवार, समाज, देश" को दीर्घकालीन लाभप्रद स्थिति प्रदान कर सकते हैं तो उस पर दृढ़ निश्चय से हम सभी को प्रयत्न अवश्य करना चाहिए।

यह कैसी मोहब्बत है, जो मज़हब बदलने की शर्त्तों पर की जाती है?

उत्तरप्रदेश सरकार की यह क़ानूनी पहल स्वागत योग्य है, क्योंकि यह सभी मतावलंबियों को समान रूप से किसी धर्म को मानने या दूसरे धर्म को अपनाने की पारदर्शी-विधिसम्मत प्रक्रिया सुनिश्चित करती है।

ऑनर किलिंग- एक दंश

“सम्मान हत्या (ऑनर किलिंग)” एक असंवैधानिक व अपराधिक कृत्य हैं। संवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से दोषी को दंडित करवा सकते हैं और यदि अनजान व बहकावे में आकर ऐसा काम कर दिया हैं तो उन्हे सुधार करने का अवसर देना चाहिये।

जिहादी यदि ताड़का हैं तो मसीही पूतना..

जैसे पूतना ने माता के वेष में हमारे सांस्कृतिक नायक श्रीकृष्ण के प्राण लेने का षड्यंत्र रचा था, वैसे ही देश के विभिन्न प्रांतों में स्थित चर्च एवं मिशनरीज, उनमें कार्यरत तमाम फादर्स-मदर्स-नन्स आदि सेवा की आड़ में हमारे भोले-भाले, निर्धन-वंचित वनवासियों को लुभाकर उनका धर्मांतरण करते हैं।

आखिर मुंबई उच्च न्यायालय ने क्यों माना की प्रवर्तन निदेशालय को सुने जाने का अधिकार (Locus standi)नहीं है!

मुंबई उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि पुलिस की क्लोजिंग रिपोर्ट को चुनौती देकर सुने जाने का ED के पास locus standi नहीं है! इये जानने का प्रयास करते हैं कि पहले निचली अदालत ने फिर सत्र न्यायालय नें तत्पश्चात मुंबई उच्च न्यायालय ने, फैसला किन तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए किया!

संघ कार्य व्यक्ति निर्माण का कार्य है, यह एक धीमी प्रक्रिया है, इसकी गति बढ़ाना सम्भव ही नहीं

संघ पर प्रश्न खड़े करने वाले निष्क्रिय निठल्ले और परिस्थितियों से विवश, नकारात्मक लोग हैं, भले ही वे #सक्रिय जैसे दिखते हैं। हजारों वर्षों के राष्ट्र जीवन में इनकी औकात ही क्या है? वेद, उपनिषद और गीता के सामने तुम्हारी एक किताब का अस्तित्व ही क्या है?

बंगाल चुनाव देश की राजनीति की दिशा तय करेगा

बंगाल का यह चुनाव तृणमूल बनाम भाजपा मात्र दो दलों के बीच का चुनाव नहीं रह गया है बल्कि यह चुनाव देश की राजनीति के लिए भविष्य की दिशा भी तय करेगा। बंगाल की धरती शायद एक बार फिर देश के राजनैतिक दलों की सोच और कार्यशैली में मूलभूत बदलाव की क्रांति का आगाज़ करे।

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