Saturday, April 20, 2024

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कोरोना वैक्सीन और सेकुलर मित्र

इस्लाम नहीं मानता कि पृथ्वी गोल है और सूर्य के चक्कर काटती है। किसी ने क्या कर लिया उनका, और क्या बिगड़ गया उनका ऐसा मानने से? पाकिस्तान में दोनों तरह की साइन्स पढ़ाई जाती है: पृथ्वी के गोल और सूर्य के चारो ओर घूमने वाली भी, और उसके चपटी और स्थिर होने वाली भी, जिसको जो मानना हो, माने। यह होता है असली लोकतन्त्र!

[व्यंग]-72वे गणतंन्त्र दिवस पर प्रधानमंन्त्री मनमोहन सिंह का राष्ट्र के नाम सम्बोधन!

सोनिया जी और राहुल जी की अध्यक्षता (महरबानी) मनमोहन सिंहजी ने देश को एक नयी दिशा प्रदान कराई

गोरक्षा कानून और नेहरू

नेहरू: एक पंडित या कसाई

वामपंथ का विषैला रक्त-चरित्र और उसकी विसंगतियाँ

वामपंथी शासन वाले देशों में न्यूनतम लोकतांत्रिक अधिकार भी जनसामान्य को नहीं दिए गए, परंतु दूसरे देशों में इनके पिछलग्गू लोकतांत्रिक मूल्यों की दुहाई देकर जनता को भ्रमित करने की कुचेष्टा करते रहते हैं।

चीन में उइगुर मुसलमानों के कीड़े मकोड़ो से बदतर हालात पर इसलामी राष्ट्रों की घातक चुप्पी

आइये उइगुर मुसलमानों की लाचारी व चीन के द्वारा उनको दी गयी नर्क से भी बदतर और सड़ी गली जिंदगी पर एक दृष्टि डालते हैं।

भारत का वामपंथ इतना पिछड़ा और पिछलग्गू क्यों?

कभी भी भारत के वामपंथियों को मार्क्स, लेनिन, माओ या फिर कास्त्रो के मध्य खुद की औकात बनाते नहीं पाया।

तौल में “ग्राम संख्या को सम्मिलत ना करने” एवम् “छूट काटने” जैसी कुप्रथाओ के कारण से किसानो को दशकों से होता आ रहा नुकसान

मंडी के क्षेत्र में काफी रिसर्च करने के बाद, कई बिंदु ऐसे निकल के आये जिन कारण से किसानो को नुकसान उठाना पड़ता है। इस पूरे शोध कार्य को अपने लोगो ने उत्तर प्रदेश के आलू किसानो के सन्दर्भ से किया है।

अहमदी मुसलमानों से इतनी नफरत क्यों?

इस्लाम के सभी अनुयायी खुद को मुसलमान कहते हैं लेकिन इसलामी क़ानून (फ़िक़ह) और इसलामी इतिहास की अपनी-अपनी समझ के आधार पर मुसलमान कई पंथों या फ़िरक़ों में बंटे हैं।

हिंदुओं की पुराने अनुपात में वापसी ही कश्मीर घाटी की चिंता का समाधान है

कश्मीर को शांत वादियों में बदलना है तो उसे अस्सी के दशक में मौजूद रहे जनसंख्या के मूल ढांचे में लाना ही पड़ेगा। इसके अलावा बाकी सारे उपाय फौरी तौर पर तो सफल हो सकते हैं, लेकिन वह लंबे समय तक कारगार नहीं हो पाएंगे।

भारत और भारतवासियों की अपराजेय दृढ़ता, जीवटता एवं संघर्षशीलता का वर्ष- 2020

2021 दरवाज़े पर दस्तक दे चुका है। बीते वर्ष का आकलन-विश्लेषण करने वाले बहुत-से विचारकों-विश्लेषकों का कहना है कि वर्ष 2020 शताब्दियों में कभी-कभार फैलने वाली कोविड-19 जैसी महामारी और उसकी विनाशलीला के लिए याद किया जाएगा।

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