Thursday, April 25, 2024

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मोदी से ज़्यादा योगी से क्यों भयभीत है आतंकी?

अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर जो विपक्ष प्रधानमंत्री को अंधाधुंध गलियों की बौछार करता है वही उस विपक्ष में किसी की औकात नहीं की वो योगी जी को एक गाली दे दे, वो नहीं देंगे, क्योंकि वो जानते है 24 घण्टे के अंदर उन पर मुकदमा होगा औऱ अगले ही कुछ दिनों में वे जेल में होंगे।

जातिवाद का नया रूप

१. सामाजिक तिरस्कार २. न्याय ना मिलना ३. शिक्षा ना मिलना ४. नौकरी ना मिलना ५. बैंक इत्यादि सामाजिक सुविधाओं का लाभ ना मिलना। ये सभी दोष नए रूप में पनप रहे जातिवाद अधिक प्रचण्ड मात्रा में है। और इस जातिवाद का नाम है , अंग्रेजी भाषा का हर क्षेत्र में प्रयोग।

पुलवामा अटैक: 14 फरवरी का दिन दुःखद, स्वर्ग जैसी धरती हुई थी खून से लहूलुहान

आज भी पुलवामा अटैक के उस मंजर को याद कर हर किसी की आंखे नम हो जाती है। वीर शहीदों की शहादत को आज भी पूरा देश नमन करता है।

यह पाखंड बंद करो मोमिनों-बुर्कापरस्तों! प्रभु श्रीराम भी हमारे और माँ दुर्गा भी हमारीं!

शुतुरमुर्गी सोच आत्मघाती होगी, आँखें खोलकर देखिए आपके आस-पड़ोस में रोज एक 'रिंकु' मारा जा रहा है, रोज एक 'निकिता' तबाह की जा रही है, रोज एक 'नारंग' 'ध्रुव तिवारी' इनकी जिहादी-ज़ुनूनी-मज़हबी हिंसा का शिकार हो रहा है।

कश्मीरी पंडितों के बिना कश्मीरियत और जम्हूरियत दोनों अधूरी है

कश्मीरी अवाम ने विगत 17 महीनों में जिस शांति, सद्भाव, सहयोग, समझदारी, परिपक्वता एवं लोकतांत्रिक भागीदारी का परिचय दिया है, दरअसल उसे ही भारत के लोकप्रिय एवं यशस्वी प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटलबिहारी बाजपेयी ने कश्मीरियत, जम्हूरियत, इंसानियत का नाम दिया था और यह निर्विवाद एवं अटल-सत्य है कि कश्मीरी पंडितों एवं ग़ैर मज़हबी लोगों को साथ लिए बिना वह कश्मीरियत-जम्हूरियत-इंसानियत आधी-अधूरी है।

वैलेंटाइन वीक में युवराज के लिए लड़की ढूंढ़ते कांगी: बेवकूफी इज मस्ट

आपको इस बौद्धिक पिछड़े के लिए कहीं बेवकूफी मिले, तो इसको इत्तला करें, वैसे उसके दरबारी पत्तलकार और चाटुकार इसे सदी की महानतम लव स्टोरी बता वैलेंटाइन वीक का मजा ले रहे हैं।

गोडसे की याद में

क्या जो 1947 में जो मिली वो आज़ादी थी या बटवारा था उस हिंदुओं के धरती का जिसे प्रभु श्री राम, चन्द्रगुप्त, नेताजी, महाराणा प्रताप, वीर सावरकर, स्वामी विवेकानन्द, स्वामी दयानन्द, जगदगुरु शंकराचार्य आदि वीरों ने महापुरुषों ने अपने बलिदान से अपने ज्ञान अपने शौर्य से अपने पराक्रम से अपने वीरता से निर्माण किया था।

किसान और क़ानून के बीच अम्बानी अडानी का विरोध क्यों?

एक समाज, एक व्यवस्था एक देश के नाते हमें अब ये तय करना होगा कि ऐसे कोई भी मुँह उठा कर दिल्ली न घेरने लगे, किसान गरीब मजदूर जैसे जार्गन्स से ऊपर उठ कर देश को ध्यान में रखना होगा तभी इन विदेशी नाचने वाली पॉप और पोर्न स्टार्स से लड़ और जीत पाएंगे।

वर्तमान की युवापीढ़ी और फैंसी आंदोलन

साम्यवाद के भ्रमित करने वाले शब्द व स्वर को आधुनिक शब्द छलावा में पेश कर कविता आवृत्ति होती है। बस किसी भी तरह देश की आंशिक जनसंख्या को प्रभावित करके मिथ्या प्रोपगंडा को सच्चाई में बदलने का कोशिश चालू रहता है।

मोदी विरोध का मानसिक पतन

किसान बिल या विरोध को समझने के लिए चार नामों में गीता कही बेहतर शिक्षित, तार्किक, व्यवस्थित और सक्षम है। परन्तु बंजारों की पसंद मिया खलीफा, रीरी और ग्रेटा है। कारण स्पष्ट है, पहले तीन नाम बंजारों को समर्थन देने वाले है।

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