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सुनो तेजस्विनी, सारे दिन तुम्हारे हैं
आश्चर्य है, स्त्रियों के जीवन में इतना व्यापक परिवर्तन होने के बाद भी, वामपंथ प्रायोजित नारी विषयक मुद्दे नहीं बदले, कविताएँ नहीं बदलीं और उनकी मांगें भी उसी कूप के मंडूक की तरह वहीँ कूदती रहती हैं।
नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा पर बल देने की बात है, क्या ये प्रयास सफल होगा?
मातृभाषा में शिक्षा का विचार सराहनीय तो है पर अभी ये एक स्वप्न बनकर ही रह जायेगा। थोड़े विचार से ही पता चल जायेगा कि क्यों प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में करने का प्रयास विफल होने वाला है।
महिला को सहारे की नहीं, बल्कि अवसर की जरूरत है
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य महिलाओं और पुरुषों में समानता बनाना और इसके प्रति लोगो में जागरूकता लाना है। लेकिन आज इतने सालों बाद भी दुनियाँ भर में ऐसे कई देश हैं, जहां महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त नहीं है।
मोदी मोटेरा और झन्नू
हमारे कांग्रेसी बंधू इस मुद्दे पे किस मुँह से बोल रहे है? अकेले नेहरू चचा और शाही परिवार के नाम पे २३ से ज्यादा स्टेडियम और १९ खेल पदक है। इसी वंशावली में ऐसे प्रधानमंत्री भी हुए, जिन्होंने खुद को ही "भारत रत्न" दे डाला।
शिवाजी और उनका लोकाभिमुख शासन-तंत्र
pranay -
शिवाजी महाराज की शासन-व्यवस्था लोकाभिमुख थी। वे एक निरंकुश शासक की बजाय लोककल्याणकारी शासक के रूप में हमारे सामने आते हैं। ए
समय एवं समाज की चेतना को झंकृत करने वाले- छत्रपति शिवाजी
pranay -
शिवाजी का उदय केवल एक व्यक्ति का उदय मात्र नहीं था, बल्कि वह जातियों के उत्साह और पुरुषार्थ का उदय था, गौरव और स्वाभिमान का उदय था, स्वराज, सुराज, स्वधर्म व सुशासन का उदय था और इन सबसे अधिक वह आदर्श राजा के जीवंत और मूर्त्तिमान प्रेरणा-पुरुष का उदय था।
संघ विचार-परिवार के वैचारिक अधिष्ठान की नींव- श्री गुरूजी
pranay -
संघ विचार-परिवार जिस सुदृढ़ वैचारिक अधिष्ठान पर खड़ा है उसके मूल में माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर उपाख्य श्री गुरूजी के विचार ही बीज रूप में विद्यमान हैं। संघ का स्थूल-शरीरिक ढाँचा यदि डॉक्टर हेडगेवार की देन है तो उसकी आत्मा उसके द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरूजी के द्वारा रची-गढ़ी गई है।
शिवाजी महाराज मतलब अदम्य साहस, महिला सम्मान और गुरिल्ला वारफेयर के उस्तादों के उस्ताद
hemenji -
छत्रपति शिवाजी महाराज अप्रतिम योद्धा, कुशल रणनीतिकार और सामाजिक रूप से वसुधैव कुटुंबकम के प्रणेता थे। उनकी महान सोच और उनकी दूरदृष्टि ने मराठा साम्राज्य की नींव डाली जिसने संख्या में कम होने के बाद भी दक्कन में निज़ाम और उत्तर में मुगलों को लालकिले ही हद तक सीमित कर दिया था।
गरीब किसानों की कौन परवाह करता है?
गरीब किसान असमंजस में है कि क्या सरकार उनके लाभ के लिए कानून ला रही है जबकि किसान नेता और विपक्षी दल कह रहे हैं कि यह उनके खिलाफ है।