Saturday, April 20, 2024

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क्या मजार को हिंन्दू मंन्दिर का रूप दिया जा सकता है?

सेक्टर १७, नॉएडा का एक प्रमुख चौराहा है। अट्टा पीर- यंहा पीर बाबा की मजार है। कुछ सालो पहले तक एक साधारण सा...

निधि समर्पण अभियान में 5.45 लाख स्थानों पर 12.47 करोड़ परिवारों से किया संपर्क – डॉ. मनमोहन वैद्य

कोरोना काल और श्रीराम मंदिर जनसंपर्क अभियान में ध्यान में आया कि संघ को जानने की समाज में उत्सुकता बढ़ी है। इसलिए स्थान-स्थान पर संघ परिचय वर्ग की योजना बनेगी।

शिव का अभिषेक क्यों और कैसे करें?

रुद्राभिषेक अर्थात रूद्र का अभिषेक करना यानि कि शिवलिंग पर रुद्रमंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। जैसा की वेदों में वर्णित है शिव और रुद्र परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। शिव को ही रुद्र कहा जाता है।

बाजीराव पेशवा- एक अजेय हिन्दू योध्दा जिसने सम्पूर्ण भारत को मुगलों के शासन से मुक्त करा दिया था

आज हम बात करेंगे बाजीराव पेशवा की, जिन्होनें अपने जीवनकाल में लड़े गये सभी युद्धों में जीत हासिल की और लगभग, सम्पूर्ण भारत में कब्जा किये हुए मुगलों को खदेड़कर महाराज शिवाजी के हिन्दवी स्वराज का सपना पूरा किया।

समान नागरिक संहिता- देश की जरूरत

जब एक देश –एक टैक्स लागू किया जा सकता है, और एक देश –एक चुनाव की बात चल रही है, तो समतामूलक समाज निर्माण के उदेश्य की पूर्ति हेतु एक देश एक कानून क्यों नहीं लागू किया जा सकता है।

सी- वोटर के ओपिनियन पोल का सार दीदी की विदाई और भाजपा की अगुवाई?

ओपिनियन पोल में एक और जानकारी दी गयी है जो दीदी के सरकार बनाने के सपने को चकनाचूर कर सकती है.

भारत की कूटनीति और सामरिक नीति- दो पाटन के बीच

भारत में अभी भी सैकड़ों स्लीपर सेल्स काम कर रही हैं और अपने हैंडलर्स के एक इशारे पर वह कुछ भी कर गुजरने की क्षमता रखते हैं।

लोकतंत्र के महापर्व में जागृत होता बंगाल और ममता दीदी की बौखलाहट

मता ने कभी देश की परवाह ही नहीं की, उनके लिए चुनाव जीतना ही हमेशा महत्वपूर्ण रहा। चुनाव जीतने के इसी लालच में उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठियों को भी पश्चिम बंगाल में आने दिया। न सिर्फ आने दिया बल्कि उनको बसाया भी।

‘लव-जिहाद’ को अनदेखा करना सामाजिक खतरा

समाज को समझने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए कि अधिकांश मुस्लिम पुरुषों का प्रेम मजहबी अभियान के अपेक्षा निम्न स्तर का है, जिसका हम साफ-साफ अर्थ यह समझ सकते हैं कि यह इस्लाम के विस्तार हेतु किया गया नापाक कोशिश है। इस मजहबी फैलाव के नाम पर धोखे को सभ्य समाज कब तक नजर अंदाज करेगा?

राजनीतिक लाभ लेने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान विद्या भारती की कट्टरपंथियों से तुलना करना अशोभनीय

देश में शिक्षा के नाम पर राजनीति करना यह आमचलन हो गया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विद्या भारती से जुड़े स्कूलों की तुलना पाकिस्तानी कट्टरपंथी मदरसों से करना कतई सोभनीय नही है.

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