Saturday, April 20, 2024

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जैसा ज्ञान, वैसा भगवान

अपनी उत्पत्ति से ही मनुष्य ने अपने ईश्वर को जानने की कोशिश की है, भले ही अभी तक सफल न हो पाया हो पर शायद अपने ज्ञान के प्रति निरंतर प्रयासों से एक दिन वह अपने इस सृष्टि के निर्माता को समझ पाए।

हम अस्पताल के लिए लड़े ही कब थे?

यदि मंदिर नहीं बनता अस्पताल बनता तब यह लोग ताली बजाते और कहते कि देखा तुम हार गए फिजूल में समय बर्बाद किया और बलिदान दिए लेकिन मंदिर नहीं बना पाए। पहचानिए इनको और याद कीजिए यह वही लोग हैं जो अतीत में मंदिर निर्माण की तारीख भी पूछा करते थे।

ट्वीटर बना निहित स्वार्थ ताकतों का अड्डा

उपराष्ट्रपति राजनीति से ऊपर हैं. वे संवैधानिक पद पर हैं. क्या ट्विटर अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे अन्य व्यक्तियों अन्य नेताओं के साथ ऐसा दुर्व्यवहार कर सकता है?

पर्यावरण पर गहराता संकट, भविष्य के लिए वैश्विक चुनौती

हमें यह बात नहीं भूलना चाहिए कि पर्यावरण की अनदेखी के कारण ही आए दिन भूकंप और खतरनाक समुद्री तूफान जनजीवन को नष्ट कर रहे है। जब तक पर्यावरण शुद्ध है, तभी तक समाज जीवित है।

हिंदुस्तान में कोविड 19 टीकाकरण की प्राथमिकता सूची हिन्दू दर्शन के अनुरूप

भारत हिन्दू राष्ट्र की तरफ कदम दर कदम बढ़ रहा है। कुछ अपवाद और अड़चन को छोड़ दें तो वर्तमान में टीकाकरण की प्राथमिकता इसी क्रम में दिखाई देती है।

कोरोना की दूसरी लहर की अधिक भयावहता का असली जिम्मेदार कौन?

यह देश तो हर संकट से जीत ही जाएगा। हो सकता है अभिमन्यु को अपना बलिदान करना पड़े। किंतु अर्जुन का मनोबल बनाए रखना आवश्यक है।

कोरोना काल में भी देशभर में सेवा कार्य में जुटा हुआ है संघ

कोरोना की प्रथम लहर की भांति दूसरी लहर में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक अनुषांगिक संगठन सेवा भारती सहित अन्य सबन्धित संगठन व संस्थाओं के माध्यम से प्रभावित परिवारों व जरूरतमंदों को सहायता उपलब्ध करवाने के कार्य में जुटे हुए हैं।

कांग्रेस की गालीबाज छोरियाँ।

मर्यादा खोता कांग्रेस और देश का विपक्ष हर दिन देश की राजनीती को और रसातल में ले जा रहा है। राजनितिक शिष्टाचार का नालीकरण।

राष्ट्रवादियों की सरकार के 7 वर्ष पूर्ण होने पर जानिए 7 उपलब्धियां

सरकार के सात साल पूरे होने पर आइए जानते हैं ऐसे ही सात फैसलों के बारे में, जिन्होंने न सिर्फ सुर्खियां बटोरी बल्कि हर भारतीय पर असर डाला।

पृथक-पृथक संस्कृतियों का विकास एवं उत्थान, पारस्परिक सहिष्णुता एवं समन्वय से ही संभव

भारत सिर्फ एक देश ही नहीं अपितु एक राष्ट्र भी है। जिसकी संस्कृति, ज्ञान एवं विचार का अनुशीलन, अनुपालन और अनुसरण संपूर्ण विश्व प्राचीन काल से ही करता आया है।

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