राहुल गाँधीकी भारत जोड़ो यात्रा से ध्यान में आया कि पांडवों ने और भी बहुत सारे काम नहीं किए थे। जैसे पांडवों ने पाकिस्तान नहीं बनने दिया, बांग्लादेश नहीं बनने दिया, पांडवों ने धारा 370 भी नहीं लगाई, पांडवों ने पूजा स्थल कानून (places of worship act 1991) भी नहीं बनाया जिससे हजारों मंदिरों पर अवैध कब्जा वैध हो गया, पांडवों ने संविधान में संशोधन करके 'सेकुलर' शब्द भी नहीं जोड़ा था। लेकिन कोई बात नहीं बाद में कुछ लोगों ने इन कामों को भी पूरा कर दिया।
हिंदू धर्म में कट्टरता और धर्म के नाम पर हिंसा का कोई स्थान नहीं है। किन्तु वर्तमान की घटनाओं से ऐसा प्रतीत होता है कि धर्म रक्षार्थ खडे़ होना हिन्दुओं की मजबूरी बन गई है।
आप क्या सोचते हैं कि, 19 जनवरी 1990 को शुरू हुआ जघन्य नरसंहार सिर्फ एक दिन में घटित हुआ होगा? सिर्फ एक दिन में सारी तैयारियां हो गई थी? नहीं यह वर्षों का षड्यंत्र था जिसे तथाकथित सेकुलर सरकारों ने नजरअंदाज किया। बाद में तो षड्यंत्र को सिर्फ अंजाम दिया गया।
कुछ वर्षों पहले क्रिकेट जगत में ऑस्ट्रेलिया ने एक रणनीति खूब अपनाई, जिसे अंग्रेजी में 'स्लेजिंग' कहते हैं। ठीक उसी रणनीति पर कुछ ताकतें चल रही हैैं। भारतीय धर्म और संस्कृति पर निरंतर प्रहार हो रहे हैं।
भारत में सभी धर्म सुरक्षित हैं लेकिन तब तक जब तक कि हम वो गलतियां नहीं दोहराते जो अफगानिस्तान के मूल निवासियों ने दोहराईं। इतिहास अपने आप को दोहरा रहा है और गलतियां सुधारने का अवसर दे रहा।
यदि मंदिर नहीं बनता अस्पताल बनता तब यह लोग ताली बजाते और कहते कि देखा तुम हार गए फिजूल में समय बर्बाद किया और बलिदान दिए लेकिन मंदिर नहीं बना पाए। पहचानिए इनको और याद कीजिए यह वही लोग हैं जो अतीत में मंदिर निर्माण की तारीख भी पूछा करते थे।