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सुब्रमण्यम जयशंकर की विदेश मंत्री के रूप में नियुक्ति का महत्व
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी जयशंकर को अपने मंत्रीमंडल में विदेश सचिव बनाना चाहते थे लेकिन कोंग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी नहीं चाहती थीं कि वे विदेश सचिव बनें।
कैपिटल गेन्स से सम्बन्धित वरिष्ठों की पीड़ा
gdbinani -
शेयरों पर कैपिटल गेन्स यानि LTCG वाले मामले में राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी साथ में सही मायने में Senior Aged Small Stock Investors को उचित राहत भी मिल जायेगी।
क्या कांग्रेस अब कभी सत्ता में वापसी कर पाएगी?
कांग्रेस अपनी इस विचारधारा में कोई बदलाव करेगी, मेरे हिसाब से तो यह नामुमकिन है क्योंकि कांग्रेस ने "देशद्रोह और करप्शन" की विचारधारा पर "सेक्युलरिज्म" की पैकिंग चढ़ाई हुई है
मोदी से बाजार की उम्मीदें
इस बार की सरकार पर उम्मीद कम भरोसा ज्यादा है क्यूंकि देश की जनता ने पिछले पांच सालों का कार्य देख लिया है।जिस तरीके के प्रचंड बहुमत से सरकार दोबारा आयी है इससे अगर हम यह निष्कर्ष निकाले की ये मोदी जी के कार्यों के ऊपर जनता का मुहर है तो यह गलत नहीं होगा।
युवराज का इस्तीफा या रोबोट 2.0 की तैयारी?
mrsinha -
चुनाव खत्म हुए, परिणाम घोषित हुआ और फिर शुरू हो गया असली खेल। इस बार खेल सत्ता का नहीं गांधी परिवार को उस हार के जिम्मेदारी से बचाने का खेल शुरू हुआ है।
सूरत अग्निकांड से कब सबक सीखेंगे हम!
हमें अपने बच्चों को जो लाइफ सेविंग स्किल सिखानी होगी. जिस तरह से हम उनके करियर की चिंता करते है उसी तरह से इस तरह की विपरीत परिस्थितियों में बच्चों को कैसे निपटना, क्या करना क्या नहीं ये सिखाने की भी चिंता होनी चाहिए. जान है तो जहान है.
२०१९ का चुनाव और लालू परिवार
चुनाव नतीजों के बाद श्री लालू यादव जी अस्वस्थ हैं और चिकित्सक के सलाह के विपरीत अपना दिन का भोजन त्याग दिया है.
शिक्षित, अशिक्षित या सिर्फ ढोंग
AKASH -
सोशल मीडिया में एक पोस्ट लगातार घूम रही है कि शिक्षित लोगों के स्टेट केरल में बीजेपी को कोई सीट नहीं मिली। तो उनके शिक्षितपने की औकात कितनी है वो देख लेनी चाहिए ।
चुनाव आयुक्त अशोक लवासा हुए पूरी तरह बेनकाब
लवासा जी सुर्ख़ियों में तब आये जब उन्होंने बहुमत के निर्णय से मोदी और अमित शाह को दी गयी "क्लीन चिट" पर सवाल उठाते हुए यह कहा कि 3 सदस्यीय चुनाव आयोग में वह ज्यादातर मामलों में "क्लीन चिट" दिए जाने के पक्ष में नहीं थे
शायद रविश जी भी मंत्री पद का सपना लिए बैठे थे
फिर से अपनी विचारधारा और एजेंडों को खाद पानी देने वाली सरकार आएगी..जिसमें उनकी लाल सलाम ब्रिगेड भी शायद जोंक की तरह पीठ पर चिपक कर सरकार में जाए जिसके बाद शायद उन्हें इनाम के रुप में मंत्री या राज्यसभा की सीट मिल जाए.