इस्लाम के सभी अनुयायी खुद को मुसलमान कहते हैं लेकिन इसलामी क़ानून (फ़िक़ह) और इसलामी इतिहास की अपनी-अपनी समझ के आधार पर मुसलमान कई पंथों या फ़िरक़ों में बंटे हैं।
मुंबई उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि पुलिस की क्लोजिंग रिपोर्ट को चुनौती देकर सुने जाने का ED के पास locus standi नहीं है! इये जानने का प्रयास करते हैं कि पहले निचली अदालत ने फिर सत्र न्यायालय नें तत्पश्चात मुंबई उच्च न्यायालय ने, फैसला किन तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए किया!
९ फरवरी २०१६ को एक आतंकवादी की मौत पर मातम मानते हुए जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में " भारत तेरे टुकड़े होंगे ", "भारत की बर्बादी" "पाकिस्तान जिंदाबाद" के जो नारे लगाए जा रहे थे वो "राजद्रोह" की श्रेणी में आते हैं या नहीं?
पाकिस्तान में चारो ओर आजादी की चिंगारी अब तेजी से भड़क रही है। बलूचिस्तान और लाहौर में आजादी को लेकर चल रहे प्रदर्शनों के बाद अब स्वतंत्र सिंधुदेश की मांग को लेकर सिंधु समुदाय के हजारों लोग कराची की सड़कों पर उतर आए।
चीन सामरिक दृष्टि से भारत और अन्य देशों से निपटने के लिए एक 200 किमी लंबी सुरंग ग्वादर बंदरगाह के पास बना रहा है। सच्चाई ये है कि, यह बलूचिस्तान के विकास नहीं, भारत पर दबाव बनाने की चीन व पाकिस्तान की ही मिलीजुली रणनीति का एक हिस्सा है। यह सुरंग अरब सागर में बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चीन में काशघर से जोड़ेगी।
अपने क़ानूनी अधिकारों को जानना और उसका सदुपयोग करना हर भारतीय का अधिकार है और ये अधिकार उनसे कोई नहीं छीन सकता! हमारे संविधान का अनुच्छेद १४, १५, १६, १९ व् २१ हमारे अधिकारों की न सिर्फ घोषणा करते हैं अपितु उनकी पैरवी भी करते हैं।
कांग्रेसीयों को भी शर्मसार कर देने वाली मुस्लिम तुष्टिकरण की निती को अपनाकर दीदी ने संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 व 21 की धज्जियां उड़ाते हुए सनातनधर्मीयों को बरबादी की ओर ढकेल दिया, यहाँ तक की बंगलादेशी घुसपैठियों का ताण्डव भी सनातनधर्मी सहने के लिये मजबूर हो गये!
बोको हराम अरबी शब्द है जिसका मतलब है 'पश्चिमी शिक्षा हराम' है। बताया जाता है कि मुस्लिम मौलवी मोहम्मद यूसुफ़ ने नाइजीरिया में शरिया क़ानून को मानने वाली सरकार के गठन के इरादे से ये संगठन बनाया था।
गुजरात की धरती से एक सूर्य (उस "चायवाले") का उदय हुआ और देखते ही देखते अपने "गुजरात मॉडल" वाले राजधर्म से सम्पूर्ण सनातनधर्मियों के मस्तक पर दस्तक देने लगा और सनातनधर्मियों ने भी इस अवसर को अपने दोनों हाथो से लिया और वर्ष २०१४ से लेकर आज तक वो उस व्यक्तित्व के साथ पूरे स्वाभिमान के साथ जुड़े है और सदैव जुड़े रहेंगे, क्योकि ये जोड़ निस्वार्थ देशप्रेम, धर्मप्रेम व सांस्कृतिक व ऐतिहासिक अभिमान से प्रेरित है"।