Monday, November 25, 2024
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विपक्ष फ्लोर टेस्ट में हुआ फेल

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Nagendra Pratap Singh
Nagendra Pratap Singhhttp://kanoonforall.com
An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.


मित्रों वर्ष २०१८ की भांति एक बार फिर एकजुटता का दम्भ भरने वाला विपक्ष फ्लोर टेस्ट में असफल हो गया। मित्रों हमारे गाँव में एक कतवारु भईया थे, वे एक कक्षा में कम से कम चार बार अवश्य पढ़ाई करते थे और पाँचवी बार में भी असफल हि होते थे, आज ४५ वर्ष की उमर हो चुकी है पर बेचारे कक्षा ४ से ऊपर नहीं जा पाए हैँ। ये विपक्ष भी हमारे कतवारु भईया जैसा हि परिश्रम करता दिखाई दे रहा है।

अब करे क्यां विपक्ष की सबसे मजबूत पार्टी, जिसके राष्ट्रीय स्तर की पार्टी का दर्जा बचा हुआ है, अपने एक पुराने चावल को पालिस कर कर के हर बार एक नए ब्रांड के रूप में बाजार में लेकर आती है और बहुत सारे चम्मचतोड़ चमचागिरी करने वालो को उनका बाजार बनाने के लिए पगार देकर छोड़ देती है। ये सभी चम्मचतोड़ चमचे नाना प्रकार से आवाजे निकाल निकाल कर उस ब्रांड की तारीफ़ करते हैँ पर जैसे हि उस ब्रांड से पर्दा उठता है, जनता मुस्करा कर आगे बढ़ जाती है और कांग्रेस फिर से उसी चावल को नये ब्रांड के रूप में पेश करने की नयी योजना बनाने लगती है।

अब कांग्रेस करे तो भी क्या करे, उनके पास जमानत पर छूटे गाँधी परिवार है या फिर इस परिवार के हर हाँ को हाँ और हर ना को ना मानने वाले लोग हैँ, जिनका अपना जनाधार ना के बराबर है, उदाहरण के लिए:-
१:- कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे;,२:- रणदीप सुरजेवाला;,३:- सुप्रिया सुनेत्र;,४:- अभिषेक मनु सिंघवी;,५:- आनंद शर्मा;६:- पवन खेड़ा;,७:- जयराम रमेश;,८:-पुण्य प्रसून वाजपेयी;,९:- रवीश कुमार पांडे, १०:- अभिसार शर्मा;, ११:- चुका कारतूस पी चिदंबरम, १२:- गये गुजरे मनमोहन सिंह और तमाम। ये ऐसे लोग हैँ, जिनका कोई जनाधार नहीं है।

अब वंही पर अन्य पार्टियों को आप देख लो ये बने बनाये नेता हैँ, जो अपने बाप दादाओं के बनाये जनाधार पर अपनी जमीन तलाशते रहते हैँ। अब उत्तर प्रदेश की करें बात तो , श्रीमान अखिलेश यादव जी अपने पिता स्व श्री मुलायम सिंह यादव के द्वारा बनाई गयी जमीन को बचाने की जद्दोहद में अपनी पुरी ताकत लगाए बैठे हैँ, वो भला आगे की कैसे सोचे।

बिहार में नितीश कुमार ने अपनी महत्वकांक्षा के लिए अपने हि पार्टी के दो टुकड़े कर दिये, श्री ओम प्रकाश कुशवाहा जी ने अलग पार्टी बनाकर मोदी जी का साथ प्राप्त कर लिया। रही बात लालू जी के पार्टी का तो तेजस्वी बिटवा सहित लालू जी और राबड़ी जी लैंड फॉर जॉब्स घोटाले में आरोप पत्र का सामना कर रहे हैँ, और इस वक्त सभी जमानत पर हैँ। इनका भी जनाधार खिसक रहा है।

अब इनके पश्चात सबसे बड़ी पार्टी आम आदमी पार्टी के अब इक्का दुक्का नेता हि बचे हैँ केजरीवाल सहित और आज नहीं कल निश्चित रूप से केजरीवाल जी अपने शिशमहल के लिए और अन्य घोटालों के लिए अंदर जाने वाले हैँ।

महाराष्ट्र में और बुरा हाल है, स्व बाला साहेब ठाकरे के ४० वर्षो के परिश्रम से खड़ी पार्टी को आदरणीय उद्धव जी ने धूल में मिला दिया अब ना तो उनके पास शिव सेना है और ना तिर धनुष ये सब श्री एकनाथ शिंदे जी के पास है। उसी प्रकार NCP जिसके राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन चुका है वो अब शरद पवार जी के हाथ से निकलकर भतीजे श्री अजित पवार जी के हाथों में आ चुकी है और वो भी श्री एकनाथ शिंदे जी के साथ मोदी जी के पाले में आ चुके हैँ।

अब पश्चिम बंगाल की दीदी की पार्टी TMC तो भाइयों अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी के भविष्य को बचाने में चिंतामग्न दीदी क्या करिश्मा कर पाएंगी। भतीजा कोयला खनन घोटाले में पूछ ताछ के दौर से गुजर रहा है और पार्टी के अन्य नेता शारदा चित फंड घोटाला, रोज वैली घोटाला, शिक्षक भरती घोटाला, कट मनी घोटाला इत्यादि में जेल में हैँ।

इसी प्रकार झारखण्ड के मुख्यमंत्री श्री शिरेन, छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल, राजस्थान् के मुख्यमंत्री का भाई, मध्य्प्रदेश के नेता, कर्नाटक के जमानत पर छूटे नेता, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ये सभी किसी ना किसी घोटाले में जांच का सामना कर रहे है।

ऐसी परिस्थिति में विपक्ष, मणिपुर में हो रहे हिंसक दंगों को लेकर केंद्रीय सरकार के प्रति अविश्वाश प्रस्ताव लेकर चले आये और अविश्वाश प्रस्ताव पर कोई तैयारी ना करके केवल मोदी जी बोल नही रहे, मोदी जी क्यों नहीं बोल रहे, बोल बोल कर चिल्लाते रहे और समय गवाते रहे, जिसका परिणाम ये हुआ कि, फील्डिंग तो बिछाई थी मोदी जी को घेरने के लिए पर पूरे समय गेंद निचे से आयी नहीं और केवल चौके छक्के हि लगते रहे।

अब मित्रों आखिर ये अविश्वाश प्रस्ताव विपक्ष के द्वारा विपक्ष के सामर्थ्य को आजमाने के लिए लाया गया था तो आपको बताते चलें की विपक्ष तो दिल्ली सेवा बिल के विरोध के वक्त हि राज्य सभा में धाराशाई हो गया था, जब उनके १० सांसदों ने दिल्ली सेवा बिल के समर्थन में मतदान किया था। अत: विपक्ष को तो अपनी ताकत का आभास हो ही जाना चाहिए था।

फिर भी विपक्ष अविश्वाश प्रस्ताव ले आया, जिसकी धज्जियाँ उड़ाते हमारे प्रधान सेवक ने अपने जनता जनार्दन के समर्थन और विश्वाश के आधार पर यह कहते हुए उड़ा दिया कि “अगली बार जब वर्ष २०२८ में विपक्ष अविश्वाश प्रस्ताव लेकर आये तो कुछ तो गृहकार्य कर ले”!

प्रधान सेवक ने जनता जनार्दन के भरोसे और अपने आत्म विश्वाश के आधार पर गारंटी देते हुए कहा कि ” उनके तीसरे कार्यकाल में भारत विश्व की तिन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में से एक होगा”! और मित्रों आपको बताते चलें की भारत की जनता जनार्दन जिस प्रकार अपने प्रधान सेवक पर भरोसा और प्रेम करती है, उससे दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाना कोई असंभव कार्य नहीं है।

अपने राष्ट्रीय सम्बोधन में हमारे प्रधान सेवक ने एक अति गोपनीय बात बताते हुए कहा कि “विपक्ष को एक अनचाहा वरदान मिला हुआ है और इस वरदान के अनुसार” ये जिसके डूब जाने की भविष्यवाणी करते हैँ, वही उबर कर तरक्की करने लगता है। इस तथ्य को साबित करने के लिए प्रधान सेवक ने तिन उदाहरण दिये जिसमें प्रथम बैंक का दूसरा HAL का और तीसरा LIC का।

मित्रों आपको याद होगा कि हावर्ड विश्वविद्यालय से डिग्री लिए हुए कुछ अनपढ़ अर्थशास्त्रीयो (जिन्होंने भ्र्ष्टाचार की कई मिसाले पैदा की) के माध्यम से और कुछ विदेशी डिग्रीधारी अनपढ़ो के माध्यम इन विपक्षियों ने गला फाड़ फाड़ और छाती पीट पीट कर दावा किया था कि LIC और बैंक डूब जाएंगे, गरीब जनता का पैसा डूब जायेगा, भयंकर मंदी आ जाएगी, पर हुआ इसका उल्टा आज बैंकिंग सेक्टर और LIC दोनों लाभ अर्जित करने वाले उद्योग साबित हुए हैँ।

इसी प्रकार हेलीकाप्टर बनाने वाली कम्पनी HAL के बारे में भी इन विक्षियों ने कहा था की ये खत्म हो जाएगी। इसके अंदर काम करने वाले कर्मचारियों को भड़काया था कि तुम्हारा भविष्य खतरे में है, तुम लोग डूब जाओगे, पर मित्रों हुआ क्या, HAL आज पूरे सम्मान के साथ अपना व्यवसाय कर रही है और लाभ अर्जित कर रही है।

पर हे मित्रों सबसे मजेदार वाक्या तो तब सामने आया जब प्रधान सेवक संसद में आये। उनको संसद में आता देखते ही (वी विपक्षी जो प्रधानमंत्री के मुंह से कुछ मणिपुर के बारे में सुनना चाहते थे) संसद से झुण्ड बनाकर निकल भागे ठीक उसी प्रकार जैसे जंगल में शेर को आता देख सभी जानवर भाग खड़े होते हैँ। खैर विपक्ष को इस प्रकार मैदान छोड़कर भागता देख हमारे देश के जनता जनार्दन को अच्छा लगा और उनका भरोसा और विश्वाश अपने प्रधान सेवक पर और बढ़ गया।

अविश्वाश प्रस्ताव बुरी तरिके से असफल हो गया। सत्य की जीत हुई और धर्म विजयी हुआ। विपक्ष एक बार फिर फ्लोर टेस्ट में फेल हो गया।

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