अंतरराष्ट्रीय वोक मीडिया रिपोर्ट द्वारा संयुक्त रूप से किये गये एक सर्वे की रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दीपावली की पूर्व संध्या पर अयोध्या में जो पंद्रह लाख दियों को प्रज्जवलित किया गया उससे धरती के वायुमंडल का ताप पौने-साढ़े एक गुना बढ़ गया है। इससे पृथ्वी के मौसम में बदलाव आने की संभावना है जो पृथ्वी के पर जीवन के लिए खतरा बन जाएगी।
अपनी इस रिपोर्ट में झांसा के वैज्ञानिकों ने गत रात्रि भारत के ऊपर मौनी-ट्रिंग के लिए छोड़े गए उपग्रहों से प्राप्त छायाचित्रों का विश्लेषण कर बताया कि प्रज्जवलित किए गए दीपों का ताप इतना अधिक था कि हिमालय के कई ग्लेशियर रिपोर्ट पढ़ते ही शर्म के मारे लाल होकर पिघल गए हैं जिससे भारतीय उपमहाद्वीप के तटीय देशों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। तटीय देशों की सामुद्रिक जैव विविधता पर भी संकट उत्पन्न हो गया है।
अंतरराष्ट्रीय वोक मीडिया संघ के प्रमुख मिस्टर हैदर सैमुअल ने रिपोर्ट जारी करते समय प्रेस कांफ्रेंस में कहा- ‘भारत एक परंपरावादी पिछड़ा देश है। इसकी परंपराएँ पिछड़ी और गंदी मानसिकता का प्रतीक हैं। आज देश में एक विशेष फासीवादी विचारधारा हावी होती जा रही है जिसके चलते जो काम पहले अस्तित्व में नहीं थे वे भी अब हो रहे हैं। अयोध्या में प्रज्जवलित पंद्रह लाख दीप इसी विचारधारा के प्रकटीकरण का हिस्सा हैं। आप स्वयं सोचिए कि हंगर इंडेक्स में 107वीं रैंक पर स्थित एक देश जिसमें लोगों के पास खाने के लिए भोजन नहीं है वह पंद्रह लाख दीपकों में टैक्सपेयर का धन खर्च कर रहा है। जरा सोचिए कि इसके लिए खर्च किए गए तेल से कितने गरीब परिवारों का भोजन बन सकता था।’
आप स्वयं सोचिए कि हंगर इंडेक्स में 107वीं रैंक पर स्थित एक देश जिसमें लोगों के पास खाने के लिए भोजन नहीं है वह पंद्रह लाख दीपकों में टैक्सपेयर का धन खर्च कर रहा है। जरा सोचिए कि इसके लिए खर्च किए गए तेल से कितने गरीब परिवारों का भोजन बन सकता था।
‘भारत में सत्ता द्वारा प्रायोजित इन दकियानूसी परंपराओं की वजह से आज दुनिया का क्लाइमेट तेजी से बदल रहा है। अयोध्या में जलाए गए इन दीपों से आसमान में जो बादल बरसने के लिए ठंडा हो रहे थे वे पुनः गर्म होकर दूर छिटक गए हैं। परिणामस्वरूप जिन क्षेत्रों में इस समय खेती के लिए जल की आवश्यकता होगी वहां अब जल बरसने की संभावना समाप्त हो गई है जिससे लाखों किसानों का जीवन संकटमय होने की संभावना है।’- सैमुअल महोदय ने आगे अपने वक्तव्य में रिपोर्ट के प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा करते हुए कहा।
रिपोर्ट का एक भाग दीपावली का जीवों-कीटों-पक्षियों पर प्रभाव को समर्पित किया गया है। इसमें बताया गया है कि दीपावली पर जलने वाले दीपों और लाइट्स की अधिकता से जीवों की आँखें चौंधिया जाती हैं जिससे उन्हें विशेष परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दीपावली के दीपों से उठने वाले धुएं से पक्षियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। धुआँ उनकी श्वांस क्षमता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है और उनके अंडों में पल रहे बच्चे भी विकृत होकर पैदा होते हैं। इसके साथ ही दीपावली के दीपों का प्रकाश अनेकों कीटों के विनाश का कारण बनता है जो कि हमारी जैव-विविधता के लिए घातक है।
दीपावली पर जलने वाले दीपों और लाइट्स की अधिकता से जीवों की आँखें चौंधिया जाती हैं जिससे उन्हें विशेष परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दीपावली के दीपों से उठने वाले धुएं से पक्षियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
रिपोर्ट के सामने आने के बाद भारत एवं दुनियाभर के तमाम बुद्धिजीवियों ने इस पर अपनी चिंता जाहिर की है। भारत का बॉलीवुड समूह समूची मानवता को बचाने आगे आ गया है एवं सभी से डिजिटल दीवाली मनाने की अपील कर रहा है ताकि सभी जीव स्वच्छ एवं शांत जीवन जी सकें। टीवी पर विशेष जागरुक विज्ञापनों के माध्यम से लोगों को दीपावली के दिए डिजिटल रूप से जलाने के लिए जागरुक किया जा रहा है।
एक पर्यावरण एकताविष्ठ का कहना है ‘देखिए जीवन जीने का अधिकार सभी का होता है। हमारा कोई हक नहीं बनता कि हम चंद घंटों की खुशी के लिए जीवों को परेशान करें। इसलिए इस बार हम प्रदूषण रहित दीवाली मनाकर एक नई पहल आरंभ करें एवं प्रकृति की रक्षा करें।’- यह कहकर उस एकताविष्ठ ने वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया और अपने कुक को ऑर्डर दिया- ‘अरे वो कबूतर का सूप मंगाया था, इतनी देर में भी नहीं बना?’
रिपोर्ट प्रकाशित होते ही भारत में राजनीतिक रूप से माहौल गर्म होने लगा है। जहाँ किसान नेता योया ने कहा है कि अगर सरकार ने पूरी तरह दीपावली पर प्रतिबंध नहीं लगाया तो भारत के किसान पुनः एक और आंदोलन करेंगे। इस दीप प्रज्जवलन की परंपरा से बारिश का चक्र प्रभावित हो रहा है जिससे किसानों की उत्पादकता लगातार गिर रही है।
उधर अल्पसंख्यक भड़काओ प्रकोष्ठ के एक नेता ने अपने बयान में कहा है कि भारत की फासीबादी सरकार लाखों दीपक जलाकर भगवा रंग के प्रकाश को दसों-दिशाओं में फैलाकर अल्पसंख्यकों पर एक विचारधारा जबरन थोप रही है। इससे अल्पसंख्यकों की भावनाएँ आहत हो रहीं हैं। नफरत भरे इन पर्व-त्यौहारों को बढ़ावा देकर सरकार अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित कर रही है। बस पंद्रह मिनट के लिए पुलिस हटा लो फिर देखो क्या होता है?
दीपावली पर हो रही इस बयानबाजी को देखते हुए सुप्रीम कोरट के जज ने अपने चक्षु खोलकर सुओ-मोटो लेकर दीपावली पर्व पर प्रतिबंध लगाने के आदेश केंद्र सरकार को दिए हैं। जज महोदय ने अपने जजमेंट में कहा है कि त्यौहार को हर्षोल्लास का प्रतीक होता है अगर उससे अल्पसंख्यकों की भावनाएँ आहत हो रही हैं तो ऐसे त्यौहार को मनाने का क्या औचित्य? इसलिए दीपावली त्यौहार पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाकर इसमें से दीप हटाकर केवल ‘वली पर्व’ मनाया जाए।
भविष्य के ऐसे षड्यंत्रों से सावधान होकर अपने पर्व और त्यौहारों को पूरे उल्लास एवं समूह के साथ मनाइए। एक समुदाय के तौर पर सनातन की प्रतिष्ठा पूरे जगत में प्रसारित हो इसी कामना के साथ आप सभी को दीपावली पर्व की अनेकों शुभकामनाएँ।
ऋषभ