राजस्थान: इन दिनों राजस्थान में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना यानी ईआरसीपी को लेकर रार मची हुई है। अब इस परियोजना को लेकर भारतीय किसान यूनियन के युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह मीना राजस्र्थान के लोगो से एकजुट होने की अपील कर रहे है और सरकार को झुकाने की पूरी तैयारी कर रहे है। परियोजना को लेकर विक्रम सिंह मीना बड़े आन्दोलन की तैयारी कर रहे है।
इस समय राजस्थान में पानी का भारी संकट चल रहा है महिलाए धुप में पानी भरने को मजबूर है, करौली हिंडौन भास्कर में ‘जलसंकट का दंश…एक ही कुआ,वह भी गाँव से डेढ़ किलोमीटर दूर, गन्दा पानी छानकर पीने की मजबूरी’ शीर्षक के साथ प्रकाशित मंडरायल के गाँव श्यामपुर झोपड़ी, डोलेपूरा गाँव में 100 से ज्यादा परिवारों की यह पीड़ा है। विक्रम सिंह मीना काफी दिनों से लोगो को इस योजना के प्रति जागरूक करने में लगे हुए है, विक्रम सिंह मीना का कहना है की सरकार को राजनीति पर ध्यान ना देकर 13 जिलो के लिए बनी इस योजना पर ध्यान देना चाहिए! हालांकि इस योजन पर पहले भी वाद विवाद की स्थिति बनी थी लेकिन राजनीति के चलते राजस्थान के नेताओं ने चुप्पी साध ली थी लेकिन गर्मियों के आते है यह योजना याद आ गई और विक्रम सिंह मीना राजस्थान सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे है।
2017 में हुई थी परियोजना की घोषणा :
ईआरसीपी योजना 2017-18 के बजट में राजस्थान में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में इस परियोजना की घोषणा हुई थी। इस दौरान बीजेपी सरकार ने कहा था कि (ईआरसीपी परियोजना) झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर जैसे 13 जिलों की दीर्घकालिक सिंचाई और पीने की पानी की जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा। 2017-18 के बजट भाषण में राजे ने यह भी कहा था कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को ईआरसीपी को राष्ट्रीय महत्व वाली परियोजना के रूप में घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव भेजा था । वहीं परियोजना को 2017 में केंद्रीय जल आयोग द्वारा भी इसे स्वीकृति मिली थी । तभी से सरकारों की लगातार मांग बनी हुई है। इस प्रोजेक्ट के जरिए इन जिलों में पीने के पानी और 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के पानी की जरूरत पूरी होती रहेगी।
गौरतलब है कि इस संबंध में प्रधानमंत्री मोदी का भी एक वीडियो सामने आया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर परियोजना के बाद से कोई बड़ा सिंचाई और पेयजल प्रोजेक्ट नहीं आया है। इसके बाद उन्होंने कहा था कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) की मांग काफी समय से उठ रही थी । तब उन्होंने इस प्रोजेक्ट के तकनीकी अध्ययन की भी बात की थी।
इसलिए महत्वपूर्ण है पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना:
दरअसल राजस्थान के जल निकायों की बात करें, तो यहां केवल चंबल नदी ही ऐसी है, जिसके बेसिन में अधिशेष (सबसे अधिक) पानी है, लेकिन इस पानी को सीधे उपयोग में नहीं लाया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कोटा बैराज के आसपास के क्षेत्र को मगरमच्छ अभ्यारण्य के रूप में विकसित किया गया है। लिहाजा ईआरपीसी योजना के तहत यह सोचा जा रहा है कि डायवर्जन, इंट्रा-बेसिन बनाकर, और मेन पंपिंग फीडर को जोड़कर एक चैनल का निर्माण किया जाए। साथ ही जल चैनलों के इस नेटवर्क के जरिए ही ERCP परियोजना के लक्ष्य को पूरा किया जाए। ताकि राजस्थान के 41.6 प्रतिशत के साथ-साथ 23.67 प्रतिशत क्षेत्र के वॉटर लेवल को भी कवर किया जा सके।
जसकौर मीना ने राजस्थान सरकार पर साधा निशाना :
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर सांसद जसकौर मीणा ने राज्य सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि 13 जिलों में पानी पहुंचाने के लिए पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने ईस्टर्न राजस्थान कैनाल परियोजना बनाई थी, जिसका निर्माण केंद्र व राज्य का 60:40 की हिस्सेदारी से होता है लेकिन राज्य सरकार ने परियोजना की स्वीकृति को लेकर प्रपोजल नहीं भेजा, इस कारण स्वीकृति नहीं मिली है। उन्होंने कहा राजस्थान कि सरकार अगर इसमें रुचि लेती तो केंद्र सरकार इसी बजट में योजना को मंजूर कर देती, लेकिन राज्य सरकार अपने हिस्से का 40% पैसा ERCP योजना में नहीं देना चाहती जिसके चलते यह योजना अटकी हुई है। केंद्र सरकार अपने हिस्से के 60% देने के लिए तैयार है लेकिन राज्य सरकार की उदासीनता के चलते अभी यह योजना आमजन से दूर है।