मित्रों पत्रकारिता की आड़ में दुश्मन देशो के हाथों खेलने वाले देशद्रोहियों की बाढ़ सी आ गयी है, आपको याद होगा की इसके पूर्व भी कई पत्रकार चीन से पैसे लेकर भारत के विरुद्ध चीन का प्रोपेगेंडा फैलाते हुए पकड़े गए हैं और जेल भेज गए हैं। उदाहरण के लिए सितंबर २०२० में, एक स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा को दिल्ली पुलिस ने चीनी खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी करने के आरोप में आधिकारिक गुप्त अधिनियम (ओएसए) के तहत गिरफ्तार किया था। जांच से पता चला है कि उन्होंने सेना की आवाजाही, रक्षा अधिग्रहण और दलाई लामा के संबंध में जानकारी दी है, इसके अतिरिक्त राजीव शर्मा चीनी कम्युनिस्ट सरकार के प्रोपेगेंडा (विचार) को आधार देने के लिए विभिन्न प्लेटफार्मों पर लेख लिख रहे थे।
भारत और चीन दोनों के मध्य जब रिश्ते नाजुक दौर से गुजर रहे हैं तो “पत्रकारों” की गिरफ्तारी से चीनी खुफिया एजेंसी की प्रकृति, उनकी कार्यप्रणाली और जानकारी एकत्र करने के उनके दृष्टिकोण को समझना हर भारतीय के लिए आवश्यक हो गया है।
इसी क्रम में ताजा घटनाक्रम में न्यूज़क्लिक का मामला सामने आया है। मित्रों न्यूज़क्लिक (newsclick.in) एक स्वतंत्र मीडिया संगठन है , इनके दावे के अनुसार न्यूज़क्लिक की स्थापना वर्ष २००९ में हुई थी। न्यूज़क्लिक के संस्थापक श्रीमान प्रवीर पुरकायस्थ हैं जो इस संगठन के “प्रधान संपादक भी हैं। मित्रों पीपीके न्यूज़क्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड नामक एक पंजीकृत कंपनी हैं जिसकी स्थापना दिंनाक ११ जनवरी २०१८ में हुई थी। इसके प्रमुख निदेशक श्रीमान प्रवीर पुरकायस्थ और श्रीमान सुबोध वर्मा हैं। इसी पीपीके न्यूज़क्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड नामक कम्पनी के पास “न्यूज़क्लिक” का स्वामित्व है।
अब सोचने वाली बात ये है कि, वर्ष २००९ में स्थापित की गयी न्यूज़क्लिक का स्वामित्व पीपीके न्यूज़क्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड को क्यों दिया गया?
मित्रों हमारे देश में पत्रकार कहलाने वाले लोगों का एक ख़ास वर्ग है जो अपने देश की नीतियों (चाहे वो रक्षा से जुडी हों या विदेश से जुडी हैं) की आलोचना करने को ही पत्रकरिता समझता है और इसके लिए वो किसी भी सीमा तक जा सकता है, यंहा तक की वो विदेशो से फंड लेकर भी अपने देश की नीतियों और सरकार के निर्णयों को बगैर किसी आधार के अपनी कुत्सित आलोचना का शिकार बनाते हैं और दुश्मन देशों को लाभ पहुंचाने का कार्य करते हैं।
हमारे देश के कम्युनिस्टों का चीन प्रेम किसी से छिपा नहीं है। अभी चीन से जितनी भी झड़पें हुई हैं, आपने इन लोगों का रंग अवश्य देखा होगा। चाहे वो गलवान पर हुई झड़प हो या कोई अन्य मुद्दा हो इन विशेष वर्ग के लोगों ने सदैव हमारी भारतीय सेना, भारीतय जनता और भारतीय सरकार के मनोबल को तोड़ने का प्रयास किया है, हाँ ये बात और है कि, भारतीय सेना, जनता और सरकार तीनों ने ही इनके काले मंसूबो को पहचाना और सिरे से नकार दिया है।
मित्रों, ज्ञात और अज्ञात सूत्रों के अनुसार अगस्त २०२० में न्यूज़क्लिक के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा ४०६, ४२० और १२० बी के तहत एक एफआईआर (FIR) दर्ज की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि कंपनी को वित्तीय वर्ष २०१८ के दौरान “वर्ल्डवाइड मीडिया होल्डिंग्स एलएलसी” नामक कंपनी (जो यूएस में पंजीकृत है) से ९ .५९ करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त हुआ था। शिकायत में आरोप लगाया गया कि “एक डिजिटल समाचार वेबसाइट में एफडीआई पर २६% की निर्धारित सीमा को दरकिनार करने के लिए, यह निवेश कंपनी के शेयरों के मूल्यांकन को काफी बढ़ाकर किया गया था, अर्थात इस कंपनी के एक शेयर का मूल्य रुपये १०/- था तो इसका मूल्याङ्कन रू ११,०००/- के आस पास करके खरीदा गया था।
अभी कुछ दिन पूर्व ही न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे एक रिपोर्ट के तहत उजागर किया गया था की भारतीय समाचार पोर्टल “न्यूज़क्लिक”, चीनी प्रचार अर्थात प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी करोड़पति “नेविल रॉय सिंघम” से जुड़े नेटवर्क द्वारा वित्त पोषित संगठनों में से एक है अर्थात न्यूज़क्लिक चीन के कम्युनिस्ट सरकार के दलाल “नेविल रॉय सिंघम” (जो की एक अमेरिकी करोड़पति है) के द्वारा चीनी प्रोपेगेंडा को फ़ैलाने के लिए तैयार किये गए नेटवर्क @ टूलकिट से वित्त अर्थात पैसे लेने वाला एक संगठन है।
मित्रों आपको बताते चले की न्यूज़क्लिक के विरुद्ध न्यूयार्क टाइम्स ने जो दावा किया वही दावा करते हुए भारत के प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने वर्ष २०२१ में कथित तौर पर प्राप्त विदेशी प्रेषण की जांच के हिस्से के रूप में न्यूज़क्लिक के परिसर की तलाशी ली थी। इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार ईडी (जिसने फरवरी २०२१ में न्यूज़क्लिक परिसर की तलाशी ली थी), ने दावा किया था कि “उसकी जांच से पता चला है कि वर्ष २०१८ और २०२१ के मध्य न्यूज़क्लिक को विदेशी प्रेषण (Remittance), कथित तौर पर रु ७७ करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त हुआ था”।
प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार न्यूज़क्लिक को ये विदेशी प्रेषण (Foreign Remittance) निम्नलिखित कंपनियों के माध्यम से आया था :-
वर्ल्डवाइड मीडिया होल्डिंग्स एलएलसी (Worldwide Media Holdings LLC), डेलावेयर (Delaware), न्याय एवं शिक्षा कोष इंक; (Justice and Education Ink), ट्राइकॉन्टिनेंटल लिमिटेड इंक, यूएसए (Tricontinental Limited Ink, USA),जीएसपीएएन एलएलसी, यूएसए (GSPAN LLC, USA) और सेंट्रो पॉपुलर डी मिडास, ब्राज़ील, (Central Popular Demand Midas).
प्रवर्तन निदेशलय के दावे के अनुसार उपरोक्त सभी कंपनियां चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के दलाल और अमेरिकी करोड़पति “नेविल रॉय सिंघम” से जुड़ी थीं, एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा: “…तलाशी के दौरान जब्त किए गए डिजिटल सबूतों की जांच से पता चला है कि, एक सुनियोजित योजना तैयार की गई थी,जिसके अनुसार प्रबीर पुरकायस्थ, श्री जेसन पफ़ेचर और श्री नेविल रॉय सिंघम के साथ पीपीके न्यूज़क्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड में अपारदर्शी विदेशी फंड का निवेश करेंगे।” अपनी जांच के दौरान, प्रवर्तन निदेशलय ने दावा किया कि उसे दिनांक २६ जनवरी, २०२० को “नेविल रॉय सिंघम” से पुरकायस्थ और ट्राइकॉन्टिनेंटल के कार्यकारी निदेशक विजय प्रसाद सहित अन्य लोगों को भेजा गया एक ईमेल मिला है, जिसमें एक चीनी Aid फिल्म के Subtitles के बारे में बात की जा रही है।
मित्रों जांच आगे बढ़ती रही प्रवर्तन निदेशालय और दिल्ली पुलिस दोनों अपनी अपनी कार्यवाहियाँ करते रहें। इसी मध्य दिंनाक २४ अगस्त २०२३ को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने शहर पुलिस द्वारा दायर एक याचिका (जिसमें न्यूज़क्लिक के संस्थापक, प्रबीर पुरकायस्थ को वर्ष २०२१ में प्राप्त हुए अंतरिम आदेश अर्थात गिरफ्तार न करने हेतु दिये गए आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया था) का जवाब देने का निर्देश दिया।
अगस्त 2023 में, प्रवर्तन निदेशालय ने चीन समर्थक प्रचार को बढ़ावा देने और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने का आरोप लगाते हुए न्यूज़क्लिक के विरुद्ध कार्रवाई की थी जो की किसी मीडिया फर्म के विरुद्ध इस प्रकार की कार्रवाई का पहला उदाहरण है।
मित्रों इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए दिनांक ३ अक्टूबर, २०२३ को दिल्ली पुलिस ने लगभग ५० से अधिक स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें न्यूज़क्लिक से जुड़े कई पत्रकारों के आवास भी शामिल थे। इन स्थानों में न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ, वीडियो पत्रकार अभिसार शर्मा, राजनीतिक टिप्पणीकार और वरिष्ठ पत्रकार औनिंद्यो चक्रवर्ती, अनुभवी पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता, भाषा सिंह, बप्पा सिन्हा और उर्मिलेश के आवास शामिल हैं।
ये छापेमारी न्यूज पोर्टल न्यूज़क्लिक की फंडिंग की जांच के सिलसिले में की गई थी। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने न्यूज़क्लिक के खिलाफ कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, १९६७ (यूएपीए) के तहत एक नया मामला (FIR )दर्ज किया।मित्रों गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, १९६७ के अंतर्गत कर्यवाही करते हुए , दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने मंगलवार को ५० से अधिक स्थानों पर दिन भर की तलाशी के बाद समाचार पोर्टल न्यूज़क्लिक के संस्थापक और प्रधान संपादक, प्रबीर पुरकायस्थ और इसके मानव संसाधन विभाग (HR Department ) के प्रमुख, अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार कर लिया।
FIR, UAPA, १९६७ की धारा १३ (गैरकानूनी गतिविधियां) , धारा १६ (आतंकवादी कृत्य); धारा १७ (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), धारा १८ (षड्यंत्र); और धारा २२ (सी) (कंपनियों, ट्रस्टों द्वारा अपराध) और भारतीय दंड संहिता की धारा १५३ ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और १२० बी (आपराधिक साजिश) के साथ के अंतर्गत पंजीकृत की गयी है।
आइये देखते हैँ की ये धाराएं कहती क्या हैँ:-
१:- धारा १३ के मुख्यत: दो भाग हैँ, प्रथम भाग कहता है:-
अवैधानिक गतिविधिया रोकथाम अधिनियम की धारा १३ यह प्रवधान करती है कि जो भी व्यक्ति किसी भी गैरकानूनी गतिविथी की वकालत करता है, या ऐसी गतिविधियों को करने हेतु उकसाता है या किसी को सलाह देता है या स्वयं गैरकानूनी गतिविधियों में सम्मिलित होता है उसके प्रति प्रतिबद्ध होता है उसे करावास (Imprisonment) के दंड से दंडित किया जा सकता है जिसकी अवधि ७ वर्ष तक बढ़ाई जा सकता है।
धारा १३ का दूसरा भाग कहता है:-
यदि किसी संघ या संगठन को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम १९६७ की धारा ३ के अंतर्गत केंद्रीय सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करके “गैरकानूनी संगठन या संघ” घोषित किया जा चुका है और उसकी संस्तुति धारा ३ के उपधारा ३ के अनुसार (धारा ४ के अंतर्गत ट्रीब्यूनल द्वारा) प्रभावी हो गया है तो ऐसे किसी संगठन या संघ के किसी गैरकानूनी गतिविधियों में जो कोई भी सहायक होता है उसे करावास (Imprisonment) के दंड से दंडित किया जा सकता है जिसकी अवधि ५ वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है।
मित्रों आप सोच रहे होंगे कि आखिर गैरकानूनी गतिविधियां” किस प्रकार की गतिविधियों को माना जायेगा तो इसका उत्तर आपको गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम, १९६७ की धारा २ (१) (ओ) में प्रपत हो जायेगा जो निम्न प्रकार है:-
(ओ) किसी व्यक्ति या संघ के संबंध में “गैरकानूनी गतिविधि” का अर्थ ऐसे व्यक्ति या संघ द्वारा की गई कोई भी कार्रवाई है (चाहे कोई कार्य करके या शब्दों द्वारा, या तो बोले गए या लिखित, या संकेतों द्वारा या दृश्य प्रतिनिधित्व द्वारा या अन्यथा)-
(i) जिसका किसी भी आधार पर, भारत के क्षेत्र के एक हिस्से का अधिग्रहण या भारत के क्षेत्र के एक हिस्से को संघ से अलग करने का इरादा है, या ऐसे किसी दावे का समर्थन करता है, या ऐसा अधिवेशन या अलगाव लाने के लिए व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह जो किसी को उक्त कार्यों के लिए उकसाता है; या
(ii) जो भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को अस्वीकार करता है, उस पर प्रश्नचिन्ह अर्थात सवाल उठाता है, बाधित करता है या बाधित करने का इरादा रखता है; या
(iii) जो भारत के खिलाफ असंतोष का कारण बनता है या पैदा करने का इरादा रखता है;
आइये चलते चलते गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम, १९६७ की धारा ३ के कुछ प्रावधान भी देख लेते हैँ:-
धारा३:- किसी एसोसिएशन (संघ या संगठन) को गैरकानूनी घोषित करना.-
(१) यदि केंद्र सरकार की राय है कि कोई संघ (गैरकानूनी गतिविधियों को करने वाला) एक गैरकानूनी संघ है, या बन गया है, तो वह आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसे संघ को गैरकानूनी घोषित कर सकती है।
(२) ऐसी प्रत्येक अधिसूचना उन आधारों को निर्दिष्ट करेगी जिन पर इसे जारी किया गया है और ऐसे अन्य विवरण भी प्रस्तुत करेगी जो केंद्र सरकार आवश्यक समझे: बशर्ते कि इस उप-धारा में कुछ भी केंद्र सरकार को सार्वजनिक हित में किसी भी तथ्य का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं होगी जिसे वह अपने विरुद्ध मानती है।
(३) केंद्र सरकार द्वारा जारी ऐसी कोई भी अधिसूचना तब तक प्रभावी नहीं होगी जब तक कि ट्रिब्यूनल, धारा ४ के तहत दिए गए आदेश द्वारा, उसमें की गई घोषणा की पुष्टि न कर दे और आदेश आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित न हो जाए: बशर्ते कि यदि केंद्र सरकार की राय है कि ऐसी परिस्थितियाँ मौजूद हैं जो उस सरकार के लिए किसी एसोसिएशन को तत्काल प्रभाव से गैरकानूनी घोषित करना आवश्यक है, वह लिखित रूप में बताए गए कारणों से निर्देश दे सकती है कि अधिसूचना, आधिकारिक राजपत्र में इसके प्रकाशन की तिथि से धारा 4 के तहत किए जाने वाले किसी भी आदेश के अधीन, से प्रभावी होगी।
२:- आइये धारा १६ के प्रावधानों पर एक दृष्टि डाल लेते हैँ:-
मित्रों धारा १६ आतंकवादी कृत्य करने वाले अपराधियों के लिए दंड का प्रावधान करता है जो निम्नवत है :-
धारा १६ (१) (अ) के अनुसार जो कोई भी आतंकवादी कृत्य करता है और उसके इस कृत्य अर्थात आतंकवादी कार्य के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो ऐसे व्यक्ति को मृत्युदंड या आजीवन कारावास के दंड से दंडित किया जायेगा और वो व्यक्ति जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा तथा धारा १६ (१) (ब) के अनुसार आतंकवादी कृत्य के किसी अन्य मामले में, उस व्यक्ति को कारावास का दंड, जिसकी अवधि पांच वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
अब मित्रों आप ये समझना चाहते होंगे की आखिर ऐसा कौन सा कार्य या कृत्य है जिसे “आतंकवादी कृत्य” माना जायेगा , तो इसका उत्तर आपको गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम, १९६७ की धारा १५ के अंतर्गत आसानी से प्राप्त हो जायेगा। आइये देखते हैं धारा १५ क्या कहती है ?
धारा १५ के अनुसार “जो कोई भी व्यक्ति :-
भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा या संप्रभुता को धमकी देने के इरादे से या
भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा या संप्रभुता के खतरे में पड़ने की संभावना के साथ या
भारत में या किसी विदेशी देश में लोगों या लोगों के किसी भी वर्ग में आतंक फैलाने के इरादे से या
आतंक फैलाने की संभावना के साथ कोई कार्य (अ ) बम, डायनामाइट या अन्य विस्फोटक पदार्थ या ज्वलनशील पदार्थ या आग्नेयास्त्र या अन्य घातक हथियार या जहरीली या हानिकारक गैसों या अन्य रसायनों या खतरनाक प्रकृति के किसी भी अन्य पदार्थ (चाहे जैविक रेडियोधर्मी, परमाणु या अन्यथा) का उपयोग करके या किसी के द्वारा अन्य साधन चाहे किसी भी प्रकृति के कारण हों या कारण होने की संभावना हो- जिससे (i) किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की मृत्यु होती है , या उन्हें चोटें आती हों ; या (ii) संपत्ति की हानि, या क्षति, या विनाश होता है ; या (iii) भारत या किसी विदेशी देश में समुदाय के जीवन के लिए आवश्यक किसी भी आपूर्ति या सेवाओं में व्यवधान उत्पन्न होता है ; या (iv) भारत में या किसी विदेशी देश में भारत की रक्षा के लिए या भारत सरकार, किसी राज्य सरकार या उनकी किसी एजेंसी के किसी अन्य उद्देश्य के संबंध में उपयोग की जाने वाली किसी भी संपत्ति को नुकसान पहुंचता हो या उसका विनाश होता है; या
(ब ) जो कोई भी व्यक्ति आपराधिक बल के माध्यम से या आपराधिक बल का प्रदर्शन करके आतंकित करता हो या ऐसा करने का प्रयास करता हो या किसी सार्वजनिक पदाधिकारी की मृत्यु का कारण बनता हो या किसी सार्वजनिक पदाधिकारी की मृत्यु अर्थात हत्या का प्रयास करता हो ; या
(स) किसी व्यक्ति को हिरासत में लेता है, अपहरण करता है और ऐसे व्यक्ति को मारने या घायल करने की धमकी देता है या भारत सरकार, किसी राज्य सरकार या किसी विदेशी देश की सरकार या किसी अन्य व्यक्ति को ऐसा करने या ऐसा न करने के लिए मजबूर करने के लिए कोई अन्य कार्य करता है तो इस प्रकार का किया गया कार्य आतंकवादी कृत्य कहलाता है।
स्पष्टीकरण। -इस धारा के प्रयोजन के लिए, सार्वजनिक पदाधिकारी का अर्थ है संवैधानिक प्राधिकारी और केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक पदाधिकारी के रूप में आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित कोई अन्य पदाधिकारी।]
३:- अब देखते हैं धारा १७ क्या प्रावधान करती है?
गैरकानूनी गतिविधियाँ की धारा १७ “आतंकवादी कृत्य के लिए धन जुटाने के लिए दंड का प्रावधान करती है इसके अनुसार जो कोई भी, भारत में या किसी विदेशी देश में, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, आतंकवादी कृत्य करने वाले व्यक्तियों या व्यक्ति के लिए धन जुटाता या एकत्र करता है या उन्हें धन प्रदान करता है या उन्हें धन प्रदान करने का प्रयास करता है, यह जानते हुए कि ऐसे धन का उपयोग ऐसे व्यक्ति द्वारा किसी आतंकवादी कृत्य के लिए किए जाने की संभावना है, भले ही इस तरह के धन का उपयोग वास्तव में ऐसे कृत्य के लिए किया गया हो या नहीं, तो उसे कारावास के दंड से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि पांच साल से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, और उस व्यक्ति पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।]
४:- इसी प्रकार गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम की धारा १८ “षड़यंत्र” आदि के लिए सजा का प्रावधान करती है – जो कोई आतंकवादी कृत्य या आतंकवादी कृत्य करने की तैयारी के लिए किसी कृत्य की साजिश रचता है या करने का प्रयास करता है, या उसकी वकालत करता है, उकसाता है, सलाह देता है या जानबूझकर उसे करने में मदद करता है, तो वह व्यक्ति दंड का भागी होगा उसे ऐसी अवधि के लिए कारावास के दंड से दंडित किया जायेगा जो पांच वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, और वह व्यक्ति जुर्माना देने के लिए भी उत्तरदायी होगा।
५:- गैरकानूनी अधिनियम की धारा २२ (स) कंपनियों, सोसाइटियों या ट्रस्टों द्वारा किए गए अपराधों के लिए सजा का प्रावधान करती है म इसके अनुसार –जहां अधिनियम के तहत कोई अपराध किसी कंपनी या सोसाइटी या ट्रस्ट द्वारा किया गया है, (जैसा भी मामला हो) प्रत्येक व्यक्ति (कंपनी या ट्रस्ट के प्रमोटर या ट्रस्ट के सेटलर सहित) ) जो अपराध के समय व्यवसाय के संचालन के लिए या तो प्रभारी था या जिम्मेदार था, उसे कारावास के दंड से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात (७) साल से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है और वह जुर्माना देने के लिए भी उत्तरदायी होगा जो पांच करोड़ रुपये से कम नहीं होगा और जो दस करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।
मित्रों जिन लोगों पर इतनी गंभीर धाराएं लगाई गयी हैं और जिन पर ना केवल भारत का प्रवर्तन निदेशालय अपितु दिल्ली पुलिस भी अनवरत कार्यवाही कर रही है, जिन लोगो को माननीय न्यायालय ने प्रथम दृष्टया पुलिस कस्टडी में भेज दिया है, ऐसे लोगों के पक्ष में भी कुछ लोग अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं, ऐसे लोगों से सावधान रहने की आवश्यकता है, ऐसे लोगों को लोकतंत्र के पर्व में धूल चटाने का प्रयास हम सबको करना चाहिए।
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