यह चिल्लाते हुए अहमद के चार बेटे दौड़ते हांफते आये और अहमद को घेर के जोर जोर से पूछने लगे “अब्बू अब्बू ये यु.सी.सी क्यों आ रिया बताओ ना। अहमद भी बच्चों के इस प्रश्न से घबड़ा गया और डांट कर कहा “अरे नामुरादो जब तक हमारी कांग्रेस जिंदा है तब तक उ सी सी नहीं आ सकता। लेकिन तुम् लोग ये बताओ तुम्हें उ सी सी के बारे में किसने बताया।
इस प्रश्न का उत्तर उसके बड़े बेटे अब्दुल ने दिया और बताया “अब्बू वो जंहा से आप बनारसी पान खाते हो ना वहि चौरसिया बोल रिया था। अब तक अब्दुल की तिन बिबियां और उनके अन्य १३ बच्चे भी अहमद को घेर चुके थे।
अहमद गुस्से से पैर पटकता है और कहता है, घबड़ाओ मत उ सी सी अगर चौरसिया ला रहा है तो मै उसे रोक दूँगा। अहमद का बड़ा बेटा अब्दुल फिर पूछता है अब्बू अब्बू ये उ सी सी का होता है। अहमद अबे ई तो हमारे अब्बू को भी नहीं पता पर कुछ जरूर बुरा होता है। अभी चौरसिया की खबर लेता हुँ।
उधर चौरसिया की दुकान पर पान, गुटका, खैनी और सुपाड़ी खाने वालों की भिड़ लगी हुई है और अधिकतर शांतिदूत हि हैँ, उसमे दो चार हिन्दु भी दिखाई दे रहे हैँ।
उसमे घनश्याम मिश्र जी भी थे वो मुंह में मगही मिठा पान दबा के अपने खास अंदाज में सबको U C C पर ज्ञान दे रहे थे, सब उनकी बाते सुन रहे थे और अहमद भी उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया और उनकी बाते सुनने लगा।
चौरसिया बोले, घनश्याम जी ये UCC क्या बला है, तनिक बताइये ना महाराज, बड़ी उलझन है। उ हैदरबाद वाला ओवैसी इसे संविधान के विरुद्ध बता रहा था, सच्चाई क्या है भाई….
घनश्याम जी पान का एक बढ़िया सा पिक पच्च से अपने दो उंगलियों के बिच में से कूड़ेदान में थूकते हुए मुस्कराते हुए बोले, तु हुँ चौरसिया एकदम बुडबके हो। अरे UCC लागू करने के लिए तो संविधान हि छटपटा रहा है, पर ई काँग्रेसी उस पर कुंडली मार कर बैठे हैँ। अब देखो मोदी जी लागू करते हैँ या नहीं।
उ तो ठीक बा महाराज पर ई है क्या? चौरसिया ठेठ बनारसी अंदाज में पूछे।
अब घनश्याम मिश्र जी चउचक पिचकारी मुंह से बाहर कूड़ेदान में फेंके और बोले, सुनो मै बताता हुँ. ..हमारे संविधान के चौथे भाग में अनुच्छेद ४४ है जो कहता है कि “भारत जनराज्य के नागरिकों के लिए ” समान नागरिक संहिता” लागू किया जाए”!
घनश्याम जी दांतो के मध्य फंसे सुपाड़ी के टुकड़ो को निकालते हुए बोले “चौरसिया” “एक और चुना कम ज्यादा कत्था, पान बनारसी रूप कलकत्ता लगाओ” फिर बात आगे बढ़े।
चौरसिया ये पान हमरी तरफ से मिश्रा जी को – अहमद बोला।
मिश्रा जो ने घूम के देखा और हँसते हुए बोले अरे अहमद तू यंहा। अहमद हाँ पंडितजी आपको देखा तो रुक गये।
चौरसिया :- ई लीजिये आपका पान अहमद भाई की ओर से।
घनश्याम मिश्रा जी ने पान का बीड़ा मुंह में डाला और कुछ देर तक उसकी मिठास को चूसते हुए परम आनंद में गोते लगाते हुए बोले सुनो—
UCC का अर्थ है “Uniform Civil Code” जिसे हिंदी में “समान नागरिक संहिता” कहते हैँ। समान का अर्थ बराबर होता है अर्थात इस देश के प्रत्येक नागरिक को एकसमान अधिकार प्रदान किया जायेगा।
जैसे अहमद की ओर देखते हुए मिश्रा जी पूछे, अहमद कितनी बिबियां हैँ तुम्हारी —अहमद बड़े गर्व से कहता है, अभी तो तिन हैँ। फिर यही प्रश्न चौरसिया से पूछते हैँ मिश्रा जी तो चौरसिया पान का बीड़ा तैयार करते हुए बोलते हैँ अरे मिश्रा जी हमरी तो एक हि जोरू है।
घनश्याम जी पूछते हैँ, क्यों चौरसिया दूसरी जोरू क्यों नहीं लाये, अहमद का देखो इसकी तिन जोरू हैँ।
चौरसिया :- अरे मिश्रा जी मै आपकी तरह सनातन धर्म का हुँ, यदि पहली वाली के रहते मै दूसरी लेकर आवूंगा तो आपका कानून जेल में नहीं डाल देगा। अहमद का क्या है, ये तो मुसलमान है , ये चार जोरू रख सकता है। इतना कहकर चौरसिया जी ने एक लम्बी सांस छोड़ी और तैयार बीड़ा रहमान को देते हुए बोले ले भाई रहमान ये तेरा और ये चार तेरी चार बिबियों के लिए।
घनश्याम मिश्रा जी ने फिर दो उंगलियों के मध्य से पिचकारी पच्च से मारी और पान के पिक को कूड़ेदान में पहुंचाते हुए बोले , सुनो, अब सुनो..
अहमद और रहमान भी भारत के नागरिक और चौरसिया और मै भी भारत के नागरिक पर अहमद और रहमान चार निकाह कर सकते हैँ, बगैर पहली बीबी को तलाक दिये परन्तु मै और चौरसिया पहली पत्नी के रहते और उसे तलाक दिये बिना दूसरी शादी नहीं कर सकते।
अब यदि समान नागरिक संहिता लागू हो जायेगी तो या तो मै और चौरसिया भी चार चार शादियां कर पाएंगे या फिर अहमद और रहमान भी केवल एक हि निकाह कर पाएंगे।
यानी की अभी जो भेदभाव पिछले ७० वर्षो से हो रहा है वो खत्म हो जायेगा।
चलो एक दूसरा उदाहरण ले लो…
अहमद क्या तुम्हे शाह बानो याद है। अहमद पंडित जी कुरान, हदीस या शरियत में तो ये नाम नहीं सुना। रहमान बोला अरे अहमद भाई शाह बानो वो बुड्ढी नहीं थी जो अपने शौहर से तलाक मिलने पर कोर्ट चली गयी गुजारा भत्ता के लिए और कोर्ट ने उस बुड्ढी की बात मान ली और उसके शौहर को गुजारा भत्ता देने का फरमान जारी किया।
अहमद बोला अरे हाँ रहमान भाई, जिसका हम लोगों ने भरपुर विरोध किया और अपने राजीव भाई (राजीव गांधी) ने कोर्ट के आदेश को पलट दिया था।
घनश्याम मिश्रा हाँ मेरे कांग्रेस के दुलारो वही शाह बानो। अब तनिक सोचो चौरसिया यदि कोई मिश्रा, सिंह या चौरसिया अपनी पत्नी को न्यायलय के माध्यम से “डाइवोर्स” देता है तो उसे अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देना पड़ता है और वो देता भी है जिससे सनातन धर्म की उस नारी को अपना जीवन जिने के लिए सहारा मिल जाता है, परन्तु अहमद और रहमान के मजहब में ऐसा नहीं है वो तुरंत उनसे छुटकारा पा लेते हैँ जिससे उस महिला का जीवन झंडू हो जाता है।
अब यदि समान नागरिक संहिता लागू हो जायेगी तो ये भेदभाव भी खत्म हो जायेगा।
चलो एक और उदाहरण लेते हैँ
अहमद तुम्हारे कितने बच्चे हैँ? अहमद अरे मिश्रा जी अल्लाह की देन पूरे १७ बच्चे हैँ। मेरे अब्बा को २१ बच्चे थे। मै भी कम से कम पाँच बच्चे और अल्लाह से लूंगा।
रहमान तुम्हारे कितने बच्चे हैँ? अरे मिश्रा जी मेरे तो अभी १५ है १६वा मेरी चौथी बीबी के पेट में है इंशाअल्लाह जल्दी हि खुशखबरी आएगी।
चौरसिया तुम्हारे कितने बच्चे हैँ। अहमद बोला अरे चौरसिया साहेब पान लगाने में हि पूरा दिन निकाल देते हैँ तो कंहा से बच्चा होगा और ये कहकर दोनो जोर से हंसने लगते हैँ।
चौरसिया कुछ खिझ कर कहते हैँ, मिश्रा जी मेरे तो दो हि बच्चे हैँ और दोनो अच्छे स्कूल में पढ़ते हैँ।
घनश्याम मिश्रा:- अब सुनो समान नागरिक संहिता लागू होने पर सबको जनसंख्या के मामले पर एक समान नियमों का पालन करना पड़ेगा और इस प्रकार जनसंख्या पर भी नियंत्रण हो सकेगा।
उधर किसी ने ध्यान नहीं दिया कि वही धर्मेंद्र भी खड़ा है। वो घनश्याम मिश्रा जी की बात सुनकर थोड़ा घबड़ा सा गया। वो तुरंत भागते हुए गया और “हेमा मालिनी” के पास गया और बोला हेमा मै हिन्दु हुँ और हिन्दु रहते तुमसे शादी नही कर सकता क्योंकि मेरी पहली पत्नी जिंदा है और मै उसे तलाक भी नहीं दे सकता।
हेमा:- अरे धरम अब केवल एक हि रास्ता है, तुम इस्लाम स्वीकार लो फिर हमारी निकाह को कोई नहीं रोक सकता। धर्मेंद्र:- चलो इससे पहले की UCC लागू हो जाए, हम इस्लाम स्वीकार कर निकाह कर लेते हैँ। इस प्रकार हमारी शादी भी हो जाएगी और मुझे अपनी पहली पत्नी को अपनी मर्जी से जो भी देना होगा दे दूंगा।
अब अहमद और रहमान ये बाते सुन अपने अपने घर को चल दिये। अहमद जैसे हि अपने घर पहुंचा उसके १७ बच्चे और ३ बिबियाँ आयी और उसे घेर कर पूछने लगी हाय अल्लाह क्या हुआ जी, कुछ पता चला।
अहमद मेरी चौथी बीबी को लाने का प्रबंध करो, यदि उ सी सी आ गया तो मै चौथी निकाह नहीं कर पावूंगा। तब उसका बड़ा बेटा अब्दुल बोला ” अब्बू अब्बू यादी तुम्हारे चौथे निकाह के बाद उ सी सी आ गया तो…
अहमद अरे नामुराद फिर तुममें से कोई एक निकाह से ज्यादा निकाह नहीं कर पायेगा, मेरी तरह बच्चे पैदा नहीं कर पायेगा।
अब्दुल ओये नहीं रे ऐसा नहीं हो सकता मै मौलवी साहेब के पास जाता, उनको पूछता।
मौलवी साहेब के पास भिड़ जमा थी और वो UCC को भी CAA जैसा कुछ बता रहे थे….. कुछ उन्मादी नारे भी सुनाई दे रहे थे………… भिड़ कुछ CAA वाले मूड में आ रही थी।
इधर घनश्याम मिश्र और चौरसिया जी UCC के बारे में अपनी राय सरकार को भेजने की तैयारी में लग गये।
आपका का क्या विचार है?
अपने विचार सरकार तक पहुंचाए।