हे मित्रों इस लेख के प्रथम अंक में आपने देखा किकिस प्रकार यूक्रेन की जनता ने टीवी पर कॉमेडी करके हँसने और हँसाने का कार्य करने वाले एक कलाकार को अपना नायक मान लिया। यूक्रेन की जनता की भावनाये वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की के द्वारा बनाये गए आभाषी व्यक्तित्व से जुड़ गयी और उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति पोरोशेंको को हराकर ७३.२३ प्रतिशत वोट के साथ वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की को चुनाव जीतवा दिया। अब आइये देखते हैं की एक कॉमेडियन के पीछे छुपे अहंकारी व्यक्तित्व ने किस प्रकार यूक्रेन को नष्ट कर दिया।
इधर रूस के दुश्मन देश ब्रिटेन और अमेरिका के द्वारा झाड़ पर चढ़ाने (अर्थात झूठी प्रशंसा सुनने) के पश्चात तो वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की स्वयं को बाघ बहादुर समझने लगे और उन्होंने ब्लादिमीर पुतिन को चेतावनी देना शुरू कर दिया और यही नहीं उन्होंने टीवी के माध्यम से यूक्रेन और रूस दोनों देशो की जनता को ब्लादिमीर पुतिन के विरुद्ध भड़काना शुरू कर दिया। इन सबका परिणाम ये निकला की जो क्रोध ब्लादिमीर पुतिन ने अपने छाती में दबा रखा था, वो अब उफान मार कर बाहर आने लगा। वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की को पूरा विश्वाश था की ब्लादिमीर पुतिन द्वारा आक्रमण करने से पूर्व ही ब्रिटेन, अमेरिका, फ़्रांस, जर्मनी, चेक गणराज्य, इटली और ब्राजील जैसे देश उन्हें तुरंत पैसा और हथियार भेजना शुरू कर देंगे, जिसके दम पर वो रूस का सामना डटकर कर लेंगे।
अप्रैल २०२१ में, यूक्रेनी सीमाओं पर रूसी सैन्य बलो का जमाव शुरु हो गया जिसे देख वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन से बात की और NATO सदस्यों से सदस्यता के लिए यूक्रेन के अनुरोध को शीघ्रातिशीघ्र स्वीकार कर कार्यवाही पूरी करने का अनुरोध किया। परन्तु मित्रों अमेरिका सहित NATO के अन्य देशो को इस तथ्य का भलीभांति ज्ञान था कि, यदि यूक्रेन को NATO की सदस्य्ता दी गयी तो रूस विश्वयुद्ध छेड़ देगा, जिसके कारण पहले से ही डूबी हुई यूरपो की अर्थव्यवस्था पूर्णतया डूब जाएगी, अत: यूरोप को बचने के लिए NATO ने वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की को धोखा दे दिया और आज तक उसे NATO का सदस्य नहीं बनाया।
इसी बिच दिनाँक २६ नवंबर २०२१ को, ज़ेलेंस्की ने रूस और यूक्रेनी कुलीन रिनैट अख्मेतोव पर उनकी सरकार को उखाड़ फेंकने की योजना का समर्थन करने का आरोप लगाया। दिनांक २४ फरवरी २०२१ की सुबह ब्लादिमीर पुतिन ने आखिरकार घोषणा कर दी कि रूस, यूक्रेन के एक हिस्से डोनबास में “विशेष सैन्य अभियान” शुरू कर रहा है और रूसी मिसाइलों ने यूक्रेन में कई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया जिसके फलस्वरूप वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की ने पूरे देश में मार्शल लॉ घोषित कर दिया।
इधर यूक्रेन रूस के मिसाइलों से धधकने लगा, जीते-जागते, हँसते-खेलते शहर शमशान बनने लगे, निर्दोष जनता असमय काल का ग्रास बनने लगी, मासूम बच्चो की लाशे दिखने लगी, रोटी, कपड़ा ,मकान, दवा, बिजली और पानी सबके सब अचानक गायब होने लगे और उधर वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की को यूरोपीय और धूर्त देशो ने युध्दकालीन नेता के रूप में स्थापित करने लगे और वो मसखरा स्वयं को दुनिया का महान युद्धनेता समझने लगा और गौरवान्वित होने लगा। अपने देश को युद्ध की विभीषिका में झोंक कर व् जनता को मरने के लिए छोड़कर वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की अपना छाती फुलाए सभी यूरोपीय देशो का दौरा करने लगे और गोला बारूद,तोप, मिसाइल बेम, रॉकेट, लड़ाकू विमान, हेलीकाप्टर तथा मिसाइल रोधी तकनीक जुटाने लगे।
जब इतिहासकार एंड्रयू रॉबर्ट्स ने उनकी तुलना विंस्टन चर्चिल से की तो वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की और फूल के कुप्पा हो गये। हार्वर्ड पॉलिटिकल रिव्यू ने कहा कि ज़ेलेंस्की ने “पारंपरिक द्वारपालों को दरकिनार करते हुए इतिहास के पहले सही मायने में ऑनलाइन युद्धकालीन नेता बनने के लिए सोशल मीडिया की शक्ति का उपयोग किया है क्योंकि वह लोगों तक पहुंचने के लिए इंटरनेट का उपयोग करते हैं।” ये बाते सुनकर वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की ख़ुशी के सातवे आसमान पर पहुंच गए, पर वो भूल गए की उनका हँसता खेलता देश आज मातम मनाने के लिए विवश है इसके पीछे केवल और केवल उनका अपना अहंकार और ऐतिहासिक भूल है।
यही नहीं इंग्लॅण्ड जैसे धूर्त और मक्कार देशों ने उन्हें एक राष्ट्रीय नायक के रूप में वर्णित किया। द हिल, डॉयचे वेले, डेर स्पीगेल और यूएसए टुडे जैसे प्रकाशनों सहित कई टिप्पणीकारों द्वारा वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की को “वैश्विक नायक” का ख़िताब दिया जाने लगा। बीबीसी न्यूज़ और द गार्जियन ने बताया है कि आक्रमण के प्रति उनकी प्रतिक्रिया को उनके आलोचकों से भी प्रशंसा मिली है। और इन सभी ने मिलकर मसखरे वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की को एक ऐसे आभाषी दुनिया में पहुंचा दिया जंहा से वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की को अपने देश की बर्बादी और तिल तिल कर मर रही जनता का करुण रुदन नहीं दिख रहा। इतनी बर्बादी होने के पश्चात भी वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की ने दिनाक २८ फरवरी २०२२ को युद्ध के दौरान यूरोपीय संघ में सदस्यता के लिए आवेदन पर हस्ताक्षर करने के बाद यूक्रेनी लोगों के लिए अभिशाप को आमंत्रित किया।
दिनांक ७ मार्च २०२२ को, चेक राष्ट्रपति मिलोस ज़मैन ने “रूस के आक्रमण के सामने उनकी बहादुरी और साहस” के लिए ज़ेलेंस्की को चेक गणराज्य के सर्वोच्च राज्य पुरस्कार, ऑर्डर ऑफ़ द व्हाइट लायन से सम्मानित करने का निर्णय लिया। परन्तु प्रश्न ये उठता है की क्या ये सभी ख़िताब या पुरस्कार या सम्मान, यूक्रेन को पुरानी स्थिति में ला सकते हैं। क्या वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की की व्यक्तिगत उपलब्धियां यूक्रेनी जनता के मारे गए सगे संबंधियों और बच्चों को वापस ला सकते हैं।
मित्रो इस सम्पूर्ण विश्व में केवल भारत ही एकमात्र महाशक्ति था, जिसने रूस और यूक्रेन को युद्ध से दूर रहकर शांतिपूर्ण तरीके से अपनी हर समस्या का समाधान करने के लिए अनवरत प्रेरित करता रहा। भारत ने कभी भी भी युद्ध में किसी का भी पक्ष नहीं लिया। परन्तु रूस के लिए जंहा स्वभिमान का प्रश्न बन गया था यूक्रेन का NATO की ओर झुकाव, वंही वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की के अहंकार के कारण यूक्रेन ने इसे अपने नाक की लड़ाई मान लिया।
आज दिनांक १६ फरवरी २०२३ है अर्थात २४ फरवरी २०२१ को शुरू हुआ यह युद्ध आज तक जारी है और इसने यूक्रेन की पूरी अर्थव्यवस्था को लगभग खत्म सा कर दिया है। ब्रिटेन, अमेरिका, फ़्रांस और जर्मनी जैसे देशों का और वंहा की जनता का तो कुछ नहीं बिगड़ा परन्तु उनके बहकावे में आकर वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की ने अपने देश और जनता का सर्वनाश कर दिया। मित्रों युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं देता, यदि देता है तो केवल विध्वंश जो मानसिक, आर्थिक, सामाजिक और शारीरिक प्रत्येक रूप में सामने आता है।
इस सम्पूर्ण लेख का निचोड़ केवल इतना है की जनता को भी अपने देश का नेतृत्व चुनने हेतु उसी मार्गदर्शिका का पालन करना चाहिए जिसका पालना भारत की महान जनता करती है।
हमारे पवित्र पुस्तक श्रीमद भागवत गीता में भी प्रभु श्री कृष्ण अर्थात नारायण ने अर्जुन अर्थात नर को उपदेश देते हुए कहा कि हे पार्थ :-
अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं परिग्रहम्।
विमुच्य निर्ममः शान्तो ब्रह्मभूयाय कल्पते।।अध्याय १८ . श्लोक ५३।।
जो विशुद्ध (सात्त्विकी) बुद्धिसे युक्त, वैराग्यके आश्रित, एकान्तका सेवन करनेवाला और नियमित भोजन करनेवाला साधक धैर्यपूर्वक इन्द्रियोंका नियमन करके, शरीर-वाणी-मनको वशमें करके, शब्दादि विषयोंका त्याग करके और राग-द्वेषको छोड़कर निरन्तर ध्यानयोगके परायण हो जाता है, वह अहंकार, बल, दर्प, काम, क्रोध और परिग्रहका त्याग करके एवं निर्मम तथा शान्त होकर ब्रह्मप्राप्तिका पात्र हो जाता है। यदि संक्षेप में कहें तो “अहंकार, बल, दर्प, काम, क्रोध और परिग्रह को त्याग कर ममत्वभाव से रहित और शान्त पुरुष ब्रह्म प्राप्ति के योग्य बन जाता है”।। (Having abandoned selfishness, power, arrogance, anger and desire, possessing nothing of his own and having attained peace, he is fit to join the Eternal Spirit.)
और हम भारतीयों ने अपने देश का नेतृत्व ऐसे ही महान व्यक्ति के हाथो में सौंपा है, जो देश को सर्वोपरि और फिर उसके पश्चात जनता को नारायण मान कर उनकी सेवा करने हेतु सदैव तत्पर रहता है।