Friday, May 3, 2024
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क्या LIVE -IN रिलेशनशिप में “विवाह की प्रकृति” जैसे सम्बन्ध होते हैं? भाग-१

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Nagendra Pratap Singh
Nagendra Pratap Singhhttp://kanoonforall.com
An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.

श्रद्धा वालकर के जिसने ३५ टुकड़े किये, उसके साथ वो LIVE _IN रिलेशन में रह रही थी। निक्की यादव को जिसने मारकर अपने होटल के फ्रीजर में रखा था ताकि मौका पाते ही उसके छोटे छोटे टुकड़े अपने हाथो से करके उसकी कहानी को खत्म कर सके, उसके साथ वो LIVE _IN रिलेशन में रह रही थी। इसी प्रकार एक और महिला जो LIVE _IN रिलेशन में रह रही थी उसे उसके पार्टनर ने जला कर मार डाला। मित्रों मेरे पास अभी अभी एक केस आया है, जिसमे LIVE _IN रिलेशन में रहने वाली महिला ने अपने पार्टनर के ऊपर बलात्कार का आरोप लगाकर जेल में डलवा दिया है, अब वो जमानत पाने के लिए हाथ पैर मार रहा है, ये कुछ उदहारण हैं, जो LIVE _IN रिलेशनशिप की भयानकता को दर्शाते हैं।

अब चलिए देखते हैं की आखिर ये LIVE _IN रिलेशनशिप होता क्या है और भारत में इसका प्रचलन इतना जोरों पर कैसे हो रहा है:-

मित्रों हमारे सबसे पवित्र पुस्तकों में से एक मनुस्मृति है, जिसमे आठ प्रकार के विवाह का वर्णन किया गया है, (जो की ब्रह्म, दैव, आर्य, प्रजापात्य, आसुर, गांधर्व, राक्षस और पैशाच विवाह के नाम से जाने जाते हैं)। यंहा हम केवल दो प्रकार के विवाह का विश्लेषण करेंगे, जिसमे प्रथम विवाह है “असुर विवाह” और दूसरा है “गंधर्व विवाह”। आइये देखते हैं, इस मामले में मनुस्मृति कैसे और क्या कहती है?

मनुस्मृति अध्याय ३ श्लोक ३१

ज्ञातिभ्यो द्रविणं दत्वा कन्यायै चैव शक्तित:।

कन्याप्रदानं स्वछंदयादासुरों धर्म उच्यते।।

अर्थात कन्या अथवा कन्या की जाती वालों को धन देकर कन्या लेना “असुर विवाह” कहलाता है। अब आप स्वयं समझ सकते हैं कि इस  प्रकार का विवाह किस मजहब में होता है।

मनुस्मृति अध्याय ३ श्लोक ३२

इच्छयान्योन्यसंयोग: कन्यायाश्च वरस्य च।

गान्धर्व: स तु विज्ञेयो मैथुन्य: कामसंभव:।।  

अर्थात वर और कन्या परस्पर स्वच्छापूर्वक जो संयोग करें वह गंधर्व विवाह कहलाता है, दूसरे शब्दों में यदि कहें तो इच्छा से कन्या और वर का परस्पर में संयोग हो जाना गंधर्व है। परन्तु इसे कामवासना से उतपन्न संभोगजन्य संबंध समझना चाहिये।

तो मित्रों क्या LIVE -IN रिलेशनशिप भी एक प्रकार से गांधर्व विवाह का ही प्रारूप है। इसे समझने के लिए हमें LIVE -IN को समझना पड़ेगा। तो मित्रों जैसा की आप इस तथ्य से अवगत हैं कि “जब वयस्कता की निर्धारित उम्र को पूर्ण कर लेने वाले नर और मादा अर्थात स्त्री और पुरुष, विवाह के बंधन में बंधे बिना एक छत के निचे पति और पत्नी की भांति रहना स्वीकार कर एक साथ रहने की शुरुआत कर देते हैं तो यह कहा जाता है की वो LIVE -IN रिलेशन में हैं।”

अब महत्वपूर्ण प्रश्न ये है कि LIVE -IN रिलेशन की शुरुआत कैसे होती है? मित्रों आपने कई बार अखबारों में पढ़ा होगा या समाचार चैनलों के माध्यम से सुना होगा की अमुक अभिनेत्री अमुक अभिनेता के साथ डेंटिंग कर रही है या शारुख खान का सपूत अमिताभ बच्चन की पोती के साथ डेंटिंग कर रहा है या फिर मलाइका अरोरा खान अर्जुन कपूर के साथ डेंटिंग कर रही हैं, तो जिज्ञासा ये उत्पन्न होती है की आखिर ये डेटिंग होती क्या है और इसे करते कैसे हैं? मित्रों डेटिंग का अर्थ होता है किसी नर का किसी मादा के साथ कुछ समय बिताना यदि वो एक दूसरे के प्रति आकर्षित हैं तो।

मित्रों वो नर और मादा एक दूसरे के साथ रेस्टोरेंट में लंच अर्थात दोपहर के खाने के वक्त मिलते हैं या फिर शाम को कॉफी या चाय पिते या फिर देर रात को “पब और बार” इत्यादि में शराब का सेवन करते और एक दूसरे के साथ समय बिताते हुए पाए जाते हैं और फिर धीरे धीरे ये आकर्षण बढ़ता है और वो बिना विवाह के पवित्र बंधन में बंधे  एक चाट के निचे एक दूसरे के शारीरिक और मानसिक आवश्यकताओ को पूर्ण करते हुए रहना शुरू कर देते हैं और इस प्रकार डेंटिंग से LIVE -IN और फिर श्रद्धा वलकर की भांति ३५ टुकड़ो में बाँट कर इस रिश्ते का अंत हो जाता है या फिर एक दूसरे के आकर्षण में प्रतिकर्षण का अनुभव कर ये नर मादा ख़ुशी ख़ुशी अलग हो जाते हैं  फिर नए जोड़ीदार की तलाश में निकल जाते हैं।

मित्रों आपने सितम्बर, अक्टूबर और नवम्बर के महीने में अक्सर एक मादा कुतिया के पीछे कई नर स्वान को दौड़ लगाते हुए देखा होगा। उस मादा स्वान को कई नर स्वान अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करते हैं और अपने बाहुबल का भी प्रयोग करते हैं, पर मादा स्वान उन सभी नर स्वान के साथ सहवास नहीं करती अपितु वो जिस नर स्वान से आकर्षित होती है उसी के साथ सहवास करती है और एक शारीरिक और मानसिक उठापटक के पश्चात नर स्वान अपने मार्ग पर चला जाता है और मादा स्वान अपने मार्ग पर | मित्रों इस प्रकार इनका LIVE-IN रिलेशन का मर्यादा काल पूरा हो जाता है। परन्तु मित्रों यंहा मानव समाज के LIVE -IN और इन जानवरों के LIVE-IN में निम्न प्रकार का अंतर स्पष्ट दिखलाई पड़ता है:

१ :- नर स्वान मादा स्वान पर abortion अर्थात गर्भपात अर्थात बच्चा गिराने का दवाब नहीं डालता , वो उसकी पूरी जिम्मेदारी लेता है ;

२ :- मादा स्वान गर्भवती (Pregnant) होने पर इसे नर स्वान के पैरो की बेड़ियाँ नहीं बनाती अपितु स्वयं बच्चों को जन्म देने से लेकर उन्हें बड़े करने तक की पूरी जिम्मेदारी उठाती है;

३ :- स्वान प्रजाति का समाज मादा स्वान पर कभी कोई लांक्षन नहीं लगाता, अपितु मादा स्वान जिस समूह के साथ रहती है, वो समूह उसकी सुरक्षा करता है।

मित्रों उपर्युक्त तथ्यात्मक समझदारी मानव समाज में नहीं मिलती यदि एक दो अपवाद छोड़ दें तो, जी हाँ भारतीय अभिनेत्री सुश्री नीना गुप्ता और वेस्टइंडीज के सबसे प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाडी विवियन रिचर्ड्स ने LIVE-IN  में संसर्ग किया जिसके फलस्वरूप नीना गुप्ता गर्भवती हो गयी  और एक दिन मसाबा का जन्म हुआ, पर ना तो नीना गुप्ता ने कोई शिकायत की और ना विवियन रिचर्ड्स ने उसका साथ छोड़ा। तो मित्रों स्पष्ट है की भारत में प्राचीन समय में जो गंधर्व विवाह हुआ करता था वही आज का LIVE-IN रिलेशनशिप है। परन्तु यह सदैव याद रखने वाली विषय वस्तु है कि “गंधर्व विवाह” को न तो प्राचीन भारत में समाज के लिए हितकारी मन जाता था और ना LIVE-IN को आधुनिक भारत में समाज के लिए अच्छा मन जाता है।

अब आइये देखते हैं कि हमारा कानून इस विषय में क्या कहता है ?

लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी तौर पर शुरू से ही शून्य (VOID) माना जाता था, लेकिन वर्ष १९७८ में बद्री प्रसाद बनाम बोर्ड ऑफ कंसोलिडेटर्स के केस में  दिए गए एक फैसले के तहत प्रथम बार आदरणीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस तरह के रिश्ते को मान्य करार दे दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि  यदि विवाह की आवश्यकताएं जैसे मानसिक सुदृढ़ता, विवाह की कानूनी आयु की पूर्ति, आपसी सहमति, आदि सभी कारक संतुष्ट हैं, तो युगल (नर और मादा) को कानूनी रूप से लिव-इन रिलेशनशिप में माना जाता है और इस प्रकार का जोड़ा यदि लम्बे समय तक LIVE -IN रिलेशनशिप में रहता है तो उसे विवाहित भी माना जाता है यदि उनके रिश्ते को अन्यथा सिद्ध न कर दिया जाये अर्थात सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अगर एक पुरुष और एक महिला लंबे समय तक पति-पत्नी के रूप में LIVE -IN में रहते हैं तो उनके प्रति शादी की धारणा बनती है। “वेड-लॉक के पक्ष में एक मजबूत अनुमान उत्पन्न होता है जहां पति और पत्नी के रूप में पार्टनर लंबे समय तक एक साथ रहते हैं। हालांकि अनुमान खंडन योग्य है, एक सबुत का भार उस पर है जो रिश्ते को उसके कानूनी मूल से वंचित करना चाहता है।

वर्ष २००१ में, पायल शर्मा बनाम नारी निकेतन में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कानून और नैतिकता के बीच अंतर करते हुए फैसला सुनाया कि एक पुरुष और एक महिला का एक साथ रहना अवैध नहीं है। “इसलिए, वह एक वयस्क है और उसे कहीं भी जाने और किसी के भी साथ रहने का अधिकार है। हमारी राय में, एक पुरुष और एक महिला, बिना शादी किए भी, अगर वे चाहें तो एक साथ रह सकते हैं। इसे समाज द्वारा अनैतिक माना जा सकता है लेकिन यह अवैध नहीं है,”।

इसी प्रकार वर्ष २००६ में, लता सिंह बनाम यूपी राज्य (2006) 5 SCC 475  में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि एक साथ रहने वाले विपरीत लिंग के दो व्यक्ति कुछ भी अवैध नहीं कर रहे हैं। वर्ष २०१० में, एस खुशबू बनाम कन्नियाम्मल और अन्य में वर्ष २००६ में दिये गए फैसले को दोहराया और नोट किया कि “विषम यौन संबंध के दो वयस्कों के बीच लिव-इन संबंध कोई अपराध नहीं है (‘व्यभिचार’ के स्पष्ट अपवाद के साथ), भले ही इसे अनैतिक माना जा सकता है”।विदित हो कि व्यभिचार (Adultry) अपवाद भी अब अमान्य है क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्ष २०१८ में जोसेफ शाइन बनाम भारत संघ के मामले में व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था।

वर्ष २०१० में, वेलुसामी बनाम डी पच्चाईमल में सर्वोच्च न्यायालय ने लिव-इन रिलेशनशिप के वैध होने के मानदंड निर्धारित किए, जो लिव-इन रिलेशनशिप के सम्बन्ध में किसी विशिष्ट कानून के आभाव में ‘संहिताकरण’ के सबसे करीब है। सर्वोच्च न्यायालय ने निम्नलिखित मानदंड निर्धारित किए:

१:-पति-पत्नी के समान होने के नाते दंपति को खुद को समाज के सामने रखना चाहिए; २:-उन्हें शादी करने के लिए कानूनी उम्र का होना चाहिए; ३:-उन्हें अविवाहित होने सहित कानूनी विवाह में प्रवेश करने के लिए अन्यथा योग्य होना चाहिए; ४:-उन्होंने स्वेच्छा से सहवास किया होगा और एक महत्वपूर्ण अवधि के लिए जीवनसाथी के समान होने के नाते खुद को दुनिया के सामने रखा होगा इसलिए, कुछ लिव-इन रिलेशनशिप, जहां दो विवाहित व्यक्ति या एक विवाहित और एक अन्य अविवाहित व्यक्ति एक साथ रह रहे हैं, इनका कानूनी आधार नहीं होता है।

मित्रों इस अंक में इतना ही, अगले अंक में हम कुछ और मुद्दों पर प्रकाश डालेंगे, उसे अवश्य पढ़ें।

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