Saturday, October 5, 2024
HomeHindiमाँ की चिता की अग्नि को धढकती छोड़ अपने आप को संभालते हुए आज...

माँ की चिता की अग्नि को धढकती छोड़ अपने आप को संभालते हुए आज वो बिल्कुल अकेला कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ चला

Also Read

100 साल की उम्र में हीराबेन मोदी ने दुनिया को अलविदा कह दिया। वे अपने पूरे जीवनकाल में बहुत ही ज्यादा एक्टिव रही थीं, उन्होंने अपने बचपन से लेकर बुढ़ापे तक इसी फूर्ति के साथ काम किया। जब भी वे वोट डालने जाती थी एक आमजन की तरह लाइन पर लगकर ही अपना मतदान देती थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन संघर्ष के साथ गुजारा है। मोदी जी कई बार अपनी माँ से मिलने गुजरात जाय करते थे। इस बात को लेकर भी राजनितिक टिपणी करते लोगों ने उन्हें निशाना बनाया है। मोदी जी हमेशा अपनी माँ के जन्मदिन या अपने जन्मदिन पर उनसे मिलने जाया करते थे।

हीराबेन मोदी हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की माता जी हैं। जिनका 100 साल की उम्र में निधन हो चुका है। इन्होने देश को एक ऐसा शक्तिशाली राजनेता दिया है जिसनें भारत का नाम पूरे विश्वभर में फैला दिया है। हीराबेन का जन्म 18 जून 1922 को गुजरात के मेहसाणा में हुआ था। इनका विवाह बहुत ही कम उम्र में हो गया था। इनके पति का नाम दामोदरदास मूलचंद मोदी था और ये वडनगर में एक चाय विक्रेता थे। इनकी 6 संतानें हैं जिनमें 5 बेटे और 1 बेटी है इनका नाम अमृत मोदी, पंकज मोदी, नरेंद्र मोदी, प्रह्लाद मोदी, सोम मोदी और बिटिया बेन हंसुखलाल मोदी है। इनमें नरेंद्र मोदी जी तीसरे नंबर के हैं।

हीराबा के 100वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ब्लॉग में जानकारी देते हिए कहा था कि उनकी मां हीराबेन का जन्म गुजरात के मेहसाणा के विसनगर के पालनपुर में हुआ था, जो वडनगर के काफी करीब है। छोटी सी उम्र में, उसने अपनी मां को स्पेनिश फ्लू महामारी में खो दिया। हीराबेन को अपनी माँ का चेहरा या उनकी गोद का आराम भी याद नहीं है। उसने अपना पूरा बचपन अपनी माँ के बिना बिताया। वह अपनी मां की गोद में हम सब की तरह आराम नहीं कर सकती थी। वह स्कूल भी नहीं जा सकती थी और पढ़ना-लिखना सीख सकती थी। उनका बचपन गरीबी और अभावों में बीता।

घर का खर्चा चलाने के लिए दूसरे के घरों में बर्तन धोती थीं

उन्होंने उल्लेख किया था कि कैसे उनकी मां न केवल घर के सभी काम खुद करती हैं बल्कि घर की मामूली आय को पूरा करने के लिए भी काम करती हैं। वह कुछ घरों में बर्तन धोती थीं और घर के खर्चों को पूरा करने के लिए चरखा चलाने के लिए समय निकालती थीं। उन्होंने वडनगर के उस छोटे से घर को याद किया जिसकी छत के लिए मिट्टी की दीवारें और मिट्टी की टाइलें थीं, जहां वे अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ रहते थे। उन्होंने उन असंख्य रोजमर्रा की प्रतिकूलताओं का उल्लेख किया, जिनका सामना उनकी मां ने किया और सफलतापूर्वक उन पर विजय प्राप्त की।

जो आज मोदी कर रहे वही कभी योगी आदित्यनाथ और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया था आज इतिहास वर्तमान एक साथ जुड़ गया
ऐसे और उदाहरण चाहिए.

अप्रैल 2020 में कोरोना अपने उच्च स्तर पर था और तभी उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री महंत आदित्यनाथ योगी जी के पूर्वाश्रम (सन्यास से पूर्व) पिताजी का उत्तराखण्ड के पैतृक निवास पर निधन हो गया था।

योगी आदित्यनाथ जी ने अपने परिवार को एक पत्र लिखा कि “मैं आना चाहता हूं लेकिन मेरी प्राथमिकता प्रदेश की 21 करोड़ जनता को वैश्विक बीमारी से बचाना है,उन्ही सक्रियताओ के कारण नहीं आ पा रहा, मैं बाद में दर्शनार्थ आऊंगा।”

कुछ समय पहले हाल ही में योगी आदित्यनाथ जी अपने निवास पर गए और पिताजी की स्मृति को प्रणाम किया और परिजनों से मिले।
अटल जी का अंतिम समय सभी को स्मरण होगा। जब अटल जी की स्थिति गंभीर हो गई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण के बाद सीधे उन्हे देखने ही गए। बहुत बार गए। अंतिम यात्रा में कई किलोमीटर पैदल चलें, लेकिन अंतिम संस्कार के तुरंत बाद वे केरल में आयी भीषण बाढ़ का निरीक्षण और राहत कार्यों के लिए रवाना हो गए।

आज भी ऐसा ही है, प्रधानमंत्री का अपनी मां से लगाव तो पूरी दुनिया को पता है, किंतु फिर भी वे हम सामान्यजनों की तीसरे तक भी नहीं रुके, मुक्तिधाम से ही अपने तय कार्यक्रमों में व्यस्त हो गए और केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों से भी यही आग्रह किया।

साल 1909 में, सरदार वल्लब भाई पटेल की पत्नी गंभीर रूप से बीमार हो गईं और बॉम्बे/मुंबई के एक अस्पताल में उनका ऑपरेशन किया गया। हालांकि, वह इससे उबर नहीं पाई और इस बीमारी से उनकी मृत्यु हुई।

जब उनकी पत्नी का निधन हुआ तो सरदार वल्लब भाई पटेल आणंद की एक अदालत में वकालत कर रहे थे। उन्हें अपनी पत्नी की मृत्यु की खबर वाला एक नोट मिला, उन्होंने उसे पढ़ा, लेकिन मामले के अंत तक कोई संकेत दिए बिना अपने मामले को जारी रखा।

यह संवेदनहीनता का नहीं……कर्तव्य भाव की पराकाष्ठा का प्रतीक है। ये जोसरदार वल्लभ भाई पटेल योगी आदित्यनाथ नरेंद्र मोदी कर रहे वो हम अन्य देशवासियों को भी करने की जरूरत है।

रामायण धारावाहिक में रविंद्र जैन गाते है
“भावुकता से कर्तव्य बड़ा, कर्तव्य निभे बलिदानों से।
दीपक जलने की रीत नहीं, छोड़े डरकर तूफानों से।।”

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

- Advertisement -

Latest News

Recently Popular