सेवा में,
माननीय श्री राम नाथ कोविंद जी,
महामहिम राष्ट्रपति,
राष्ट्रपति भवन, नयी दिल्ली- 110004
विषय: भारतीय शरिया न्यायालय, नयी दिल्ली की स्थापना हेतु बधाई सन्देश
महोदय,
आशा है कि आपने भारतीय शरिया न्यायालय, नयी दिल्ली द्वारा, श्रीमती नुपुर शर्मा के मामले में, क़ुरान के अनुपालन एवं उसकी सीमा में, की गयी टिप्पणियां सुनी अथवा पढ़ी होंगी। चूँकि आप इस भारतीय शरिया न्यायालय में बैठे हुए मुल्लों, चोर उचक्कों एवं इस्लाम के सेवकों के नियोक्ता हैं, अतः आपको बधाई देना मेरा उत्तरदायित्व है। पूरे देश की नज़रों के सामने, चोरी चाकरी, जुगाड़, परिवारवाद एवं रिश्वत देकर शरिया न्यायालय में बैठे हुए इस्लामिक मुल्लों ने श्रीमती नुपुर शर्मा, जिनको हत्या एवं बलात्कार की धमकियां, देश के हर गली कुचे में रह रहे इस्लामिक जिहादियों से मिल रही हैं, को ही जिम्मेदार ठहराकर, इन भूखे राक्षसों के हवाले कर दिया। चूँकि आप ने ही इन मुल्लों को भारतीय शरिया न्यायालय में बिठाया है अतः मैं यह मानने को बाध्य हूँ कि इसमें आपकी भी सहमति है।
यह मेरे लिए शर्म का विषय है कि मेरे कर के पैसों से भारतीय शरिया न्यायालय में बैठे हुए मुल्लों को पाला जा रहा है एवं इन जिहादियों द्वारा गला काटने में इस्तेमाल किये गए चाकू पर मेरे भी हाथ के निशान हैं।
ऐसा प्रतीत होता है जिनको हमने रक्षक मानकर अपना मत दिया था, उनकी बंगाल की, लाशों वाली किताब में बहुत से कागज़ खाली रह गए हैं। ये सभी कागज़ कन्हैयालाल तेली, रिंकू शर्मा, उमेश कोल्हे, माखन लाल बिंदरू, वीरेन्द्र पासवान, सतिंदर कौर, दीपक चंद, अरबिंद कुमार साह, सुरेन्द्र कुमार सिंह, राहुल भट्ट, रणजीत सिंह, रजनी बाला, विजय कुमार एवं हजारों और लाशों के चित्रों से भरे जाने हैं, ताकि इस्लामिक तलवार का डर दिखाकर वोट लिया जाये। आशा करता हूँ कि श्रीमती नुपुर शर्मा का गला भी शीघ्र ही काट दिया जाये ताकि उनको प्रतिदिन मरने का डर न रहे एवं पार्टी की किताब भी पूरी हो जाये। 2024 चुनाव में ये किताब बहुत काम आनी है।
बाकी हम हिन्दुओं का क्या है, कुछ मारे जायेंगे, कुछ फिर जीने के लिए तलवार के बल पर मुसलमान बन जायेंगे, जैसा पिछले हज़ार वर्ष से चल रहा है। किन्तु यह स्मरण रहे कि फिर कोई सिरफिरा शिवाजी आयेगा जो इन शरिया न्यायालय में बैठे हुए इस्लामिक मुल्लों का बीच सड़क वध करेगा, इनके परिवारों को काटकर गली के श्वानों को खिलायेगा क्यूंकि आज हमें पता है कि जो समाज तलवार उठाने को अभ्यस्त होता है प्रशासन तथा शरिया न्यायालय में बैठे हुए इस्लामिक मुल्ले, उसके मामलो से हाथ जोड़ कर दूर रहते हैं।
हिन्दुओं ने बहुत सहन कर लिया, राम जन्म भूमि, कृष्ण जन्म भूमि, काशी विश्वनाथ, ऐसे लाखों मंदिर, जिहादियों द्वारा साप्ताहिक पत्थरबाजी कार्यक्रम, 1947, 1971, कश्मीरी पंडित नरसंहार, गोधरा, मुजफ्फरनगर, बंगाल, बहुत हो गया, बहुत लाशें गिन ली हिन्दुओं ने हिन्दुओं की। दही हांडी की उचाई बहुत नाप ली, पटाखों पर पानी बहुत डाल दिया।
अब और नहीं, आज सभी सीमायें लांघ दी गयी है तो अब हमारे बंधन खुलने का समय काफी करीब है। हमें एक सीमा से अधिक नहीं दबाया जा सकता, अब हर कदम पर प्रतिकार होगा। अभी सिर्फ धरने एवं प्रदर्शन हो रहे हैं, फिर कोई पागल खड़ा होगा जो जिहादियों के तरीकों से ही विरोध करेगा। जनता को पता है दिल्ली के सरकारी बंगलों में रहने वाले भारतीय शरिया न्यायालय के इस्लामिक मुल्ले कितने डरपोक हैं। हर रिश्वतखोर चोर उचक्का होता है। जैसे किसी गाँव में जब गांववाले एक दो चोरों को ईश्वर गामी कर देते हैं तो चोर उस गाँव की तरफ देखना भी बंद कर देते है। यही होगा। आशा करता हूँ ऐसा पागल शीघ्र ही आयेगा जो इनका वध करेगा और उसको मेरा एवं संपूर्ण हिन्दू समाज का समर्थन रहेगा। आपका शुभेक्षु