Friday, March 29, 2024
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The Prevention of Money-Laundering Act, 2002 (धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002) भाग-१

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Nagendra Pratap Singh
Nagendra Pratap Singhhttp://kanoonforall.com
An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.

मित्रो, आपने उपरोक्त अधिनियम के बारे में तो सुना ही होगा ये अधिनियम समाज के उन सफेदपोश कठमुल्लो के लिए अस्तित्व में लाया गया है जो बड़े ही शातिर तरीके से अपने आपराधिक और अवैधानिक गतिविधियों से कमाए गए (काली कमाई) धन को सफ़ेद अर्थात वैध कमाई में बदल देते हैं और सरकार को भारी मात्रा में राजस्व (कर) का चूना लगाते हैं।

आइये देखते हैं ये Money  Laundering अर्थात धन शोधन अर्थात काली कमाई को वैध कमाई में कैसे बदला जाता है।

दोस्तों जैसा की आप जानते हैं कि मुख़्तार अंसारी, दावूद इब्राहिम, अबू सलेम, हाफिज सईद, सलाहुद्दीन, कांग्रेस के कई बड़े नेता, विजय माल्या इत्यादि जैसे माफिया, आतंकवादी, भ्रष्टाचारी और चोर व्यापारी बड़ी संख्या में आपराधिक कृत्यों को अंजाम देते हैं क्योंकि ये आपराधिक और आतंकी कृत्य इन लोगों या इनके द्वारा बनाये समूह के लिए लाभ उत्पन्न करते है और मनी लॉन्ड्रिंग इन आपराधों से प्राप्त होने वाली आय से उनके अवैध (आपराधिक) श्रोत/मूल को छिपाने की एक प्रक्रिया है या एक प्रसंस्करण है। यह प्रक्रिया महत्वपूर्ण महत्व की है, क्योंकि यह अपराधी को अपने स्रोत को खतरे में डाले बिना इन लाभों का आनंद लेने में सक्षम बनाती है।

उदहारण के लिए अवैध हथियारों की बिक्री, तस्करी, और संगठित अपराध की गतिविधियों, मादक पदार्थों की तस्करी और वेश्यावृत्ति के धंधे से  बड़ी मात्रा में अवैधानिक आय या काली कमाई की जा सकती है। इसी प्रकार अपहरण कर फिरौती, गबन, इनसाइडर ट्रेडिंग, रिश्वतखोरी और कंप्यूटर धोखाधड़ी योजनाएं भी बड़े मुनाफे का उत्पादन करती हैं और मनी लॉन्ड्रिंग इन गलत तरीके से प्राप्त लाभ को “वैध” करने के लिए प्रोत्साहन पैदा करती है।

मनी लॉन्ड्रिंग की प्रक्रिया तीन चरणों में पूरा की जाती है जो निम्न प्रकार से है:-

मनी लॉन्ड्रिंग के प्रारंभिक- या प्लेसमेंट– चरण में, लॉन्डरर अपने अवैध मुनाफे को वित्तीय प्रणाली में पेश करता है। यह बड़ी या भारी मात्रा में नकदी को छोटी-छोटी नकदी  में तोड़कर या मौद्रिक उपकरणों (चेक, मनी ऑर्डर, आदि) की एक श्रृंखला खरीदकर एकत्र किया जाता है और दूसरे स्थान पर स्थित कई बैंक खातों में जमा किया जाता है।

धन के वित्तीय प्रणाली में प्रवेश करने के बाद, दूसरा- या लेयरिंग– चरण होता है। इस चरण में, लॉन्डरर काली कमाई अर्थात अवैध धन को अपने आपराधिक स्रोत से दूर करने के लिए धन के रूपांतरण या संचलन की एक श्रृंखला में संलग्न होता है। धन को निवेश उपकरणों की खरीद और बिक्री के माध्यम से प्रसारित किया जा सकता है, या लॉन्डरर दुनिया भर के विभिन्न बैंकों में खुले खातों की एक श्रृंखला के माध्यम से धन को आसानी से आर -पार कर सकता है। लॉन्ड्रिंग के लिए व्यापक रूप से बिखरे हुए खातों का यह उपयोग उन देशो  में विशेष रूप से प्रचलित है जो मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी जांच में सहयोग नहीं करते हैं। कुछ उदाहरणों में, लॉन्डरर माल या सेवाओं के भुगतान के रूप में स्थानांतरण को छिपा सकता है, इस प्रकार उन्हें एक वैध रूप दे सकता है।

पहले दो चरणों के माध्यम से अपने आपराधिक मुनाफे को सफलतापूर्वक संसाधित करने के बाद, लॉन्डरर उन्हें तीसरे चरण में ले जाता है – एकीकरण– जिसमें धन वैध अर्थव्यवस्था में फिर से प्रवेश करता है। लॉन्डरर रियल एस्टेट, लग्जरी एसेट्स या बिजनेस वेंचर्स में फंड का निवेश करना चुन सकता है।

इसे एक उदाहरण से समझते है। चिदमबरम एक भ्रष्टाचारी है उसने भ्रष्टाचार के माध्यम से हजारों करोड़ की काली कमाई की है अब वो इसे सफ़ेद अर्थात वैध कैसे बनाएगा।

इसके लिए वो क्या करता है की कई कम्पनिया वो दुनिया के कई देशों में खोल लेता है जो केवल कागज़ पर कार्य करती है इन्हें CEll कम्पनियाँ कहते है। अब समझ लीजिये की चिदंबरम भारत में कोई व्यवसाय करता है तो वो अपने व्यवसाय से जुड़ी कई वस्तुओं की खरीदारी अपनी विदेशी कंपनियों के माध्यम से करता है और १०० रुपये की वस्तु को वो १०००० रुपये  या १०००० रुपये में खरीदता है और उन कंपनियों को भुगतान करता है, इस प्रकार विदेशो में खोली गयी अपनी सेल कंपनियों के बैंक खातों में वो अपनी काली कमाई का पूरा हिस्सा स्थानांतरित कर देता है और फिर वही सेल कंपनियां भारत में स्थित चिदंबरम की मूल कंपनी में  FDI के रूप में सारा पैसा फिर से निवेश कर देती हैं, इस प्रकार चिदंबरम अपनी काली कमाई को सफ़ेद अर्थात वैध बनाने में कामयाब हो जाता है।

इसका दूसरा उदाहरण देखिये इमरान खान और नवजोत सिंह भ्रष्टाचार से हजारो करोड़ की काली कमाई करते हैं और फिर उस रकम को कई छोटे छोटे टुकड़ो में तोड़कर पहले वो पाकिस्तान में बैठे अपने कई दोस्तों के खातों में स्थानांतरित करते हैं फिर वंहा से उनके दोस्त सारा पैसा कैश में निकालकर बांग्लादेश में स्थित अपने दोस्तों के खातों में जमा कर देते हैं फिर बांग्लादेशी भी वंहा से कैश निकालकर सऊदी अरब में रहने वाले दोस्तों के खातों में जमा कर देते हैं और वंहा से वो पैसे बहरीन में अलग अलग बैंक खतों में जमा हो जाते हैं, अब कैश में पैसे निकल जाने के कारण उनका मूल स्त्रोत ढूढ़ना बड़ा मुश्किल हो जाता है। अब इमरान और नवजोत बहरीन में रहने वाले अपने दोस्तों के माध्यम से अपनी  काली कमाई को भारत में इनके इच्छा अनुसार निवेश करवा देते हैं इस प्रकार इनकी काली कमाई वैध होकर इनके पास वापस आ जाती है। विजय माल्या ने भी सेल कंपनियों के माध्यम से सरकार और बैंकों को बहुत चूना लगाया।

अंतर्राष्ट्रीय पहल

मनी लॉन्ड्रिंग पर बढ़ती चिंता के जवाब में, एक समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया विकसित करने के लिए 1989 में फ्रांस के  पेरिस में जी -7 देशों का एक  शिखर सम्मेलन  हुआ और इस सम्मलेन के द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के रोकथाम और मनी लॉन्ड्रिंग करने वाले देशों पर कड़ी नजर रखने हेतु “वित्तीय कार्रवाई कार्य बल” (एफएटीएफ) की स्थापना की गई। एफएटीएफ के पहले कार्यों में से एक था कुल मिलाकर 40 की संख्या में प्राप्त सिफारिशों को विकसित करना, जो उन उपायों को निर्धारित करता है जो राष्ट्रीय सरकारों को प्रभावी धन-शोधन विरोधी कार्यक्रमों को लागू करने के लिए करना चाहिए।

राजनीतिक घोषणा और कार्रवाई का वैश्विक कार्यक्रम के दौरान, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा फरवरी, 1990 के तेईसवें दिन अपने सत्रहवें विशेष सत्र में संकल्प एस-17/2 को अपनाया गया और 8 से 10 जून, 1998 को आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र द्वारा अपनाई गई राजनीतिक घोषणा द्वारा  सदस्य राज्यों से राष्ट्रीय धन शोधन कानून और कार्यक्रम को अपनाने का आह्वान किया गया।

उक्त संकल्प और घोषणा को लागू करना अति आवश्यक समझा गया अतः भारत गणराज्य के तिरपनवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियम अधिनियमित किया गया: “धन शोधन को रोकने के लिए और धन शोधन से प्राप्त या इसमें शामिल संपत्ति की जब्ती और उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए यह एक अधिनियम।

अब आइये देखते हैं की यह अधिनयम  “MONEY-LAUNDERING” अर्थात “धन शोधन” (जिसका सीधा अर्थ होता है “काले (अवैध) धन को (सफ़ेद) वैध बनाना”) को परिभाषित कैसे करता है:-

धारा २(१) (प) के अनुसार “धन शोधन” का अर्थ धारा ३ में दिया गया है;- अब धारा ३ के लिए हमें इस अधिनियम के अध्याय २ में जाना पड़ेगा।

अध्याय

धारा ३ के अनुसार :-धन शोधन का अपराध।—जो कोई भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आपराधिक कृत्य द्वारा प्राप्त आय को छुपाने, कब्जा करने, अधिग्रहण करने या उपयोग करने और इसे बेदाग संपत्ति के रूप में पेश करने या दावा करने में  लिप्त होने का प्रयास करता है या जानबूझकर सहायता करता है या जानबूझकर इस आपराधिक आय को अर्जित करने में  एक पार्टी है या वास्तव में इस आपराधिक आय को अर्जित करने के दौरान की गयी किसी भी प्रक्रिया या गतिविधि से जुड़ा हुआ है तो मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का दोषी माना जाएगा।

स्पष्टीकरण—शंकाओं को दूर करने के लिए एतद्द्वारा यह स्पष्ट किया जाता है कि—

(i) कोई व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का दोषी होगा यदि ऐसा व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आपराधिक कृत्य से आय अर्जित करने में लिप्त होने का प्रयास करता है या जानबूझकर सहायता करता है या जानबूझकर एक पार्टी है या वास्तव में निम्नलिखित में से एक या अधिक प्रक्रियाओं या गतिविधियों से जुड़ा हुआ है अर्थात्:-

(ए) आपराधिक कृत्य से अर्जित आय को छिपाना; या

(बी) आपराधिक कृत्य से अर्जित आय पर कब्जा; या

(सी) आपराधिक कृत्य से अर्जित आय का अधिग्रहण; या

(डी) आपराधिक कृत्य से अर्जित आय उपयोग; या

(ई) आपराधिक कृत्य से अर्जित आय को बेदाग संपत्ति के रूप में पेश करना; या

(च) आपराधिक कृत्य से अर्जित आय को बेदाग संपत्ति के रूप में दावा करना,

किसी भी रूप में;

(ii) अपराध की आय से जुड़ी प्रक्रिया या गतिविधि एक सतत गतिविधि है और ऐसे समय तक जारी रहती है जब तक कि कोई व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपराध की आय को छुपाकर या कब्जा या अधिग्रहण या उपयोग या इसे बेदाग संपत्ति के रूप में पेश कर रहा है या इसका दावा कर रहा है।

धारा ४ के अंतर्गत धन शोधन के लिए दंड का प्रावधान है—जो कोई धन शोधन का अपराध करेगा, वह कठोर कारावास से, “जिसकी अवधि तीन वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जो सात साल तक बढ़ाया जा सकता है” दण्डित किया जायेगा।

बशर्ते कि जहां धन शोधन में शामिल अपराध की आय अनुसूची के भाग ए के पैराग्राफ 2 के तहत निर्दिष्ट किसी भी अपराध से संबंधित है, इस धारा के प्रावधान प्रभावी होंगे और सजा की अवधी को  दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है”।

इस भाग में इतना ही इसके पश्चात के प्रावधानों का विश्लेषण हम अगले भाग में करेंगे।

Nagendra Pratap Singh ([email protected])

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