आज हम पूरे विश्व में चाहे वो बांग्लादेश हो या पाकिस्तान कश्मीर हो या बंगाल/केरल हिन्दूओ को नरसंहार किया जा रहा हैं हमारे मंदिर को जलाया जा रहा हैं तो इसके पीछे का मुख्य कारण हम हिन्दूओ में एकता न होना हैं। बड़ी ही चालाकी से वर्ण व्यवस्था को जाति व्यवस्था में बदलकर हिन्दूओ की एकता को तोड़ा गया। इसके अलावा भी बहुत सी साजिशे रची गई हमारी वैदिक संस्कृति को नष्ट करने जिनमे से कुछ के बारे में हम आगे के लेख में चर्चा करेंगे।
गलत इतिहास
अगर हम भारतीय इतिहास के ओर गौर करे तो इसमें हमे विदेशी आक्रमणकारीयो का क्रूरता को बताया ही नहीं गया। हमें यह भी नहीं बताया गया की उनका असली उद्देश्य न सिर्फ यहाँ शाषण कर लूट पाट करना था बल्कि हमारे सनातनी संस्कृति को नष्ट कर अपने मजहब को हमारे ऊपर थोपना भी था। आक्रमणकारी खुद अपने जीवनी में लिखे गए किताबें में बड़े गर्व के साथ बताते नहीं थकते की कैसे उन्होने कितने मंदिरो को कब और कहाँ तोड़ा और उन मंदिरो में स्थापित मूर्तियो को विखंडित कर उनके टुकड़ों को कहाँ कहाँ भेजा गया।
लेकिन बड़े आश्चर्य की बात हैं ऐसा हमारे वामपंथी इतिहासकारो को कहीं नहीं मिला; या यह कह सकते हैं की उन्होने बड़ी चालाकी से इस सच्चा इतिहास को छुपाकर इन आक्रमणकारीयो को महान बताने की कोशिश की। उन्होने हमसे यह भी छिपाया की कैसे इन विदेशीयों ने सिर्फ धर्म के नाम पर हम सनातनीयो या उनके भाषा में काफिरो को नरसंहार किया गया।
ऐसा उन्होने इसलिए किया ताकि हम इतिहास से कुछ न सिखे और अतीत में की गई गलतियों को दोहराते हुए उनका चारा बने रहें।
उन्होने हमें हमारे महापुरुषो और उनके वीरता के बारे में बताना भी जरूरी नहीं समझा उन्होने इन महापुरुषो के वीरता, बलिदान, और संघर्ष को न बताकर हमें कायर बनाने की खूब कोशिश की।
उन्हें इस बात की अच्छी तरह से ज्ञान था की अगर हम इन विदेशीयों के धर्मांध अत्याचार या अपने वीर पुरुषो के बारे में न जाने तो हमे मारना या हमारा धर्मांतरण करना ज्यादा मुश्किल नहीं होने वाला हैं।
इसाइयों ने भी हम पर बहुत अत्याचार किए गोवा इंक्वेजेशन के बारे में आप जान जाओगे तो इन इस्लामी आक्रांताओ द्वारा किया गया अत्याचारो को भी कम ही पाओगे।
अपने धर्म को न जानना
ब्रिटिशो ने अपने शाषण काल के दौरान भारत की प्राचीन गुरूकुल व्यवस्था को बन्द कर अंग्रेजी शिक्षा पद्धति लागू किया। जिससे वो अपने लिए नौकर तैयार कर सके, क्योंकि गुरूकुल के होते हुए ऐसा होना असंभव था। गुरूकुल के बंद होने के कारण सनातनी धीरे धीरे अपने धर्म ग्रंथो से दूर हो गए और बड़ी ताज्जुब की बात है कि हम अभी भी उस अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था को ही ढोकर चल रहे हैं।
दरअसल गुरूकुल के बंद होने से पहले ही इस्लामी सूफी संतो के समय से ही हिन्दूओ को अपने धर्म से दूर करने का षडयंत्र शुरू हो गया था। और समय समय पर साईं जैसे ढ़ोगीयो को हिन्दूओ के देवता के तौर पर पेश किया गया और हिन्दू वेदो से दूर होते चले गए और लोगो कि आस्था मजारो में और साई जैसे ढ़ोगीयो में ज्यादा होने लगी।
आज आपको न के बराबर हिन्दूओ के पास वेद या गीता मिलेंगे। जिस कारण हम अपने धर्म को ही सही से न जान पाते हैं तो दूसरो को क्या समझाएंगे और इसीलिए जिहादी और मशीनरी आसानी से हमें बहला फुसलाकर धर्मांतरित कर लेते हैं।
दूसरे मजहब को न जानना
हमारी एक और कमजोरी यह हैं कि हम सभी धर्मो को एक ही मानते हैं। दरअसल हमारे कई सारे तथाकथित महापुरुषो द्वारा हमारे मन में जानबूझकर ऐसी बाते डाली गई कि सभी धर्म एक हैं ताकि हम उनपर भरोसा करते रहे और वह भी हमें आसानी से चारा बना सके।
आज के इस युग में हमे अपने धर्म के साथ साथ दूसरे के मजहबो को जानना भी इसलिए आवश्यक हैं क्योंकि इससे हमें इस बात का ज्ञान मिलता हैं कि वे हमसे किस हद तक नफरत करते हैं। और यही नफरत का नतीजा हम बांग्लादेश कश्मीर और भारत के दूसरे मुस्लिम बहुल इलाकों में देख सकते हैं।
सेकुलर हिन्दू और वामपंथी हिन्दू
उपरोक्त सभी कारण आम हिन्दू को सेकुलर बनाने के लिए काफी हैं। सेकुलर हिन्दू अपनी अज्ञानता के कारण ही सभी धर्मो को एक ही चश्मे से देखता हैं और उनका चारा बन जाता हैं।
पर इन सबसे ज्यादा घातक वामपंथी हैं। वास्तव में वामपंथ सनातन संस्कृति को दीमक की तरह अंदर ही अंदर खोखला करती जा रही हैं। ये वामपंथी लोगो को अपने ही संस्कृति और धर्म से नफरत करना सिखाते हैं और इनकी पूरी लौबी लगी हुई हैं एक दूसरे के झूठ को बढ़ावा देने और एक दूसरे को बचाने में आज की प्रिंट मीडिया हो, टी वी पर मीडिया हो या सोशल मीडिया सभी पर इन वामपंथीयो का ही कब्जा बना हुआ हैं, जो की आज के समय में किसी भी धर्म या संस्कृति का नाश करने के लिए सबसे घातक हथियार हैं।
पैसो के पीछे भागना
आज के हिन्दू के लिए पैसा ही सबसे बड़ा हो गया हैं। चाहे इसके लिए उसे अपने आप को ही क्यों न बेचना पडे़। इसका सबसे प्रमुख उदाहरण बॉलीवुड हैं जहां सिर्फ चंद पेसो के लिए लोग किसी भी हद तक गीर सकते हैं।
इतनी साजिशो के बावजूद सनातन संस्कृति को वो खत्म नहीं कर पाए और आगे भी हम उनको कामयाब नहीं होने देंगे। बस इसके लिए हर एक हिन्दू को अपने अपने स्तर पर लोगो को जागरूक करने में लगा रहना होगा।