भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता २०१६ (IBC) क्या है: पंचम भाग
मित्रों इसके पूर्व के चार भागों में हमने ये जाना की आखिर “भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता २०१६ (IBC)” को लागू करने की आवश्यकता क्यों पड़ी, कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) क्या होती है, इसके प्रावधान क्या -क्या हैं और समाधान पेशेवर (Resolution Professionals) की नियुक्ति कैसे होती है, फिर हमने देखा की परिसमापक (Liquidator) कौन होता है और Liquidation क्या है? अब हम इस भाग में देखेंगे की परिसमापन (Liquidation) की प्रक्रिया कैसे होती है।
धारा 33: परिसमापन की शुरुआत।
उप-धारा (१) जहां न्यायनिर्णायक प्राधिकारी, –
(ए) दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) अवधि (१८० दिन) की समाप्ति से पहले या धारा १२ के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अनुमत अधिकतम अवधि (१८० + ९० दिन ) की समाप्ति से पहले या धारा ५६ के तहत फास्ट ट्रैक कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया की न्यूनतम अवधि (९० दिन या अधिकतम अवधि (९०+४५ दिन ) की समाप्ति से पहले, जैसा भी मामला हो, कोई दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) के सन्दर्भ में धारा 30 की उप-धारा (6) के तहत समाधान योजना प्राप्त नहीं होता है; या
(बी) धारा 30 की उप-धारा (6) के तहत समाधान योजना तो प्राप्त होता है परन्तु उसमें निर्दिष्ट आवश्यकताओं के गैर-अनुपालन के लिए धारा ३१ के तहत समाधान योजना को अस्वीकार करता है, तो ऐसी परिस्थिति में :-
(i) इस अध्याय में निर्धारित तरीके से कॉर्पोरेट देनदार (यंहा VIDEOCON) को परिसमाप्त (LIQUIDATE) करने की आवश्यकता वाला एक आदेश पारित करेगा ;(ii) एक सार्वजनिक घोषणा (PUBLIC ANNOUNCEMENT) जारी कर बताएगा कि कॉर्पोरेट देनदार (CORPORATE DEBTOR यंहा VIDEOCON) परिसमापन (LIQUIDATION) में है; तथा (iii) ऐसे आदेश को उस प्राधिकरण को भेजेगा, जिसके साथ कॉर्पोरेट देनदार (CORPORATE DEBTOR यंहा VIDEOCON) पंजीकृत है। अब चूँकि VIDEOCON एक कंपनी है अत: इसके लिए आदेश की प्रति ROC (Registrar of Companies) को भेजेगा।
(२) जहां समाधान पेशेवर (Resolution Professional), किसी भी समय कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP)के दौरान लेकिन समाधान योजना Resolution Plan) की पुष्टि (Approval) से पहले, लेनदारों की समिति (Committee of Creditors i.e. COC ) के द्वारा ६६% मतों से कॉर्पोरेट देनदार को समाप्त करने हेतु लिए गए निर्णय के बारे में निर्णायक प्राधिकरण को सूचित करता है तो ऐसी परिस्थिति में न्यायनिर्णायक प्राधिकरण (Adjudicating Authority) उप-धारा (1) के खंड (बी) के उप-खंड (i), (ii) और (iii) में निर्दिष्ट एक परिसमापन आदेश (Order for Liquidation) पारित करेगा।
(३) जहां न्यायनिर्णयन प्राधिकरण [धारा ३१ के तहत या धारा ५४ एल की उप-धारा (१) के तहत] द्वारा अनुमोदित संकल्प योजना (Approved CIRP Resolution Plan) का उल्लंघन संबंधित कॉर्पोरेट देनदार द्वारा किया जाता है तो इस परिस्थिति में कॉर्पोरेट देनदार (यंहा Videocon) के अलावा इस तरह के उल्लंघन से प्रभावित कोई भी व्यक्ति, जिसके हित (Interest) पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं, उप-धारा (1) के खंड (बी) के उप-खंड (i), (ii) और (iii) में निर्दिष्ट परिसमापन आदेश के लिए न्यायनिर्णायक प्राधिकारी (Adjudicating Authority यंहा NCLT) को आवेदन कर सकते हैं।
(४) उप-धारा (३) के तहत एक आवेदन प्राप्त होने पर, यदि निर्णायक प्राधिकरण यह निर्धारित करता है कि कॉर्पोरेट देनदार ने संकल्प योजना के प्रावधानों का उल्लंघन किया है, तो वह उप-धारा (1) के खंड (बी) के उप-खंड (i), (ii) और (iii) में निर्दिष्ट एक परिसमापन आदेश पारित करेगा।
(५) धारा ५२ के अधीन, जब एक परिसमापन आदेश पारित किया गया है, तो जब तक परिसमापन की प्रक्रिया समाप्त नहीं हो जाती तब तक कॉर्पोरेट देनदार द्वारा या उसके खिलाफ कोई मुकदमा या अन्य कानूनी कार्यवाही नहीं की जाएगी:-बशर्ते कि निर्णायक प्राधिकरण के पूर्व अनुमोदन से, कॉरपोरेट देनदार की ओर से परिसमापक (Liquidator) द्वारा कोई मुकदमा या अन्य कानूनी कार्यवाही शुरू की जा सकती है।
(६) उप-धारा (५) के प्रावधान ऐसे लेनदेन के संबंध में कानूनी कार्यवाही पर लागू नहीं होंगे, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा किसी वित्तीय क्षेत्र के नियामक के परामर्श से अधिसूचित किया जा सकता है।
तो दोस्तों ये वो परिस्थितियाँ हैं जिनके अंतर्गत एक कारपोरेट के विरुद्ध उसके परिसमापन (Liquidation) की प्रक्रिया आरम्भ की जा सकती है। अब हम देखते हैं की आखिर परिसमापन के अंतर्गत न्यायनिर्णायक प्राधिकारी (Adjudicating Authority यंहा NCLT) क्या- क्या कार्यवाही करता है।
धारा 34- परिसमापक की नियुक्ति और भुगतान किया जाने वाला शुल्क।
सबसे पहले कारपोरेट देनदार (Corporate Debtor) के परिसमापन (Liquidation) हेतु एक परिसमापक (Liquidator) की नियुक्ति की जाएगी। इसके लिए धारा ३४ के उप धारा (१) अनुसार “जहां न्यायनिर्णायक प्राधिकरण धारा ३३ के तहत कॉर्पोरेट देनदार के परिसमापन के लिए एक आदेश पारित करता है, तब वह अध्याय II के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) के लिए या अध्याय III-ए के तहत पूर्व-पैक दिवाला समाधान प्रक्रिया (the pre-packaged insolvency resolution process) के लिए नियुक्त समाधान पेशेवर (RP)द्वारा लिखित सहमति प्रस्तुत करने पर उसे ही परिसमापक (LIQUIDATOR) के रूप में कार्य करने के लिए नियुक्त करेगा या
धारा ३४ के उप धारा (४) अनुसार न्यायनिर्णायक प्राधिकरण द्वारा अध्याय II के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) के लिए या अध्याय III-ए के तहत पूर्व-पैक दिवाला समाधान प्रक्रिया (the pre-packaged insolvency resolution process) के लिए नियुक्त समाधान पेशेवर (RP) को प्रतिस्थापित करके नए दिवाला समाधान पेशेवर (IRP) की नियुक्ति परिसमापक (Liquidator) के रूप में की जाएगी।
धारा 35- परिसमापक की शक्तियां और कर्तव्य।
अब यंहा पर कारपोरेट देनदार (यंहा Videocon) के परिसमापन के लिए नियुक्त परिसमापक के लिए कुछ कर्तव्य निर्धारित किये गए हैं तथा उसको परिसमापन (Liquidation) का कार्य पूर्ण करने हेतु कुछ शक्तियां प्रदान की गयी हैं अत: परिसमापक (Liquidator) को अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए और दी गयी शक्तियों के अधीन रहकर ही परिसमापन का कार्य पूरा करना होगा।
धारा ३६ – “Estate of Assets” परिसमापन सम्पत्ति।
(१) के अनुसार नियुक्त किया गया परिसमापक (Liquidator) कॉर्पोरेट देनदार (यंहा Videocon) के परिसमापन (Liquidation) के प्रयोजनों के लिए उप-धारा (३) (a) से (३)(i) में उल्लिखित संपत्तियों का एक “Estate of Assets” तैयार करेगा, जिसे कॉर्पोरेट देनदार के संबंध में परिसमापन संपत्ति (Liquidation Assets) कहा जाएगा। (२) परिसमापक सभी लेनदारों के लाभ के लिए परिसमापन संपत्ति को एक प्रत्ययी के रूप में धारण करेगा (The liquidator shall hold the liquidation estate as a fiduciary for the benefit of all the creditors)। (३) उप-धारा (४) में उल्लेखित सम्पत्तियों के अलावा, परिसमापन संपत्ति (Liquidation “Estate of Assets”) में सभी परिसमापन संपत्ति शामिल होगी जिसका उल्लेख उपधारा ३ (a) से ३(i) में किया गया है।
धारा ३७ -सूचना तक पहुँचने के लिए परिसमापक की शक्तियाँ। ये धारा परिसमापक (Liquidator) को कारपोरेट देनदार से सम्बंधित समस्त सूचनाओं को प्राप्त करने की शक्तियों प्रावधान करता है।
धारा 38- दावों का समेकन (Consolidation of claims)
(१) परिसमापक परिसमापन प्रक्रिया शुरू होने की तारीख से तीस दिनों की अवधि के भीतर लेनदारों के दावों (Claims of Creditors) को प्राप्त या एकत्र करेगा।
(२) एक वित्तीय लेनदार (Financial Creditor) एक सूचना उपयोगिता (Information Utility) के साथ ऐसे दावे का रिकॉर्ड प्रदान करके परिसमापक को दावा (Claim) प्रस्तुत कर सकता है:-बशर्ते कि जहां दावे से संबंधित जानकारी सूचना उपयोगिता (Information Utility) में दर्ज नहीं है, वित्तीय लेनदार उसी तरह से दावा प्रस्तुत कर सकता है जैसा कि उप-धारा (3) के तहत परिचालन लेनदार के लिए दावों को प्रस्तुत करने के लिए प्रदान किया गया है।
(३) एक परिचालन लेनदार (Operational Creditor) परिसमापक को बोर्ड द्वारा निर्दिष्ट प्रावधानों और प्रारूपों के अधीन अपना दावा प्रस्तुत कर सकता है और दावे को साबित करने के लिए आवश्यक सहायक दस्तावेजों को प्रस्तुत कर सकता है।
(४) एक लेनदार (Creditor) जो आंशिक रूप से एक वित्तीय लेनदार (Financial Creditor) और आंशिक रूप से एक परिचालन लेनदार (Operational Creditor) है, अपने वित्तीय ऋण की सीमा तक उप-धारा (२) में प्रदान किए गए तरीके से और उसके परिचालन ऋण की सीमा तक उपधारा (3) के तहत प्रदान किए गए तरीके से परिसमापक को दावे प्रस्तुत करेगा।
(५) एक लेनदार इस धारा के तहत अपने दावे को प्रस्तुत करने के चौदह दिनों के भीतर वापस ले सकता है या बदल सकता है।
धारा 39- दावों का सत्यापन (Verification of Claims)।
(१) परिसमापक (Liquidator) बोर्ड (IBBI) द्वारा निर्दिष्ट समय के भीतर धारा ३८ के तहत प्रस्तुत किए गए दावों का सत्यापन करेगा।
(२) परिसमापक किसी भी लेनदार या कॉर्पोरेट देनदार या किसी अन्य व्यक्ति से किसी अन्य दस्तावेज या साक्ष्य को प्रस्तुत करने की आवश्यकता (मांग Demand) कर सकता है, जिसे वह पूरे या दावे के किसी हिस्से को सत्यापित करने के उद्देश्य से आवश्यक समझता है।
धारा 40-दावों को स्वीकार या अस्वीकार करना (Admission or rejection of claims)।
(१) परिसमापक, धारा ३९ के तहत दावों के सत्यापन के बाद, पूर्ण या आंशिक रूप से दावे को स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है, जैसा भी मामला हो:- बशर्ते कि जहां परिसमापक किसी दावे को अस्वीकार करता है, वह ऐसी अस्वीकृति के कारणों को लिखित रूप में दर्ज करेगा।
(२) परिसमापक दावों को स्वीकार करने या अस्वीकार करने के सात दिनों के भीतर लेनदार और कॉर्पोरेट देनदार को दावों को स्वीकार करने या अस्वीकार करने के अपने निर्णय के बारे में सूचित करेगा।
धारा ४१-दावों के मूल्यांकन का निर्धारण (Determination of valuation of claims)।
परिसमापक धारा 40 के तहत स्वीकार किए गए दावों के मूल्य को बोर्ड (IBBI) द्वारा निर्दिष्ट तरीके से निर्धारित करेगा।
धारा 42- परिसमापक के निर्णय के विरुद्ध अपील (Appeal against the decision of liquidator)।
एक लेनदार इस तरह के निर्णय की प्राप्ति के चौदह दिनों के भीतर दावों को स्वीकार या अस्वीकार करने वाले परिसमापक के निर्णय के खिलाफ निर्णायक प्राधिकरण को अपील कर सकता है।
धारा 53-संपत्ति का वितरण (Distribution of assets)।
- संसद या किसी भी राज्य विधानमंडल द्वारा अधिनियमित किसी भी कानून में निहित कुछ भी विपरीत होने के बावजूद, परिसमापन संपत्ति की बिक्री से प्राप्त आय को प्राथमिकता के उसी क्रम में और उस रीति से वितरण के लिए प्रदान की गयी अवधि के भीतर वितरित किया जाएगा जो धारा ५३ के अंतर्गत और IBC -२०१६ में विनिर्दिष्ट कीया गया है।
धारा ५४-कॉर्पोरेट देनदार का विघटन (Dissolution of corporate debtor)।
(१) जहां कॉर्पोरेट देनदार की संपत्ति पूरी तरह से समाप्त हो गई है, परिसमापक ऐसे कॉर्पोरेट देनदार के विघटन के लिए निर्णायक प्राधिकरण को एक आवेदन करेगा।
(२) न्यायनिर्णायक प्राधिकरण उप-धारा (१) के तहत परिसमापक द्वारा दायर आवेदन पर आदेश देगा कि कॉर्पोरेट देनदार को उस आदेश की तारीख से भंग कर दिया जाए और कॉर्पोरेट देनदार को तदनुसार भंग कर दिया जाएगा।
(३) उप-धारा (२) के तहत एक आदेश की एक प्रति ऐसे आदेश की तारीख से सात दिनों के भीतर उस प्राधिकारी को अग्रेषित की जाएगी जिसके साथ कॉर्पोरेट देनदार पंजीकृत है।
और इस प्रकार Registrar of Companies में पंजीकृत होकर पैदा होने वाली Corporate Debtor (यंहा Videocon) अपना पूरा सफर तय करने के पश्चात Registrar of Companies में ही मिल जाती है।
Nagendra Pratap Singh (Advocate)