Friday, April 26, 2024
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नशा ही नशा है: लिब्रांडुओं के लिए हाय हाय मोदी के साथ अड़ानी भी मिल गया

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गुजरात के बंदरगाह में कुछ नशे का सामान पकड़ा गया। कुछ मै इसलिए कह रहा हूँ की वह क्या है कितना है इसका ब्योरा अभी तक एजेंसियों ने नहीं दिया। पर हमारे देश की अंतरयामी वामपंथी क़ौम ने जो अक्सर जे॰एन॰यू॰ के पास वाले ढाबे में बैठ कर सिगरेट में भरी जाने वाली अफ़ीम की गुणवत्ता, वजन और दाम, माल हाथ में आते ही बता देने के हुनर रखते है ने एक झटके में उसे तीन हज़ार किलो और उसका दाम चौबीस हज़ार करोड़ बता दिया। इनकी योग्यता देख कर ही चाचा के नाम पर इनको एक जगह सुरक्षित करके इनके ज्ञान को बढ़ाने के लिए जे॰एन॰यू॰ की स्थापना हुई। और बाद में उसी की नक़ल करते हुए एक्स मैन वाले प्रोफ़ेसर जेवियर ने विलक्षण प्रतिभा के धनी लौंडो के लिए एक कॉलेज खोला।

ख़ैर बात यहाँ हिंदुस्तान की करते है। वैसे तो लिब्रांडुओं के लिए हाय मोदी, हाय मोदी करने के लिए गुजरात शब्द ही पर्याप्त है। लेकिन यहाँ तो गुजरात के साथ अड़ानी भी मिल गया। बस फिर क्या सबने पूरी कहानी लिख डाली, जिसे गन्धी मीडिया के जमाने में सुपरह्यूमन से मामूली यू टूबर का सफ़र करने वाले पत्रकार और ग़ुलाम वंश के चमचे और उनके सहारे गजवा हिंद की हसरत पाले ओला- उबर पूरी तरह आत्मसात् करते हुए लगातार हमलावर है।

अब उनकी माने तो क्योंकि वो बंदरगाह अड़ानी के स्वामित्व का है। इसलिए अफ़ीम, चरस जो भी हो उसका मालिक भी वही है और अड़ानी और मोदी दोनो गुजरात के है। तो मोदी भी उसमें हिस्सेदार हैं, और दोनो मिलकर नशे का कारोबार कर रहे हैं। वैसे इनके इस तर्क के लिए मोदी को वास्तव में अफगानिस्तान से उच्चकोटि की अफ़ीम मँगवा के इनको बीस-बीस ग्राम मुफ़्त में देनी चाहिए, लेकिन ये मोदी कुछ नहीं करेगा, ना खाएगा ना खाने देगा बोल बोल के वामियो को परेशान कर दिया है।

लेकिन ये वामपंथी भी कुछ कम नहीं है सारे हल्ले में ये एक बात छुपा जा रहे है की अगर समय रहते स्वयं केजरीवाल और राहुल गांधी छापा मार के नशे का माल नहीं पकड़ते तो ये मोदी की पुलिस सारा माल बाहर निकलवा देती। और इस बात से नाराज़ होकर केजरीवाल ने धमकी दी है की अगर जल्दी से जल्दी माल पकड़वाने का श्रेय उनको नहीं देते तो वे स्वयं देश के सभी राज्यों के मुख्य अख़बारों में फ़ुल पेज का विज्ञापन देके इसको बताएँगे। लेकिन ये अच्छी शुरुआत है इन्होंने कुछ नहीं रविश की गोली को लानत भेजने की परम्परा को एक कदम और आंगे बढ़ा दिया है।

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