कांग्रेस से सीखे हुनर शक्ति और सत्ता का दुरुपयोग कैसे किया जाए। एक आदमी एक नेता को बेबी पेंगुइन बोलता हैं उसको जंजीरो में जानवर की तरह बांध कर न्यायिक हिरासत में रखा जाता हैं। एक अभिनेत्री सत्ता के खिलाफ कुछ बोलती हैं तो अगले दिन उसके घर और दफ्तर पर बुलडोज़र चला दिया जाता हैं और उसको अपमानजनक अपशब्दों का तीर चलाया जाता हैं, उसके खिलाफ FIR दाग कर पुलिस को उसके ऊपर लगा दिया जाता हैं।
एक चैनल महाराष्ट्र सरकार और पुलिस के खिलाफ खबरे दिखाता हैं तो उसके संपादक को घर से सुबह 6 बजे पुलिस वाले मार पीट कर जबरन उठा के ले जाते हैं।
उस चैनल के पत्रकारों को भी गिरफ्तार किया जाता हैं और हज़ारो FIR दाग दी जाती हैं, पूरी सत्ता की मशीनरी उनके खिलाफ काम करने लग जाती हैं, कहाँ हैं अभिव्यक्ति की आजादी के ध्वजवाहक? कहाँ हैं असहिष्णुता के बुद्धिजीवी? कहाँ हैं वो पत्रकार जो रोज इमरजेंसी-इमरजेंसी चिल्लाते रहते हैं?
यदि यही गलती से किसी बीजेपी शासित राज्य में राजदीप सरदेसाई या रविश कुमार के साथ हुआ होता तो अब तक लोकतंत्र खतरे में आ गया होता, मोदी और शाह को हिटलर करार कर दिया जाता, शाहीन बाग खड़े कर दिए जाते, JNU में हंगामा मच जाता, अवार्ड वापसी हो गयी होती, पर नही ऐसा नही होगा क्योंकि एक ही विचारधारा के लोगो का ही अधिकार हैं “Freedom of Speech & expression/Dissent” जैसी चीज़ों पर, अन्य लोग या तो ट्रोल हैं या फिर दोषी हैं।
सोचिये जरा एक राज्य में ये सत्ता में हैं तो वहाँ लोगो की आवाज को दबा दिया, यदि ये वापस सत्ता में आये तो जो इनके खिलाफ बोलेगा या खबरे दिखायेगा उसको ये मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना देकर जेल में डाल देंगे, जो लोग भारत का संविधान हाथ मे लेकर लोकतंत्र की रक्षा करने निकले हैं वो अभी शुतुरमुर्ग की तरह अपनी गर्दन रेत में दबाये हुए हैं और मन ही मन प्रसन्न हैं कि जो उनकी विचारधारा से संबंध नही रखता हैं उसको प्रताड़ित किया जा रहा हैं।
भारतवासियों को अपनी आवाज़ बुलंद करनी होगी और एक ही स्वर में बोलना होगा जिसके कंपन से इन अत्याचारियों की आत्मा जाग सके और ये और किसी के साथ इस तरह की अनैतिक नीतियों का प्रयोग न कर सके ।