भारत सरकार द्वारा कुपोषण को दूर करने के लिए जीवनचक्र एप्रोच अपनाकर चरणबद्ध ढंग से पोषण अभियान चलाया जा रहा है, भारत सरकार द्वारा 0 से 06 वर्ष तक के बच्चों एवं गर्भवती एवं धात्री माताओ के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में समयबद्ध तरीके से सुधार हेतु महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय पोषण मिशन का गठन किया गया है राष्ट्रीय पोषण मिशन अर्न्तगत कुपोषण को चरणबद्ध तरीके से दूर करने के लिए आगामी 03 वर्षो के लिए लक्ष्य निर्धारित किये गये है-
उद्देश्य एवं लक्ष्य :1. 0-6 वर्ष के बच्चों में ठिगनेपन से बचाव एवं इसमें कुल 6 प्रतिशत,प्रति वर्ष 2%की दर से कमी लाना।2. 0 से 6 वर्ष के बच्चों का अल्प पोषण से बचाव एवं इसमें कुल 6 प्रतिशत, प्रति वर्ष2%की दर से कमी लाना ।3. 6 से 59 माह के बच्चों में एनीमिया के प्रसार मेंकुल 9 प्रतिशत,प्रति वर्ष 3%की दर से कमी लाना ।4. 15 से 49 वर्ष की किशोरियों, गर्भवती एवं धात्री माताओं में एनीमिया के प्रसार में कुल 9 प्रतिशत,प्रति वर्ष 3%की दर से कमी लाना ।5. कम वजन के साथ जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में कुल 6 प्रतिशत,प्रति वर्ष 2%की दर से कमी लाना ।
यूनिसेफ के प्रतिनिधि यस्मिन अली हक ने सरकार के पोषण अभियान की प्रशंसा की। इस अभियान के द्वारा कुपोषण की शिकार तथा एनीमिया से पीड़ित महिलायें लाभान्वित हो रहीं हैं। यह कुपोषण को समाप्त करने के लिए एक बड़ा कदम है।
प्रमुख बिंदु
पोषण अभियान के तहत आवंटित धन के उपयोग के मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन मिज़ोरम का रहा जिसने अपने लिये आवंटित कुल धन का लगभग 66 प्रतिशत हिस्सा प्रयोग किया। ज्ञात हो कि अभियान के तहत मिज़ोरम को तीन वर्षों में 1979.03 लाख रुपए दिये जाए जिसमें से उसने कुल 1310.52 लाख रुपए प्रयोग किये। वहीं इस मामले में सबसे खराब प्रदर्शन पंजाब का रहा जिसने कुल आवंटित धन का मात्र 0.45 प्रतिशत धन ही उपयोग किया। पंजाब को तीन वर्षों की अवधि में कुल 6909.84 लाख रुपए जारी किये गए जिसमें से उसने मात्र 30.88 लाख रुपए प्रयोग किये। विदित है कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल ने अब तक अपने-अपने राज्यों में इस योजना को कार्यान्वयित नहीं किया है। हालाँकि ओडिशा सरकार ने हाल ही में राज्य के अंतर्गत अभियान के कार्यान्वयन को मंज़ूरी दे दी थी, परंतु पश्चिम बंगाल में अभी भी योजना का क्रियान्वयन बाकी है।विशेषज्ञों का मानना है की फंड के उपयोग को लेकर मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत आँकड़े पोषण अभियान की एक गंभीर तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। पोषण अभियान(POSHAN Abhiyaan)दिसंबर 2017 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने देशभर में कुपोषण की समस्या को संबोधित करने हेतु पोषण अभियान की शुरुआत की थी। अभियान का उद्देश्य परिणामोन्मुखी दृष्टिकोण के माध्यम से देश भर के छोटे बच्चों, किशोरियों और महिलाओं में कुपोषण तथा एनीमिया को चरणबद्ध तरीके से कम करना है। इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु अभियान के तहत राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों के सभी ज़िलों को शामिल किया गया है। पोषण अभियान या राष्ट्रीय पोषण मिशन की अभिकल्पना नीति आयोग द्वारा ‘राष्ट्रीय पोषण रणनीति’ के तहत की गई है। इस रणनीति का उद्देश्य वर्ष 2022 तक “कुपोषण मुक्त भारत” का निर्माण करना है। इस अभियान का लक्ष्य लगभग 9046.17 करोड़ रुपए के बजट के साथ देश भर के 10 करोड़ लोगों को लाभ पहुँचाना है। अभियान की कुल लागत का 50 प्रतिशत हिस्सा बजटीय समर्थन के माध्यम से दिया जा रहा है, जबकि शेष 50 प्रतिशत हिस्सा विश्व बैंक तथा अन्य बहुपक्षीय विकास बैंकों द्वारा दिया जा रहा है। बजटीय समर्थन के माध्यम से दिये जा रहे हिस्से को तीन भागों में बाँटा गया है: (1) पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिये 90:10 जिसमें 90 प्रतिशत केंद्र द्वारा दिया जाएगा 10 प्रतिशत राज्यों द्वारा (2) बिना विधायिका के केंद्रशासित प्रदेशों कि स्थिति में 100 प्रतिशत केंद्र द्वारा दिया जाएगा (3) अन्य राज्यों की स्थिति में 60:40 जिसमें 60 प्रतिशत केंद्र द्वारा दिया जाएगा और 40 प्रतिशत राज्यों द्वारा। अभियान का प्रभाव हालाँकि पोषण अभियान के परिणामों को कार्यक्रम की स्वीकृत अवधि पूरी होने के बाद ही जाना जा सकता है, परंतु इस संदर्भ में व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (Comprehensive National Nutrition Survey-CNNS) के आँकड़ों पर गौर किया जा सकता है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा यूनिसेफ (UNICEF) द्वारा आयोजित व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण के आँकड़ों के अनुसार, 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों में से 34.7% बच्चे स्टंटिंग अर्थात् कद न बढ़ने की समस्या का सामना कर रहे हैं, वहीं इसी आयु वर्ग के 33.4% बच्चे अल्प-वज़न की समस्या से जूझ रहे हैं। आगे की राह पोषण अभियान के तहत आवंटित धन के उपयोग संबंधी आँकड़े स्पष्ट रूप से इस अभियान के प्रति राज्य सरकारों की गैर-ज़िम्मेदारी प्रदर्शित करते हैं।
प्रमुख उद्देश्य
गर्भवती महिलाएं
रोज़ाना आयरन और विटामिन युक्त तरह-तरह के पोषक आहार लें।पौष्टिकीकृत दूध और तेल तथा आयोडीन युक्त नमक खायें ।आई.एफ.ए. की एक लाल गोली रोज़ाना, चौथे महीने से 180 दिन तक लें।
कैल्शियम की निर्धारित खुराक लें।एक एल्बेण्डाजोल की गोली दूसरी तिमाही में लें । ऊंचे स्थान पर ढक कर रखा हुआ शुद्ध पानी ही पीयें।प्रसव से पहले कम से कम चार ए.एन.सी. जांच ए.एन.एम. दीदी या डॉक्टर से ज़रूर करवायें। नज़दीकी अस्पताल या चिकित्सा केन्द्र पर ही अपना प्रसव करायें। व्यक्तिगत साफ-सफाई और स्वच्छता का ध्यान रखें।खाना खाने से पहले साबुन से हाथ ज़रूर धोयें। शौच के बाद साबुन से हाथ अवश्य धोयें। हमेशा शौचालय का इस्तेमाल करें।धात्री महिलाएंरोज़ाना आयरन और विटामिन युक्त तरह-तरह के पोषक आहार लें। पौष्टिकीकृत दूध और तेल तथा आयोडीन युक्त नमक खायें। प्रसव से लेकर 6 महीने तक (180 दिन) रोज़ाना आई.एफ.ए. की एक लाल गोली लें। कैल्शियम की निर्धारित खुराक लें । ऊंचे स्थान पर ढक कर रखा हुआ शुद्ध पानी ही पीयें।नवजात शिशु को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान शुरू करायें तथा शिशु को अपना पहला पीला गाढ़ा दूध पिलायें। मां का पहला पीला गाढ़ा दूध बच्चे का पहला टीका होता है। शिशु को शुरुआती 6 महीने सिर्फ अपना दूध ही पिलायें और ऊपर से कुछ न दें। व्यक्तिगत और अपने बच्चे की स्वच्छता का ध्यान रखें।खाना बनाने तथा खाना खाने से पहले साबुन से हाथ ज़रूर धोयें।बच्चे का शौच निपटाने के बाद और अपने शौच के बाद साबुन से हाथ अवश्य धोयें। बच्चे का शौच निपटान और अपने शौच के लिए हमेशा शौचालय का इस्तेमाल करें।
बच्चे महीने पूरे होने पर मां के दूध के साथ ऊपरी आहार शुरू करें। रोज़ाना आयरन और विटामिन युक्त तरह-तरह के पोषक आहार दें। मसला हुआ और गाढ़ा पौष्टिक ऊपरी आहार दें।पौष्टिकीकृत दूध और तेल तथा आयोडीन युक्त नमक खायें।आई.एफ.ए. और विटामिन-ए की निर्धारित खुराक दिलवायें। पेट के कीड़ों से बचने के लिये 12 से 24 महीने के बच्चे को एल्बेण्डाज़ोल की आधी गोली तथा 24 से 59 महीने के बच्चे को एक गोली साल में दो बार आंगनवाड़ी केन्द्र पर दिलवायें ।आंगनवाड़ी केन्द्र पर नियमित रूप से लेकर जायें तथा उसका वज़न अवश्य करवायें। बौद्धिक विकास के लिये पौष्टिक आहार उसकी उम्र के अनुसार आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा, ए.एन.एम. या डॉक्टर द्वारा बतायी गयी मात्रा के अनुसार दें। 5 साल की उम्र तक सूची अनुसार सभी टीके नियमित रूप से ज़रूर लगवायें।व्यक्तिगत साफ-सफाई और स्वच्छता की आदत डलवायें। ऊंचे स्थान पर ढक कर रखा हुआ शुद्ध पानी ही पिलायें। खाना खाने और खिलाने से पहले साबुन से हाथ ज़रूर धोयें। शौच के बाद साबुन से हाथ अवश्य धोयें। उम्र अनुसार बच्चे के साथ खेलें एवं बातचीत करें। बच्चे के शौच का निपटान हमेशा शौचालय में करें।
किशोरियां: किशोरियों को रोज़ाना आयरन और विटामिन युक्त तरह-तरह के पौष्टिक आहार ज़रूर खिलायें जिससे माहवारी के दौरान रक्त स्राव से होने वाली आयरन की कमी पूरी कर उसका संपूर्ण विकास हो। पौष्टिकीकृत दूध और तेल तथा आयोडीन युक्त नमक खायें।आई.एफ.ए. की एक नीली गोली हफ्ते में एक बार लें। व्यक्तिगत साफ-सफाई और माहवारी स्वच्छता का ध्यान रखें।पेट के कीड़ों से बचने के लिये एल्बेण्डाजोल की एक गोली साल में दो बार लें। ऊंचे स्थान पर ढक कर रखा हुआ शुद्ध पानी ही पीयें। खाना खाने से पहले साबुन से हाथ ज़रूर धोयें। शौच के बाद साबुन से हाथ अवश्य धोयें। हमेशा शौचालय का इस्तेमाल करें
देशभर में कुपोषण और एनीमिया जैसी गंभीर समस्याओं से निपटने के लिये एक सक्रिय तंत्र की आवश्यकता है और राज्य सरकारों के सहयोग के बिना इस तंत्र का निर्माण संभव नहीं है।अतः आवश्यक है की राज्य सरकारें इस ओर गंभीरता से ध्यान दें ताकि इस समस्या को जल्द-से-जल्द समाप्त किया जा सके।
डॉ. स्वप्नील बी. मंत्री बालरोग चिकित्सक