“ये दिल मांगे मोर” कैप्टन विक्रम बत्रा का ये वाक्य कारगिल की लड़ाई में विजय का प्रतिक सन्देश था। पॉइंट 5140 भारत का था जिसे धोखे से दुश्मन ने अपना बता दिया। अब भारत के सामने यह चुनौती थी की वो दुश्मन का भ्रम दूर करे और साथ ही सालों की मेहनत से बचायी हुयी चोटी को सम्मान के साथ वापस पाए। दुश्मन ने खुले आम धमकी दी थी वापस उस ओर न आने की। पर भारतीय सेना ने दुश्मन की धमकियों का हवाई किला ध्वस्त करते हुए पॉइंट 5140 अपने कब्जे में ले लिया। कैप्टन विक्रम बत्रा ने उस जीत में अहम् भूमिका निभाई।
कैप्टेन बत्रा हिमांचल के पालमपुर के रहने वाले थे। उनका जन्मदिन हर साल 9 सितम्बर को आता है। ये महज इत्तेफाक ही है की हिमांचल से ही आने वाली अभिनेत्री कंगना रानौत आगामी 9 सितम्बर को ही मुंबई वापस ना आने की धमकियों के बीच मुंबई में अपने आगमन की घोषणा कर चुकी है। महारष्ट्र के गृह मंत्री, सत्ता पक्ष के नेता, सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्त्ता एवं कई गणमान्य विरोधियो ने कंगना को मुंबई आने पर आपत्ति और कुछ ने तो विवादस्पद आपत्ति जताई है। कंगना का विशेष विरोध शिवसेना के नेता और पूर्व संसद संजय राउत कर रहे है। राउत पहले भी फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में कई विवादस्पद टिप्पणियां कर चुके है। उन्होंने ने दिवंगत अभिनेता के वृद्ध पिता की झूठी शादी की बात को उठा कर उनके चरित्र हनन का भी प्रयास किया था।
कंगना ने अपनी सुरक्षा की मांग करते हुए सिर्फ इतनी आशंका जताई थी की उन्हें मुंबई पुलिस की सुरक्षा पर भरोसा नहीं है। मुंबई पुलिस निःसन्देश एक बेहद पेशेवर और सक्षम पुलिस है। उनकी क्षमता संदेह से परे है। पर जिस तरह से सुशांत की मौत के बाद से मुंबई पुलिस का रवैया ताल मटोल वाला रहा वो आपत्ति जनक है। ऐसा लगता था जैसे मुंबई पुलिस सबूत के आधार पर कुछ साबित नहीं करना चाह रही थी बल्कि कुछ साबित करने के लिए सबूत ढूंढ रही थी। आत्महत्या साबित करने के सारे प्रयासों के बीच सिर्फ निर्देशकों, निर्माताओं और अभिनेता के बयान लिए जाने की औपचरिकता पूरी की जा रही थी। उसी मामले को जब सीबीआई ने अपने हाँथ में लिया तो अचानक से ही मुंबई पुलिस की जांच की हवा निकल गयी। इन सब घंटनाओ के बीच अगर कंगना ये कहती है की वो ड्रग्स के खेल को सबके सामने रखना चाहती है और इस के लिए उसे सुरक्षा चाहिए।
उन्हें मुंबई पुलिस पर भरोसा नहीं है तो उन्होंने ऐसा क्या गलत कह दिया। आखिर इस में ऐसा क्या था जो संजय राउत जैसा शिवसेना के वरिष्ठ नेता बीच में कूद पड़ा। शिवसेना सरकार या राउत साहब की प्राथमिकता क्या होनी चाहिए? जो खुलासे करने को तैयार है उसे धमकाना या ड्रग की काली दुनिया को सबके सामने लाना। क्यों जान बुझ कर जांच के हर कदम पर सवाल उठाये जा रहे है? शिवसेना के नेता खुलेआम हर टीवी चॅनेल पर आरोपियों का बचाव कर रहे है। शिवसेना के इन नेताओ के सामने दो अभिनेत्रियां है एक वो जिसने मुंबई में नाम कमाया इज़्ज़त कमाई जो कमाया उसका एक बहुत बड़ा हिस्सा मुंबई को वापस किया। साथ ही मराठी सभ्यता को परदे पर भी सम्मान दिलवाया। दूसरी अभिनेत्री वो जो एक मर्डर केस में अभुक्त नंबर १ है। जिसका परिवार संदेह के घेरे में है। जिस ड्रग व्यवसाय का कंगना पर्दाफास करना चाहती है उसी ड्रग व्यवसाय में रिया और उसके परिवार के सीधे सम्बन्ध दिख रहे है। उद्धव सरकार को सोंचना होगा की वो एक अभीनेत्री को मुंबई से भगाना चाहती है या फिर ड्रग माफियाओ का खेल खत्म करना चाहती है।