पिछले 40 वर्षो में देश की जनसंख्या लगभग दोगुनी हो गई है। वर्ष 1981 में भारत की जनसंख्या केवल 683,329,097 थी परंतु वर्तमान जनसंख्या 137 करोड़ से अधिक है [1]। एक बड़ी जनसंख्या देश की अर्थव्यवस्था को अग्रसर करने में सक्षम है। परंतु अति विशाल जनसंख्या अनेक समस्याओं को उत्पन्न कर सकती है। चिंता का विषय यह है कि हमारा देश तीव्र गति से एक ऐसी ही परिस्थितियों की ओर अग्रसर हो रहा है।
बढ़ती जनसंख्या का प्रभाव
देश के राजनीतिक दलों ने अपने निहित स्वार्थ तथा “वोट-बैंक” राजनीति के कारण जनसंख्या नियंत्रण की चर्चा तथा अधिनियम से अपने को अलग ही रखा है। देश में आपातकाल (जून 1975 से मार्च 1977) में कुछ ऐसा हुआ कि जनसंख्या नियंत्रण को ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया। 1981 में देश की जनसंख्या 68.33 करोड़ थी और जनसंख्या घनत्व 236 व्यक्ति प्रति कि॰मि॰। 2011 में जनसंख्या 121 करोड़ तथा जनसंख्या घनत्व 368 प्रति कि॰मि॰ थी, सम्भवतः वर्तमान जनसंख्या घनत्व 417 प्रति कि॰मि॰ है, (Table-1)। अगर हमने इस ओर तनिक भी ध्यान दिया होता तथा अन्य क्षेत्रों में समुचित विकास किया होता तो भारत एक सुदृढ़, समृद्ध राष्ट्र होता। देश जनसंख्या दबाव तथा उससे सम्बंधित समस्याओं से मुक्त होता। गरीबी, कूपोषण तथा बेरोजगारी की समस्या भी जनसंख्या-दवाब से ही प्रभावित है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान विशाल जनसंख्या राष्ट्र प्रगति के लिए प्रतिकूल है। यह संसाधनों के अत्यधिक दोहन एवं हर स्तर के प्रदूषण को भी उत्पन्न करती है। विशाल जनसंख्या घटती कृषि योग्य भूमि और सिकुड़ते वन-सम्पदा के लिए भी उत्तरदायी है।
Table 1. Population density per census, *Projected
Year | 1951 | 1961 | 1971 | 1981 | 1991 | 2001 | 2011 | 2021* |
Pop. Density, per sq. km | 109.9 | 133.6 | 187.0 | 236.0 | 257.6 | 313.0 | 368.3 | 417.0 |
अनियन्त्रित मुस्लिम जनसंख्या
विश्व में मुस्लिम सबसे तेजी से बढ़ते धार्मिक समुदाय हैं। विश्व स्तर पर 2010 में इस समुदाय की संख्या 160 करोड़ थी और सम्भवतः 2050 तक 73% बढ़ कर 280 करोड़ होजायेगी [2]। इन चार दशकों में विश्व की कुल जनसंख्या 35% बढ़कर 930 करोड़ होने की सम्भावना है। जबकि हिन्दूओं की जनसंख्या इस अवधि में 34% बढ़ने का अनुमान है।
भारत में भी मुस्लिम जनसंख्या की स्थिति कुछ ऐसी ही है। Paul Kultz अनुसार, भारत के मुसलमान गर्भनिरोधक विधियों का व्यवहार करने में विश्वास नहीं करते हैं [3]। इसकारण मुस्लिम महिलओं में प्रजनन दर अन्य धर्मावलम्बियों से अधिक है। देश में मुस्लिम जनसंख्या का विभिन्न दशको में विवरण Table 2 में उद्धृरित है [1] । भारत के विभिन्न सम्प्रदायों की जनसंख्या वृद्धिदर Table 3 में अंकित किया गया है। इससे यह प्रत्यक्ष है कि भारत में भी मुस्लिम सबसे तेजी से बढ़ता संप्रदाय है। तथा यह धार्मिक जनसांख्यिकी (religious demography) को भी प्रभावित कर रहा है। यह दुर्भाग्यपुर्ण है कि कई धार्मिक एवं राजनैतिक नेता इस समुदाय को अधिक प्रजनन-दर के लिए प्रेरित करते हैं। यह भी चिंता का विषय है कि मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग के लिए धर्म सर्वोपरि है, तथा वे देश के प्रति संवेदनशील तथा उत्तरदायी नहीं दिखाते हैं।
आश्चर्य की बात है कि इस धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में इन्हें एक विशेष अधिकार, मुस्लिम पर्सनल लॉ 1937, प्राप्त है। Dr Peter Hammond ने मुस्लिम समुदाय के व्यवहार की विस्तार से चर्चा की है [4]। उनके अनुसार, यह सम्प्रदाय अपने तथाकथित धार्मिक अधिकार के प्रति अत्यंत सजग हैं। हमारे देश में भी अनेकों मुस्लिम नेता देश में इस्लामी जीवन शैली, शरियत कानून के पक्षधर हैं। Dr BR Ambedker का कहना हैं कि, “जिस क्षण देश गैर-मुस्लिम सत्ता के अधीन हो जाता है, यह मुसलमानों की धरती नहीं रह जाती है। यह दारूल-इसलाम (इसलाम का निवास) न रह कर दारूल-हरब (युद्ध का निवास ) हो जाता है।” यही कारण है कि मुस्लिम अपने को गैर -इसलामिक व्यवस्था में सहज नहीं रह पाते हैं। धार्मिक संघर्षों का यह भी एक मुख्य कारण है। सभी मुस्लिम धार्मिक, राजनैतिक नेताओं का यह दायित्व हो जाता है कि वे समाज को उनके राष्ट्रीय दायित्व के प्रति जागरूक एवं संवेदनशील बनने के लिए प्रेरित करे।
Table 2. Muslim population growth per census
Year | Total population | Muslim Pop.% |
1951 | 361,088,090 | 9.9 |
1961 | 439,234,771 | 10.7 |
1971 | 548,159,652 | 11.2 |
1981 | 683,329,097 | 11.4 |
1991 | 846,427,039 | 12.1 |
2001 | 1,028,737,436 | 13.4 |
2011 | 1,210,726,932 | 14.2 |
Table 3. Population Growth rate in the decade 2001-2011 (India)
Total | Hindu | Muslim | Christians | Sikhs | Buddhist | Jain |
17.7 | 16.8 | 24.6 | 15.5 | 8.4 | 6.1 | 5.4 |
जनसंख्या नियंत्रण नीति
देश को अविलंब एक सशक्त जनसंख्या नियंत्रण नीति (policy) की अवश्यकता है। हमें एक ऐसे नीति की अवश्यकता है जो जनसंख्या नियंत्रण करने में तथा राष्ट्र प्रगति को गति देने में सक्षम हो। इस सम्बन्ध में मेरे भी कुछ विचार हैं।
राष्ट “एक परिवार दो संतान” के नीति को अपना सकता है। इस का पालन नहीं करने वाले परिवारों पर भारी कर (tax) लगाया जाए तथा विभिन्न प्रकार से दण्डित किया जाए। उदाहरण स्वरूप; रोजगार की क्षति, विभिन्न सरकारी सहायता (subsidies) से वंचित, तथा सम्पूर्ण परिवार को मताधिकार से वंचित करने का प्रावधान हो। सरकार एक प्रभावशाली नारा, “एक परिवार दो संतान सुख, समृद्धि और सम्मान”, अपना सकती है। भारत में इस जनसंख्या विस्फोट के लिए एक वर्ग (धार्मिक मान्यताओं की सीमा के परे) मुख्य रूप से उत्तरदायी है। इसलिए ऐसे माता-पिता जो बड़े परिवार से आते हों (चार अथवा उससे अधिक भाई-बहनों का परिवार), को एक से अधिक संतान की अनुमति नहीं होनी चाहिये। उसके विपरीत सैन्य बलों के अधिकारियों को तीसरी संतान की अनुमति हो। एक ऐसी राष्ट्रीय नीति शैक्षणिक, आर्थिक, शारीरिक तथा मानसिक रुप से सशक्त जनसमुदाय के निर्माण में सक्षम होगी।