Thursday, April 25, 2024
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भारतीय धर्म निरपेक्षता का सच

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बेंगलुरु में दंगे एक फेसबुक पोस्ट से भड़क गए जो एक धर्म विशेष की भावनाओं को आहत कर रहा था। बेंगलुरु के हिन्दू विरोधी दंगों ने एक बार फिर तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के ध्वज वाहकों को नग्न कर दिया है। भारत में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ हिन्दू घृणा हो चुका है। देश में यह धारणा बना दी गई है कि यदि आप हिन्दू घृणा को प्रसारित प्रचारित करते हैं और हिंदू धर्म की आस्थाओं के अंध विरोधी हैं तो आप सेक्युलर और बुद्धिजीवी हैं।

दक्षिणपंथियों द्वारा हिन्दू धर्म के देवी देवताओं के अपमान के विरुद्ध सोशल मीडिया में पोस्ट कर देने और पुलिस में शिकायत दर्ज कर देने मात्र पर हिन्दू असहिष्णुता का प्रमाण पत्र वितरित करने वाले आज बेंगलुरु जैसे एक बड़े शहर में एक प्रायोजित आगजनी और भीषण हिंसा को लेकर मौन हैं।

बात बेबात प्लेकार्ड उठा लेने वाले और जय श्री राम के उदघोषों को ‘वॉर क्राई’ बता देने वाले आज मौन हैं। वाम पंथी मीडिया के पत्रकारों ने मानो फेविकोल पीकर मुंह को बंद कर लिया हो और ऊपर से अलीगढ़ी ताला लगा लिया हो।

देश में हुई सभी धार्मिक हिंसा के मामलों को हिंदुओं पर थोप देने की परंपरा पिछले सत्तर सालों से रही है, चाहे वो गुजरात दंगे हों या दिल्ली। मजे की बात ये है गुजरात दंगों में मोदी और दिल्ली दंगो में कपिल मिश्रा को ढूंढ लेने वाले बंगलोर में किसी ‘कपिल मिश्रा’ को नहीं ढूंढ पा रहे ,शायद ये मौन इस लिए भी है।

मौन का कारण और प्रबल इस लिए भी हो जाता है क्योंकि इस में दूर दूर तक कोई संघी/भक्त शामिल नहीं है। और तो और “दलित” “कांग्रेस” विधायक के घर एक “धर्म विशेष” के उपद्रवियों ने हमला किया है। वोट बैंक की राजनीति के कारण न तो कांग्रेस ही कुछ कह सकती है और न ही भीम मीम एकता गैंग वाले ।
हिन्दू धर्म का मजाक बनाने वाले विरूद्ध एक ट्विटर पोस्ट से मीडिया हिन्दू असहिष्णुता का सैकड़ों किलोमीटर लंबा लेख लिख देने वाले पूरा शहर जल जाने के बाद भी एक शब्द नहीं लिख पा रहे।

उपद्रवियों की रक्त पिपासा को छिपाने वाला एक वीडियो को प्रचारित किया जा रहा है और कहा जा रहा है ये मंदिर के चारों ओर मानव श्रृंखला का निर्माण कर रहे हैं।ये तो वही बात हो गई डकैत तिजोरी को बचाने के लिए मानव श्रृंखला बना रहे हों जब कि वे इसी को लूटने आये हों। जय श्री राम के उदघोषों पर पूरे हिन्दू समाज को हिन्दू आतंकी बता देने वाले आज इस हिन्दू विरोधी हिंसा को सम्प्रदाय विशेष से न जोड़ने की बात कर रहे हैं।

जय भीम जय मीम के नारे बुलंद करने वालों पर अब हंसी नहीं अब तो दया आने लगी है। भीम आर्मी प्रमुख,कन्हैया कुमार,हार्दिक पटेल से लेकर हर बात पर दलित कार्ड खेल देने वाले और ब्राह्मणों के विरुद्ध लगातार मुख से विष्ठा करने वाले मुंह में लेमनचूस लेकर बैठ गए है और आंखों पर पट्टी बांध ली है।

मीडिया का एक वर्ग मात्र यह सिद्ध करने में लगा है कि ये हिन्दू विरोधी दंगा प्रायोजित नहीं था ये यकायक उमड़ी एक भीड़ मात्र थी। आगजनी में जली हुई दर्जनों गाड़ियाँ टूटे हुए घर एक सुनियोजित हिंसा की ओर इंगित कर रहे हैं।

तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं और मीडिया संस्थानों के दोहरे चरित्र को भारत बहुत ही निकट से देख रहा है। भारत में छद्म धर्मनिरपेक्षता और हिन्दू घृणा के दिन लदते हुए आप देख सकते हैं।


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