लव जिहाद का शाब्दिक अर्थ है प्यार के द्वारा जिहाद या प्यार के लिए जिहाद, अब ये दोनों बातें तर्कसंगत नहीं लगती, तो इसका तीसरा अर्थ है जिहाद के लिए प्यार का उपयोग, ये अंतिम वाला सबसे सटीक मालूम पड़ता है, थोड़ा जिहाद पे चर्चा करते हैं ये क्या है इसका शाब्दिक अर्थ, और इसका मजहबी मौलानाओं द्वारा अंधाधुंध प्रयोग। “जिहाद” शब्द का प्रयोग पहले बार सुरा 22 आयत 39 में किया गया है (फारूख खान और नदवी) इसका प्रयोग उन लोगों को सबक सिखाने के लिए किया गया है जो तब के मुसलमानों को तंग करते थे (उपर लिखे लेखक के अनुसार) पर इसका असली उपयोग मक्का से हिजरत करने के बाद मदीना आने पर कुरेशों के कारवां को लूटने के लिए किया जाता था और माले ए गनीमत को हासिल किया जाता था, जिसने औरतो भी शामिल होती थी उन्हें बांधी या लौंडी के रूप में रखा जाता था।
अब दूसरे शब्द पर आते हैं जिसके अर्थ है प्यार, प्रेम, ये मनुष्य मात्र को मिले उन आभूषणों में से है जो उसके जीवन की एक अमृत तुल्य रस से भर देता है। अब इन दोनों शब्दों की संधि करने पर जो परिणाम आपको मिलता है वो उस विष के समान है जो समुद्र मंथन करने पर, “भगवान शिव” ने ग्रहण किया था मेरा इस विचार को विष समान कहने का कारण आपको निम्नलिखित संदर्भों से स्पष्ट हो जाएगा, इसके लिए हमें गत दिनों में हुए अपराध की विवेचना करना जरूरी है, प्रथम दृषांट उतर प्रदेश के मेरठ के थाना दौराला में हुई एकता देशवाल की निर्मम हत्या का है जिसकी हत्या पिछले वर्ष उसके प्रेमी शाकिब और उसके परिवार के द्वारा गर्दन और एक बांह काट कर की गई, इसमें युवती का इतना ही दोष है कि उसे 80 के दशक की हिंदी फिल्मों की तरह मां बाप का विरोध करके मेहनत से अपना घर बसाना था, पर उसे क्या पता था शाकिब उसे अमन बनके जन्नत के प्रवेश द्वार के तरह देखता था पर सच्चाई सामने आने पर उसे धन के लोभ में प्रभु की शरण में भेज देगा। नाम परिवर्तित करके 19 वर्ष की हिंदू नवयुवती को अपने प्रेमजाल में डालकर उसे मार देना क्या लव जिहाद नहीं है।
दूसरी घटना भी उतर प्रदेश के मेरठ जिले की है जिसमें विवाहित वसीम कुंवारा दिनेश बन गया हिंदू लड़की को फांसने के लिए, नकली आधार कार्ड बनवा लिया, फेसबुक आईडी नकली बना ली और इस प्रयास में वो हिंदू युवती की अनभिज्ञता के कारण सफल भी हो गया, निरंतर दो वर्ष तक उससे दुष्कर्म करता रहा और उसका अश्लील वीडियो बना कर वायरल कर दिया, मामला पुलिस तक पहुंचा आगे आप opindia हिंदी पर पढ़ लीजिए, क्या आप इन घटनाओं में समानता देख पा रहें हैं युवक मुसलमान नाम बदल कर हिंदू युवती को प्रेमजाल में फसता है और उसकी हत्या कर देता है या दुष्कर्म करके वीडियो वायरल करता है और अगर युवती मान गई तो नाम, “सुमन से सलमा” हो जाता है।
अब आप बोलेंगे की ये तो दो ही घटनाएं हैं तो तीसरी घटना दिल्ली के बुराड़ी की है जहां एक हिंदू युवती नेहा अपनी मर्ज़ी से मुसलमान युवक नफीस खान से विवाह करती है और नई उमंगों से नए जीवन की शुरुवात करना चाहती है पर विवाह के कुछ समय बाद ही उसकी सारी उम्मीदें धूमिल पड़ना शुरू हो जाती है क्योंकि वो पहले से ही विवाहित था, वो उसे मारता पीटता, क्योंकि नफीस खान तो खान था जिसे उसके, “आलिम ए दीन या किताब हवा हवाई” बताती है कि औरत तो भोग की वस्तु है वो आपकी खेती की तरह है इसीलिए वो उसे गोमांस खिलाकर उसका धर्मांतरण करना चाहता था पर वो बाहदुर निकली।
इसके एक और पक्ष पे ध्यान दे तो आप पाएंगे की युवतियां अपनी आजादी को छोड़ कर खुद को इन काले तंबुओं में क्यों लपेटना चाहेंगी, इसका मूल कारण उनकी धर्म के प्रति अनभिगत्या और ऐसे बेहरूपियों के द्वारा दिखाए गए सब्जबाग हैं आप अपने बच्चे को सभी प्रकार से कुशल बनाने चाहते हैं पर उसे इस समाज की इन सच्चाइयों से परे रखते हैं, उन्हें सही और ग़लत में अंतर करना आता ही नहीं, किसी भी युवक या युवती पर कोई भी चीज थोपी नहीं जा सकती, उन्हें प्रभावित किया जा सकता है और जब उनका सामना सच्चाई से होता है तो वो दूर निकल जाते हैं उन्हें या तो आत्मसमर्पण करना पड़ता है या मृत्यु, बच्चों के बालिग होने पर उन्हें अपने अनुसार कुछ भी मानने और करने का अधिकार है लेकिन उन्हें पहले उस विषय या मजहब का अध्यन करना भी उतना जरूरी है हां अगर उसके बाद भी वो जाने चाहे तो उचित है।
अपनी बच्चियों को इस अभिशाप और कुरीति से बचाने के लिए उन्हें वैचारिक स्तर पर शाशक्त बनाए, उन्हें तर्क करना, उन्हें समाज में फैली कुरीतियों, उन्हें अपने अधिकार, और उनके प्रयोग की अधिकतम सीमा, परिवार का जीवन में महत्व, फैसले लेने के लिए जरूरी समझ और सुदृढ़ रहकर उनपर अडिग रहना सिखाएं, उन्हें धर्म की तार्किक शिक्षा दे, इन बोने कथाकारों और धर्म के ठेकेदारों के भरोसे ना छोड़ें, उन्हें सबका सम्मान और खुद की रक्षा का महत्व समझाएं।
अंत में इतना कहना चाहूंगा, आप प्रेम करें आप स्वतन्त्र है पर किसी को अपने प्रेम की परीक्षा उनकी नीच और गलत मानसिकता से ना लेने दे, यदि वो कामपिपासू व्यक्ति आपके यौवन और शरीर से ही प्यार करता है तो आपको इस सन्दर्भ में सोचना होगा, क्योंकि आयु की वृद्धि के साथ ये बदलती हैं तो क्या उसे उसका उन्माद नए व्यक्ति की तरफ आकर्षित नहीं करेगा, कृप्या सोचिए और शेयर कीजिए।