1950 में भारत और चीन की समान जीडीपी थी; आज चीन की जीडीपी भारत के तीन गुना से भी अधिक है ऐसा क्या हुआ की चाइना इतना तेजी दे ऊपर आया, सारी विश्व का विनिर्माण केंद्र बना गया जबकि भारत में मजदूरी उस वक़्त चाइना से सस्ता था, अचानक चाइना में ऐसा क्या जादू हो गया की जो कभी भारत से पीछे था आज वह अमेरिका जैसे महाशक्ति को भी आँख दिखा देता है, हालांकि भारत से अब वो डरने लगा है उसे डर लगने लगा है की कही उससे उसका ताज भारत न ले जाये।
चाइना जो एक कम्युनिस्ट देश है, कम्युनिस्ट ऐसा विचार है जो मजूदरों के हक़ की बात करता है लेकिन चाइना में मजदूरों को कितना हक़ है ये सबको पता है। शुरुआत से वह पहले मीडिया पे काबू किया ताकि चाइना कुछ भी गलत करे तो लोगों को पता न चले फिर उसने सामजिक कार्यकता को मरवाया। प्राकृतिक संसाधनों का दोहन शुरू करना शुरू कर दिया ताकि चाइना में ही संसाधन का उत्पादन हो और बाहर से मंगवाना न पड़े और जो भी सामजिक कार्यकर्ता इस उत्खनन का विरोध करता, मजदूरों की बात करता, वहाँ रह रहे लोगों की बात करता उसे मार दिया जाता। जो कम्युनिस्ट दूसरों पर फासिस्ट होने का दोषारोपण कर रहें है उन्होंने करोड़ों की जान की, मजदूरों की को मारा उन्हें बंधवा मजदूरों बनाया। तिब्बत में लाखों लोगों को मारा गया, हांगकांग में भी विरोध करने पर मार दिया गया। और पुरे विश्व की मुख्य धारा की मीडिया चुप रही क्यूंकि चाइना का पुरे विश्व के मीडिया पे कंट्रोल कर रहा है NDTV, BBC इसका प्रत्यक्ष उदहारण है, कुछ भी हो जाये ये सदा चाइना का प्रशंसा ही करेंगे।
भारत में भी चाइना ने वामपंथी लोगों को मुफ्त की रोटी फेकना शुरू किया और जब भी भारत में कोई फैक्ट्री खोलने के लिए बात होता है पूरी की पूरी वामपंथी सेना विरोध पे उतर जाती है, वामपंथी मीडिया, सामाजिक कार्यकर्ता के नाम पे ढोंग करने वाले वामपंथी, तथाकथित बुद्धिजीवी सब ऐसा माहौल बना देतें हैं की आखिर पीछे हटना पड़ता है, इन्होने ही उत्तर भारत, जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के अनेकों फेक्ट्री, कल कारखाने, कुटीर उद्योग बंद करवा दिया और उसे योजना के तहत ऐसे राज्यों में ले जाया गया जहाँ वामपथ की सरकार थी जिससे उनकी कमाई हो, चर्च की कमाई हो। फिर इसी कमाई से आदिवासिओं और दलितों को धर्मपरिवर्तन करवा गया गुमराह करवा के नक्सली बना कर उस राज्यों में भेजा गया जो वामपंथ से विपरीत विचाधारा के राज्य थे ताकि वहाँ विकास कार्य को रोका जाये और वामपंथी राज्यों की एकाधिकार बना रहे।
ये चाइना का फैलाया हुआ ऐसा कुचक्र है की आज भारत में कुछ भी अच्छा करने की कोशिश होती है तुरंत सभी वामपंथी लोग अंडरटेकर जैसे जाग के पुरे भारत में तोड़ फोड़ शुरू कर देतें हैं अंत में यही होता है की यहाँ कुछ नहीं होता और चाइना से सब आयात करवाना पड़ता है आज भारत का व्यापर घटा 5 लाख करोड हो चूका है।
भारत से कमाए पैसे से ही भारत के खिलाफ सेना खड़ा करता है ये चाइना वो बॉर्डर पर चाइना सेना के रूप में हो या भारत में वामपंथ मीडिया, तथाकथित बुद्धिजीवी के रूप में हो। इन सभी चाइना रोटी फेकता है और ये भोंकते हैं।
अब करना क्या है, कुछ लोगों का कहना है कि कोई भी वस्तु निर्माण होता है उसमे या तो सीधे रूप से चाइना है या कच्चा माल चाइना का होता है ऐसे में चाइना का विरोध करना बुद्धिमानी नहीं है, ये सिर्फ नेतागिरी इससे कुछ नहीं होगा। उनसे बस यही कहना है की चाइना ने 70 से काम कर रहा है तब वह विनिर्माण का केंद्र बना है, ये माना जा सकता है की ये 1 साल में होगा नहीं होगा लेकिन अगर विरोध करे तो यह अगले 5 साल में हो जायेगा, कम्पनी को लगेगा की चाइना का सामान लोग नहीं ले रहे तो वो भारत में विनिर्माण करेंगे और उत्पादन बढ़ाने के लिए यहाँ कच्चे माल का उत्पादन होना भी शुरू होगा।
सभी से अनुरोध है की ऐसे लोगों के बहकावे में ना आयें ऐसे लोग बोलते हैं कि चाइना का विरोध कर के फायदा नहीं सब चाइना ही बनता है भारत कुछ कर ही नहीं सकता ऐसे लोग चाइना के रोटी पे पलने वाले लोग हैं या उन्हें लगता है की भारत, मुग़ल, अंग्रेज, कांग्रेस का गुलाम है इसलिए भारत कुछ नहीं कर सकता है। सीधा जवाब अगर चाइना को लगता की भारत कुछ नि कर सकता है तो वह यहाँ के वामपंथियों को रोटी नहीं फेंकता चाइना को भी डर है की भारत चाइना को हरा सकता है इसलिए वह कुचक्र बनाता रहता है।
आज से अभी से कसम खाए की आज के बाद सामान लें वह चाइना का ना हो।