Friday, March 29, 2024
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अब जैविक-रासायनिक हथियारों पर होगी दुष्टों की नज़र

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Jayendra Singh
Jayendra Singhhttps://jayendrasingh.in/about
I am a political enthusiast, universal learner and a follower of Dharma. I write as Indic leaning centrist with opinions and topics related to political situation in India and globe. I also love to write poetry and songs. धर्मो रक्षति रक्षित:

यदि अब तक के सबसे घातक हथियारों और उसके अमानवीय प्रभावों को याद करें तो एक भयानक चित्र सदैव आँखों के समने आता है, हिरोशिमा पर गिरा परमाणु हथियार। और उससे भी घातक परमाणु हथियार बनने की होड़। आज हमारी पृथ्वी पर इतने परमाणु हथियार अलग-अलग देशों के पास है जो कि एक पृथ्वी क्या अनेक ग्रहों को नष्ट करने की क्षमता रखते है और इसी कारण आतंकवादी संगठन उसे पाने के सभी प्रयास करते है। परमाणु हथियारो का खतरा इतना अधिक है कि कुछ संदिग्ध देशों और संगठनों पर कड़ी निगरानी रखी जाती है जैसे, पाकिस्तान, ईरान, उत्तर कोरिया, आदि।

जैविक-रासायनिक हथियार है परमाणु से भी खतरनाक

क​ई महीने कोरोना वायरस से जूझते हुए बीते है और विश्व का कोइ भी देश इससे नहीं बच सका। आश्चर्य की बात है कि कोइ नहीं जानता कि ये वायरस आया कहाँ से और इसका इलाज क्या है, जब तक ये पता चलेगा तब तक क​ई जानें जा चुकी होगीं। इस वायरस ने दुनिया के सभी देशों के नागरिकों की हत्या की और उनके आर्थिक ढांचे की कमर तोड़ कर रख दी।

कुछ लेखों के अनुमान मानें तो विश्व का कुल नुकसान 8 हज़ार खरब तक है, प्रमाणित रूप से 5 लाख लोग मारे जा चुके है और व्यापार के सामान्य होने के कोइ आसार नहीं, ऊपर से चिकित्सा का भार भी कन्धों पर है। जिन देशों की अर्थव्यवस्था पर्यटन से है, उसका हाल सबसे बुरा है। साधन की कमी में देश पहले अपने देश वासियों का ध्यान रख रहे है जिससे चिकित्सा आयात पर निर्भर देशों को बहुत नुकसान हुआ। चीन द्वारा बनाये खराब किट भी बिके, आनन्-फ़ानन में निर्माण इकाईयों को PPE किट, वेंटिलेटर और सेनीटाइज़र बनाने मे लगाना पड़ा।

यह नुकसान किसी परमाणु हथियार के नुकसान से कम नहीं है, हिरोशिमा में भी इतने लोगों की मृत्यु नहीं हुइ थी। कोरोना के इस प्रभाव को देख कर यह सामान्य सा अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि अब देशों को जैविक हथियारों से बचने की तैयारी कर लेनी चाहिये।

तनिक सोचिये, बिना किसी को पता चले, बिना किसी मिसाइल तकनीक के, बिना किसी शारीरिक कठिनाई के, इस वायरस ने पूरी दुनिया को घुटने के बल ला दिया। जहाँ आतंकवादी संगठन करोड़ों-अरबों का निवेश करके परमाणु हथियार बनाने की कोशिश में रहते है वहीं इस वायरस ने व्यक्ति के शरीर को ही मिसाइल की तरह प्रयोग किया और दुनिया को शोक सभा बना दिया। दानवीय मानसिकता वाला व्यक्ति, संगठन या देश ऐसे हथियरों की खोज में रहता है।

PM मोदी: “आपदा में अवसर”

मित्रों, हमारे समक्ष आयी इस चुनौती ने आपदा प्रबन्धन के बारे में हमें बहुत कुछ सिखा दिया है। किन संसाधनों की कमी होगी, आम जनता किस तरह प्रतिक्रिया करेगी, सरकार और जनता मिल कर कैसे देश को चला सकते है, कौन से संगठन सहयोग करेगें और कौन से संगठन रायता फ़ैला सकते है, किन व्यापरों को बचाना है, आयात कहाँ कम करना है, आदि।

इस आपदा में अर्जित किये गये ज्ञान को हम भविष्य के आने वाले संकटों से लड़ने के लिये इस्तेमाल कर सकते है, चाहे वो आतन्कियों का हो या किसी संदिग्ध देशों का कुप्रयास। यह ज्ञान सिर्फ़ सरकार को ही नहीं, उससे कहीं अधिक जनता को भी आने वाले किसी भी संकट से निपटने में समर्थ बना देगा। उसके लिये हमें अपने इस अनुभव को आलेख करना होगा, एक ठोस रणनीति बनानी होगी क्युंकि अब जैविक-रासायनिक हथियारों का खतरा बड़ गया है हमें हर आशन्का को ध्यान में रखकर, तीव्र कारवाई करने के लिये कार्य योजना विकसित करनी होगी जो हमें जैविक-रासायनिक ही नहीं, आने वाली हर आपदा में न्यूनतम क्षति और त्वरित सामान्यता को पुनरजीवित करने में सहयोग करे।

विषम परिस्थिति में भी साहस देने वाली, श्री अटल बिहारी वाचपयी जी की यह कविता हम सभी की मन में होनी चाहिये,

हार नहीं मानूँगा,
रार नहीं ठानूँगा,
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ।
गीत नया गाता हूँ।

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