Thursday, October 3, 2024
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Jayendra Singh

I am a political enthusiast, universal learner and a follower of Dharma. I write as Indic leaning centrist with opinions and topics related to political situation in India and globe. I also love to write poetry and songs. धर्मो रक्षति रक्षित:

अब जैविक-रासायनिक हथियारों पर होगी दुष्टों की नज़र

बिना किसी को पता चले, बिना किसी मिसाइल तकनीक के, बिना किसी शारीरिक कठिनाई के, इस वायरस ने पूरी दुनिया को घुटने के बल ला दिया। जहाँ आतंकवादी संगठन करोड़ों-अरबों का निवेश करके परमाणु हथियार बनाने की कोशिश में रहते है वहीं इस वायरस ने व्यक्ति के शरीर को ही मिसाइल की तरह प्रयोग किया और दुनिया को शोक सभा बना दिया।

अतार्किक होते हुए भी क्यों प्रचलित है जातिवाद

इस समाज को यदि जातिवाद के जाल से निकलना है तो, इतिहास को सही परिप्रेक्ष्य मे पढ़ाना होगा, सभी जन मानस को समान समझना होगा और पुत्र मोह को त्यागना होगा, तभी हम एक सभ्य समाज कि रचना कर सकते है जिसकी कल्पना हमारे पूर्वजों ने की थी।

Feminism is nice, but why settle for a lesser idea?

Feminism talks about only women, Devi talks about humanity and cares for everyone equally as a compassionate mother (real gender neutrality)

नया परिप्रेक्ष्य: व्यापार नहीं है परिवार

परिवार मे पारिवारिक और व्यापार मे व्यापारिक होना ही सही नीति है और इसी भूमिकाओं के विभाजन से ही से परिवार बच सकता है।

स्वरोजगार और समाज

जहाँ सरकार पूरी तरह प्रयासरत है, ऐसा प्रतीत होता है की समाज भी इसमे बराबर भगीदार है। परन्तु वास्तविक्ता इससे भिन्न है।

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