मध्य प्रदेश पुलिस ने केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पर एक फेसबुक टिप्पणी पोस्ट करने के लिए तीन नाबालिगों सहित पांच लोगों पर गैर जमानती धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। जबकि उस पोस्ट में सिर्फ यह दर्शाया गया था कि, उन्होंने गलत तरीके से मास्क पहना था। सभी आरोपी – अजय प्रताप सिंह सिकरवार अमन सिंह, और तीनों नाबालिग, मुरैना के जौरा के निवासी हैं, जो केंद्रीय मंत्री के लोकसभा क्षेत्र के तहत आता है। पांचों पर अब भारतीय दंड संहिता की धारा 188 और 505 (2) और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005, (डीएमए) की धारा 51 के तहत आरोप लगाए गए हैं।
व्यंग्य करना हुआ अपराध
फेसबुक पोस्ट में मंत्रीजी की एक तस्वीर शेयर की गई थी, जिसमें वह नाक के नीचे मास्क लगाए दिख रहे थे। जबकि मास्क को नाक के उपर लगाया जाता है। बस, इतनी सी बात मंत्रीजी और उनके गुर्गों को पसंद नहीं आई और उनको लगा कि यह तो जहाँपनाह की शान में गुस्ताखी हो गई है। बस फिर क्या था, दौड़ पड़े सभी गुर्गे गुस्ताखी करने वाले को सबक सिखाने। और अपनी रसूख का पूरा इस्तेमाल करते हुए गैर जमानती धाराओं में अपराध दर्ज करा दिए।

24 अप्रैल को तथाकथित आरोपी ने फेसबुक पर मंत्रीजी की तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा था कि, “ये है मास्क पहनने का असली तरीका कुछ सीखो। ये हैं श्री श्री 1008 नरेंद्र सिंह तोमर जी (पहाड़). अरे भाई ये नेकर नहीं है, समझाओ कोई।” इस टिप्पणी को हंसी के इमोजी के साथ पोस्ट किया गया था, जो यह दर्शाता है, कि यह एक व्यंग था और सिर्फ मजाक के तौर पर पोस्ट किया गया था।
मामला दर्ज करने के लिए एसपी साहब ने खुद दबाव बनाया
मजे की बात यह है कि तथाकथित आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज करने का दबाव मुरैना के पुलिस अधीक्षक असित यादव की तरफ से आया था। 3 मई को दर्ज एफआईआर में यादव ने कहा कि एक भाजपा कार्यकर्ता यश शर्मा ने व्हाट्सएप पर पोरसा के स्टेशन हेड ऑफिसर को शिकायत दी, जिसमें उन्होंने आरोपी के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने को कहा।
शर्मा ने शिकायत में आरोप लगाया कि आरोपी ने केंद्रीय मंत्री के फोटो का दुरुपयोग किया। श्री शर्मा यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि यह फेसबुक पोस्ट न केवल मंत्री, बल्कि सभी जनप्रतिनिधि, पार्टी कार्यकर्ता और आम लोगों के लिए “आपत्तिजनक” और “अपमानजनक” है।
प्रतिशोध के रूप में दर्ज की गयी है FIR
तथाकथित आरोपी अजय के रिश्तेदार आदित्य सिंह तोमर ने हमें बताया है कि, “हमने ‘बिस्मिल सेना’ नामक एक अपंजीकृत समूह का गठन किया था और यह पांचों आरोपी उस ग्रुप का हिस्सा हैं। हम सभी आवारा पशुओं को बचाने, खिलाने और उनका इलाज करने का कार्य करते हैं, साथ ही हम समय-समय पर सरकार की उच्च-स्तरीयता और लापरवाही को इंगित करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं।”
आदित्य ने आगे कहा कि, “हाल के दिनों में, हमारे समूह ने ग्वालियर में स्थानीय जीवाजी विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार को इंगित किया था और बड़े शहरों से घर लौटने वाले प्रवासी मजदूरों को सरकारी समर्थन की कमी पर सवाल उठाए थे। जिस कारण, हमारे अभियानों से क्षेत्र के कई भाजपा कार्यकर्ता नाराज हैं।”
आदित्य सिंह वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के स्नातक छात्र हैं, उन्होंने कहा कि, “आश्चर्य की बात तो यह है कि पुलिस ने इस तरह के एक तुच्छ मामले में इतनी कड़ी प्राथमिकी दर्ज की। मामले की शिकायत स्पष्ट रूप से प्रतिशोध की तरह दिखती है। एफबी पोस्ट स्पष्ट रूप से व्यंग्य थी। गौर करने वाली बात तो यह है कि, यह मामला पोरसा पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था, जबकि सभी तथाकथित आरोपी पोरसा से करीब 100 किलोमीटर दूर जौरा के निवासी हैं। और इस शिकायत को साइबर सेल को भी नहीं भेजा गया था, जैसा कि आम तौर पर किया जाता है।”
सोशल मीडिया पर धमका रहे हैं भाजपा कार्यकर्ता

जब से बिस्मिल सेना के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, तब से स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता यानि मंत्रीजी के गुर्गे बिस्मिल सेना के सदस्यों और उनके परिवार वालों को सोशल मीडिया पर धमकी दे रहे हैं। रणजीत सिंह तोमर नाम के भाजपा कार्यकर्ता ने फेसबुक पर धमकी देते हुए यहां तक कहा कि, “ढंग से रहना नहीं तो ढंग से लपेटे जाओगे।”
एक समाचार पोर्टल ने पत्रकार जब मुरैना के एसपी असित यादव से इस मामले पर टिप्पणी लेने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि, वह एक बैठक में व्यस्त थे और बाद में बात करेंगे।