17 मई को वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतिम पैकेज एवं सुधार उपायों को पेश किया। इस पैकेज में आर्थिक सहायता के साथ कई संस्थागत, नीतिगत और आधारभूत सुधारों को महत्व प्रदान किया गया है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम अपने उद्बोधन में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भूमि, श्रम, तरलता और कानूनों में ढांचागत सुधार पर जोर दिया। उसी श्रंखला में पैकेज के पांचवें और अंतिम भाग में ग्रामीण रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यापर सुगमता और राज्यों को साथ लेकर चलने से सम्बंधित सुधार प्रस्तुत किये गए। आगे इन्ही बिंदुओं पर चर्चा की जा रही है।
1. मनरेगा के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए सरकार 40000 करोड़ रुपये का आवंटन करेगी, जिसके माध्यम से 300 करोड़ श्रम दिवस उत्पन्न होंगे। वास्तव में यह आवंटन अपने राज्यों को वापस लौट रहे प्रवासी श्रमिकों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इसके दो लाभ हैं। पहला यह कि प्रवासी श्रमिकों को मानसून में भी कार्य अवसर मिलेंगे और साथ ही उत्पादन के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
2. स्वास्थ्य सुधार एवं नई पहल :
- स्वास्थ्य क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश वृद्धि।
- शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों में निवेश।
- महामारी के भविष्य के किसी भी संकट से निपटने के लिए सभी जिलों में संक्रामक रोगों के अस्पताल ब्लॉक की स्थापना।
- महामारी की रोकथाम के लिए सभी जिलों और खंड स्तर पर एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य जाँच केंद्रों की स्थापना।
- शोध को बढ़ावा देने के लिए आईसीएमआर द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं हेतु राष्ट्रीय संस्थागत प्लेटफार्म।
- राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य ब्लूप्रिंट का अनुपालन।
3. Covid19 के बाद तकनीक की सहायता से शिक्षा की समान उपलब्धता :
- पीएम ई-विद्या प्रोग्राम जिसके अंतर्गत, एक राष्ट्र एक डिजिटल प्लेटफार्म के लिए दीक्षा कार्यक्रम, वन क्लास वन चैनल के आधार पर कक्षा 1 से 12 के लिए टीवी चैनल, शिक्षा के लिए रेडियो, सामुदायिक रेडियो और पॉडकास्ट का उपयोग एवं टॉप 100 विश्वविद्यालयों द्वारा ऑनलाइन कोर्स प्रारम्भ किया जाना सम्मिलित है।
- छात्रों और शिक्षकों की मनोवैज्ञानिक सहायता के लिए मनोदर्पण पहल का शुभारम्भ।
- विद्यालयों, प्राथमिक आयुवर्ग और शिक्षकों के लिए नया राष्ट्रीय पाठ्यक्रम एवं शैक्षणिक फ्रेमवर्क का निर्माण।
- वर्ष 2025 तक भारत के कक्षा 5 के छात्रों को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए राष्ट्रीय बुनियादी साक्षरता एवं गणना मिशन का प्रारम्भ।
4. दिवालिया कानून (Insolvency and Bankruptcy Code – IBC) सुधारों की सहायता से कारोबार सुगमता :
- दिवालिया कार्यवाही प्रारम्भ करने के लिए आवश्यक सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये किया गया है जिसका सबसे अधिक लाभ एमएसएमई को मिलेगा।
- आईबीसी की धारा 240A के अंतर्गत शीघ्र ही विशेष दिवालिया संकल्प फ्रेमवर्क की अधिसूचना।
- महामारी पर आधारित दिवालिया प्रक्रिया को एक वर्ष के लिए निष्काषित किया जाना।
- Covid19 से सम्बंधित ऋणों को डिफाल्ट की परिभाषा से बाहर करने के लिए केंद्र सरकार को विशेषाधिकार।
5. कंपनी एक्ट तहत गलतियों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना :
- कुछ सूक्ष्म तकनीक और प्रक्रियात्मक चूकों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना जो अभी तक कंपनी एक्ट के अंतर्गत अभी तक अपराध माने जाते थे।
- अधिकांश समझौता योग्य अपराधों से सम्बंधित धाराओं को आंतरिक सहायक तंत्र (IAM) में स्थानांतरित किया जाना।
- 7 समझौता योग्य अपराधों का निरस्तीकरण एवं 5 अपराधों का वैकल्पिक फ्रेमवर्क के तहत निपटान।
6. कंपनियों के व्यापार सुगमता उपाय :
- भारत की सार्वजनिक कंपनियों की प्रतिभूतियों का स्वीकृत विदेशी बाजारों में सीधे सूचीबद्ध होना।
- निजी कंपनियों की सूचीबद्ध कंपनियों के रूप में मान्यता समाप्त जो NCDs को स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध करती हैं।
- कंपनी एक्ट, 1956 के भाग 9A (निर्माता कंपनी) प्रावधानों का कंपनी एक्ट, 2013 में सम्मिलित किया जाना।
- विवादों के त्वरित एवं प्रभावी निपटान के लिए NCLAT की अतिरिक्त अथवा विशिष्ट बेंचों का गठन।
- छोटी कंपनी, एक व्यक्ति के स्वामित्व वाली कंपनी, निर्माता कंपनी और स्टार्टअप द्वारा की गई गलतियों के लिए आर्थिक दंड में कमी।
7. आत्म निर्भर भारत को समर्पित नई सार्वजनिक क्षेत्रक उद्यम नीति :
- लोक हित में रणनीतिक क्षेत्रों में सार्वजनिक क्षेत्रक उद्यमों की सूची जारी की जाएगी। इन रणनीतिक क्षेत्रों में कम से कम एक सार्वजनिक क्षेत्रक उद्यम बना रहेगा किन्तु निजी क्षेत्रों को कार्य करने की अनुमति दी जाएगी।
- अन्य क्षेत्रों में सार्वजनिक उद्यमों का निजीकरण किया जाएगा।
- प्रशासनिक और अन्य प्रकार के अनावश्यक खर्चों को कम करने के लिए रणनीतिक क्षेत्रों में उद्यमों की संख्या को अधिकतम चार तक सीमित किया जाएगा। शेष बचे उद्यमों का निजीकरण अथवा विलय किया जाएगा या फिर उन्हें होल्डिंग कंपनी के अंदर लाया जाएगा।
ऊपर बताए गए सात सुधारों के अतिरिक्त केंद्र द्वारा राज्यों की सहायता के लिए कुछ उपाय किये गए हैं।
- केंद्र ने राज्यों की उधार लेने की सीमा को 3% से बढ़ाकर 5% कर दिया है, इससे राज्यों को अतिरिक्त 4.28 लाख करोड़ रुपये के संसाधन प्राप्त होंगे। यह वृद्धि 2020-21 के लिए की गई है।
2. उधार लेने की इस नई प्रणाली को कुछ विशेष सुधार क्षेत्रों से जोड़ा जाएगा। ये क्षेत्र हैं ; एक राष्ट्र एक राशन कार्ड का सार्वभौमिक अनुपालन, कारोबार सुगमता, ऊर्जा वितरण और शहरी स्थानीय निकायों का राजस्व।
3. बढे हुए 2% के वितरण की व्यवस्था इस प्रकार होगी ;
- 0.50% की वृद्धि बिना किसी शर्त।
- 1% वृद्धि को 0.25% के चार भागों में बांटकर, जिसमें प्रत्येक हिस्सा ऊपर वर्णित चार सुधार क्षेत्रों से जुड़ा होगा।
- शेष 0.50% हिस्सा, चार सुधार क्षेत्रों में न्यूनतम तीन क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के पश्चात।
इस प्रकार आत्मनिर्भर भारत पैकेज के सभी सुधार चरण पूरे हुए। इन सभी सुधारों का अध्ययन किया जाए तो यह ज्ञात होता है कि यह पैकेज प्रदर्शन आधारित है अर्थात जितने भी सुधार किये गए हैं , चाहे संस्थागत हों या आर्थिक, सभी का लाभ तभी प्राप्त हो सकेगा जब इकाईयों का प्रदर्शन बेहतर रहेगा। यह पैकेज पूर्ण रूप से आत्म निर्भर एवं नई संभावनाओं वाले भारत को समर्पित है। एमएसएमई, कृषि तथा सम्बद्ध क्षेत्रों के विकास के लिए जो भी उपाय किये गए हैं वो सभी ग्रामीण भारत की दिशा एवं दशा बदलने के लिए पर्याप्त हैं। वर्तमान समय में प्रवासी मजदूरों का संकट सरकारों के सामने मुँह फैलाए खड़ा है लेकिन राज्यों को इस पैकेज के माध्यम से पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं जिनकी सहायता से राज्य वापस लौटने वाले प्रवासी मजदूरों को सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करा सकते हैं। आवश्यकता है राजनीति से ऊपर उठकर राज्यों को केंद्र के साथ मिलकर कार्य करने की जिससे कोरोना वायरस के इस संकट पर विजय प्राप्त की जाए और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की यात्रा प्रारम्भ हो।
वन्दे मातरम।।