Monday, November 4, 2024
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20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज पूरा गणित।

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ओम द्विवेदी
ओम द्विवेदी
Writer. Part time poet and photographer.

जब भी भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी रात में आठ बजे जनता को सम्बोधित करने के लिए आते हैं, सभी को यह ज्ञात होता है कि किसी बड़े बदलाव की घोषणा होने वाली है। 12 मई को भी यही हुआ। पूरा देश प्रतीक्षा कर रहा था। हालाँकि लोग ये अंदाजा लगा पा रहे थे कि इस बार या तो लॉक डाउन को क्रमशः कम करने की बात की जाएगी या प्रधानमंत्री किसी राहत पैकेज की घोषणा करेंगे लेकिन मोदी जी द्वारा अपने भाषण के 20 मिनट के भीतर इन दोनों की ही चर्चा की गई। मोदी जी ने लॉक डाउन 4.0 की बात की जिसमे एक रणनीति के तहत छूट के प्रावधान होंगे वहीं उन्होंने 20 लाख करोड़ रुपये के विशाल आर्थिक पैकेज का उपहार भी भारत को दिया। यह आर्थिक पैकेज भारत की कुल जीडीपी का 10% है।

लेकिन यह पैकेज अकेला नहीं था। यह अपने साथ लाया भारत के नए भविष्य का महान स्वप्न जो भारत की दिशा और दशा बदलने वाला है। मोदी जी का यह 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज कॉम्बो है, दो लक्ष्यों का। पहला लक्ष्य है वर्तमान में Covid19 से भारत की रक्षा करना, आर्थिक और अन्य प्रकार की व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाए रखना तथा दूसरा लक्ष्य है, भारत को आत्मनिर्भर बनाने का। यह आर्थिक पैकेज इस प्रकार से डिज़ाइन किया गया है कि तात्कालिक रूप से यह कोरोना वायरस के संकट से लड़ने का प्रयास करेगा और दीर्घकालिक समयावधि में भारत के आत्मनिर्भर बनने और विश्व में अग्रणी स्थान अर्जित करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। अपने 30 मिनट के सम्बोधन में प्रधानमंत्री मोदी भारत को एक नया लक्ष्य दे गए हैं। एक ऐसा लक्ष्य जो भारतवर्ष के सामूहिक प्रयासों से ही सफल हो पाएगा। प्रधानमंत्री के सम्बोधन के अगले दिन वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने इस पैकेज के पहले भाग का पूरा विस्तृत वर्णन किया। इस लेख में आर्थिक पैकेज में उल्लेखित उन्ही बिंदुओं का वर्णन किया गया है जो वित्त मंत्री द्वारा प्रेस कांफ्रेंस में पहले दिन बताए गए हैं।

13 मई को पैकेज में सम्मिलित जिन 16 सुधारों की चर्चा की गई है, वो आगे क्रमशः वर्णित हैं।

  1. व्यापार के लिए रु. 3 लाख करोड़ संपार्श्विक (Collateral) मुक्त स्वचालित ऋण, जिनमें एमएसएमई प्रमुख रूप से सम्मिलित हैं। कार्यात्मक दायित्वों के निर्माण, कच्चा माल खरीदने और  व्यापार को पुनः प्रारम्भ करने के लिए इस ऋण की घोषणा की गई है। यह ऋण 4 वर्षों की अवधि के लिए दिया जाएगा जिसमें पहले 12 महीने मूलधन के भुगतान से छूट प्राप्त होगी। इसके अंतर्गत किसी प्रकार की कोई भी गारंटी फीस या संपार्श्विक की आवश्यकता नहीं है। कोरोना वायरस संकट का सबसे ज्यादा प्रभाव व्यापार पर ही हुआ है और इस ऋण योजना से लगभग 45 लाख इकाईयों को लाभ मिलेगा।
  2. तनाव युक्त एमएसएमई के लिए 20000 करोड़ रुपये के अधीनस्थ ऋण की व्यवस्था की जा रही है। इस फैसले से 2 लाख ऐसी एमएसएमई इकाईयों को लाभ मिलेगा जो या तो एनपीए के दायरे में आती हैं या तनाव युक्त हैं किन्तु इनका कार्यरत होना आवश्यक है। इसके लिए सरकार CGTMSE (Credit Guarantee Funds Trust for Micro and Small Enterprises) को 4000 करोड़ रुपये की सहायता देगी। यह एक इक्विटी सपोर्ट आधारित तंत्र है, जिसके अंतर्गत एमएसएमई के प्रमोटर को बैंक द्वारा ऋण प्राप्त होता है जिससे प्रमोटर इक्विटी के रूप में एमएसएमई की सहायता कर सकता है।
  3. कुछ ऐसी एमएसएमई इकाईयां हैं जिनकी संवृद्धि सकारात्मक है और जो आगे बढ़ना चाहती हैं। इस प्रकार की इकाईयों के लिए फंड ऑफ फंड्स तंत्र के माध्यम से 50000 करोड़ रुपये की इक्विटी सपोर्ट की व्यवस्था की जाएगी। फंड ऑफ फंड्स एक ऐसा सामूहिक निवेश फंड है जो अन्य फंड्स में निवेश किया जाता है। इस तंत्र की सहायता से एमएसएमई अपना आकार बढ़ा पाएंगे और साथ ही शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने में सफल हो पाएंगे।
  4.  आवश्यकता है कि इन उपायों का लाभ अधिक से अधिक एमएसएमई इकाईयों को मिल सके इसके लिए एमएसएमई की परिभाषा में परिवर्तन किया गया है। यह परिवर्तन वस्तुओं और सेवाओं, दोनों से जुडी एमएसएमई इकाईयों के लिए मान्य होगा। यह परिभाषा निवेश और वार्षिक टर्नओवर पर आधारित होगी। इस प्रभावपूर्ण परिवर्तन को सफल बनाने के लिए वर्तमान कानूनों में संशोधन होंगे।  
  5. 200 करोड़ रुपये तक के सरकारी खरीद टेंडर में अब विदेशी इकाईयों का प्रवेश वर्जित होगा। इसका परिणाम होगा की भारत की एमएसएमई इकाईयाँ स्वतंत्र रूप से इन टेंडर में भाग ले पाएंगी और साथ ही आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक हो पाएंगी। 
  6. एमएसएमई के लिए किये गए उपरोक्त उपायों के अलावा कुछ अन्य पहलू हैं जिन पर सरकार कार्य कर रही है। वर्तमान कोरोना संकट के कारण एमएसएमई इकाईयां मार्केटिंग और नकदी के संकट से जूझ रही हैं। इसे समाप्त करने के लिए ई-मार्केट और फिनटेक जैसी तकनीकि का उपयोग किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त एमएसएमई इकाईयों को 45 दिन के भीतर सरकार एवं केंद्रीय प्रतिष्ठानों से प्राप्त होने वाली देय राशि का भी भुगतान किया जाना है। इसे व्यापार इकाईयों की मार्केटिंग की समस्या का भी समाधान होगा और नकदी प्रवाह में भी वृद्धि होगी।
  7. गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं/हाऊसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन/माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं के लिए 30000 करोड़ रुपये की सहायता वाली स्पेशल लिक्विडिटी योजना प्रारम्भ की जाएगी। इस योजना के द्वारा प्राथमिक एवं द्वितीयक बाजार भुगतान में निवेश किया जाएगा। इसके अंतर्गत दी जाने वाली गारंटी सरकार वहन करेगी। इस योजना का उद्देश्य बाजार में पर्याप्त मुद्रा उपलब्धता बनाए रखना है।
  8. कम रेटिंग वाली गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं/हाऊसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन/माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं को कवर करने के लिए वर्तमान में कार्यरत आंशिक ऋण गारंटी योजना में संशोधन किया जाएगा। इसके लिए 45000 करोड़ रुपये के सहयोग का प्रावधान किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत देनदारी के बाद पहले 20% घाटे का वहन सरकार करेगी। इससे कमजोर प्रदर्शन करने वाली संस्थाओं को भी वित्तीय और लिक्विडिटी सहायता प्राप्त होगी।
  9. ऊर्जा क्षेत्र में Covid19 के कारण आये संकट से निपटने के लिए विद्युत् उत्पादन और वितरण कंपनियों को लगभग 90000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा। यह भुगतान पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन द्वारा किया जाएगा। राज्य की गारंटी के आधार पर यह ऋण दिया जाएगा। इससे ऊर्जा क्षेत्र में किसी भी प्रकार की आने वाली समस्या के समाधान के उपाय किये जा सकेंगे। 
  10.  रेलवे, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और सीपीडब्ल्यूडी जैसी सभी केंद्रीय एजेंसियां, ठेकेदारों को अनुबंधात्मक दायित्वों को पूरा करने के लिए 6 महीने का अतिरिक्त समय देंगी। इसके अंतर्गत कार्य की पूर्णता, मध्यावधि लक्ष्य एवं पीपीपी से सम्बंधित कार्यों के दायित्व सम्मिलित हैं। ये सरकारी एजेंसियां इन ठेकेदारों को आंशिक रूप से गारंटी से मुक्त कर सकती हैं जिससे मुद्रा उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके, किन्तु छूट ठेकेदारों के द्वारा पूरे किये गए कार्य के अनुपात में होगी।  
  11.  कोरोना वायरस के इस अप्रत्याशित संकट के कारण सबसे चिंताजनक प्रभाव रियल एस्टेट क्षेत्र पर हुआ है। यह रोजगार प्रदायी क्षेत्र है अतः इसे संकट से बाहर निकालने के पूरे प्रयास करने होंगे। इसके लिए आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सलाह दी है कि वे अपने नियामक प्राधिकरणों को रक्षात्मक उपाय करने के लिए कहें। जिनमें Covid19 को एक भीषण प्राकृतिक आपदा के रूप में सूचित करना और पंजीकरण तथा सम्पूर्णता तिथि को 6 महीने आगे बढ़ाया जाना सम्मिलित है। राज्य अपनी स्थानीय परिस्थियों अनुसार इस तिथि को 3 और महीनों तक बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा ये उपाय बिना किसी आवेदन के स्व-संज्ञान से किये जाने चाहिए।
  12.  प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के अंतर्गत सरकार नियोक्ता और कर्मचारी दोनों की ओर से ईपीएफ खातों में 12% का योगदान कर रही है। यह प्रारम्भ में मार्च, अप्रैल और मई के लिए लागू था किन्तु अब इसे जून, जुलाई और अगस्त महीने के वेतन के लिए भी बढ़ा दिया गया है। इसके द्वारा 2500 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी उत्पन्न होगी जिससे 3.67 नियोक्ता और लगभग 72.22 लाख कर्मचारी लाभान्वित होंगे।
  13.  प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के लिए पात्र न होने वाले नियोक्ताओं और कर्मचारियों के लिए ईपीएफ खातों में योगदान को 12% से घटाकर 10% किया गया है। यह परिवर्तन अगले 3 महीनों के लिए किया गया है। इसके द्वारा ईपीएफओ के लगभग 6.5 लाख नियोक्ता और 4.3 करोड़ कर्मचारियों को 6750 करोड़ रुपये का लाभ प्राप्त होगा।
  14.  स्त्रोत पर कर कटौती (TDS) तथा स्त्रोत पर संग्रहित कर (TCS) की दर में 25% की कमी की गई है। इन भुगतानों में व्यावसायिक फीस, ब्याज, किराया, लाभांश तथा अनुबंध सम्मिलित है। दरों में यह कटौती वित्तीय वर्ष 2020-21 के बाकि बचे हुए भाग के लिए अर्थात मार्च 2021 तक प्रभावी रहेगी। इससे 50000 करोड़ रुपये की तरलता उपलब्ध होगी।
  15.  धर्मार्थ ट्रस्टों एवं गैर-कॉरपोरेट व्यवसायों और प्रोपराइटरशिप, साझेदारी एवं एलएलपी सहित पेशों तथा सहकारी समितियों को लंबित आयकर रिफंड तुरंत जारी किए जाएंगे। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए आयकर भरने की अंतिम तिथि को 31 जुलाई 2020 और 31 अक्टूबर 2020 से बढ़ाकर 30 नवम्बर 2020 तक कर दिया गया है। टैक्स ऑडिट की अंतिम तिथि को 30 सितम्बर 2020 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2020 किया गया है।  
  16.  “विवाद से विश्वास” योजना के तहत अतिरिक्त राशि के बिना ही भुगतान करने की तारीख को 31 दिसंबर, 2020 तक बढ़ा दिया जाएगा।

हालाँकि पहले चरण में घोषित किये गए ये सुधार उपाय अपने आप में प्रभावी सिद्ध हो सकते हैं। एमएसएमई के उत्थान एवं वृद्धि के लिए जो निर्णय लिए गए हैं उनका प्रभाव आगामी भविष्य में देखने को मिलेगा। आत्मनिर्भर भारत अभियान के पहले चरण में जिस प्रकार सूक्ष्म, लघु, मध्यम और गृह उद्योगों के पुनर्निर्माण की रूपरेखा तैयार की गई है वह सराहनीय है। आत्म निर्भर भारत की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि अब ग्रामीण विकास, विशेषकर कृषि पर किस प्रकार कार्य होता है। बिना आत्म निर्भर गाँवों के आत्म निर्भर भारत का स्वप्न छलावा ही होगा। ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कुछ नीतिगत परिवर्तन करने होंगे। हालाँकि वर्तमान सरकार नीतिगत परिवर्तन करने से कभी भी पीछे नहीं रही। ऐसे में देखना होगा कि इन आर्थिक सुधार कार्यक्रमों और राहत पैकेज के दूसरे चरण में सरकार किस प्रकार के परिवर्तन लेकर आती है। 

स्त्रोत : PIB

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