Tuesday, November 5, 2024
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क्या कोरोना का फैलना एक संयोग है या फिर एक प्रयोग?

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Alok Choudhary
Alok Choudhary
Columnist | Writes on Politics, Society, education | Nation first

प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ महीनों पहले दिल्ली के एक चुनावी सभा मे संयोग और प्रयोग की बातें कही थी। हालांकि ये बीती हुई बात चुनावी परिपेक्ष में कही गई थी। अब यही बात लोग वैश्विक परिपेक्ष में पूछ रहे है और वो भी एक ऐसे समय जब पूरा विश्व कोरोना महामारी से संघर्ष कर रहा हैं।

भारत समेत दुनिया के कई बड़े देश आज लोकडौन है। हर दिन इस बीमारी के कारण हजारों लोग मारे जा रहे हैं। 20,000 से ज्यादा लोग पूरे विश्व मे इस वायरस से जान गवा चुके है। इटली और अमेरिका जैसे देशों में हालात नियंत्रण के बाहर जा चुका है। भारत मे भी इसका संक्रमण प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और ख़तरे की आहट यहाँ भी गूंज रही हैं।

इन सबके बीच बड़ा सवाल जो अब सामने आ रहे है वो यह हैं की इस वायरस को वैश्विक महामारी बनाने में कोई प्रयोग हुआ है? प्रश्न चीन से पूछा जा रहा है जहाँ इस वायरस की शुरुआत हुई थी।

पिछले वर्ष नवंबर 2019 को कोरोना वायरस का पहला मामला चीन के वुहान शहर में सामने आया था और दिसंबर के अंत तक ये मामला सैंकड़ो तक पहुँच गया। लेकिन इसके बाद भी 30 दिसंबर तक चीन ने इस वायरस के बारे के दुनिया को जानकारी नही दी।

इसकी जानकारी 31 दिसंबर को चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को दी और चीन ने आस्वस्थ किया की वो इस वायरस को रोक लेंगे। हालांकि आज की परिस्थितियों से पूरा विश्व परिचित है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 1 जनवरी 2020 को 1 लाख 75 हज़ार लोग वुहान शहर से अपने गांव और शहरों के तरफ़ लौटे। ये उस समय हो रहा था जब चीन में इस वायरस के सैकड़ो मामले आ चुके थे। चीन ने वुहान शहर को लॉक और वहाँ के यातायात को 23 जनवरी को प्रतिबंधित किया गया लेकिन तब तक 70 लाख से भी ज्यादा लोग वुहान शहर से गुजर चुके थे औऱ हजारो की संख्या में लोग इस वायरस से संक्रमित होते गए। लेक़िन तब भी चीन के द्वारा अंतरराष्ट्रीय उड़ानो को नही रोका गया और लोग चीन से दूसरे देश जाते रहे और दूसरे देशों से लोग आते रहे। ये लोग जिन्होंने चीन से बाहर दूसरे देशों की यात्रा की, इन्होंने वायरस का संक्रमण दूसरे देशों में भी फैलाया।

जनवरी के महीने में कई सारे देशों में कोरोना के मामले सामने आने लगे लेकिन चीन ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानो पर प्रतिबंध जनवरी के अंत मे यानी कि जनवरी 31 को लगाया। यहाँ तक कि जिन डॉक्टरों ने सबसे पहले इस वायरस के बारे में चीन को बताया उन्हें चीन ने अफवाह फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया और अंत मे उन डॉक्टर में से एक कि मौत कोरोना से ही हो जाती है।

यहाँ तक कि जब फिलीपींस ने जब चीन के यात्रियों पर वायरस के संक्रमण के डर से प्रतिबंध लगाया तो नाराज होकर फिलीपींस में चीन के राजदूत ने यह धमकी की अगर यात्रियों के आने पर बैन को नही हटाया गया तो चीन फिलिपींस से व्यावरिक निर्यात पर रोक लगा देगा। जब कई देशों ने संयुक्त राष्ट्र परिषद में कोरोना वायरस पर चर्चा की मांग की है, ऐसे में चीन ये चर्चा होने नही दे रहा है क्योंकि चीन इस विषय को चर्चा लायक नही मानता है। यहाँ आपके लिए जानना जरूरी है कि इस समय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता चीन के पास है। ये बात अचंभित करती है कि चीन आज दुनिया के लिए खतरा बन चुका कोरोना वायरस को सुरक्षा के लिए ख़तरा नही मान रहा है। जबकि 2014 में इबोला वायरस को संयुक्त राष्ट्र परिषद ने ख़तरा मानते हुए रेजॉलूशन भी पास किया था।

चीन में जनजीवन अब वापस से पटरी पर लौट रहा है और चीन अब कई देशों को मेडिकल सहायता कर रहा है जो निश्चित तौर पर आर्थिक मुनाफा का भी एक सुनहरा मौका है। हालाँकि कई देश इस महामारी के त्रासदी को झेल रहे है जो रुकने का नाम नही ले रही है। इस बात की स्पष्टता सिर्फ समय ही करेगा कि चीन का कोरोना को लेकर रवैया सिर्फ एक संयोग है यो फिर एक प्रयोग है।

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