चीन के वुहान से शुरू हुआ COVID-2019 वायरस विश्व में 20000 से ज्यादा जानें ले चुका है, और ये आंकड़ा अभी रुकता हुआ नहीं नज़र आ रहा। बात करें अगर भारत की तो विश्व की लगभग 18% जनसंख्या यहाँ रहती है। विगत 3 महीने में अगर चीन के हालात देखे जाएं तो भारत के सन्दर्भ में ये कहना गलत नहीं होगा कि हम बारूद के ढेर पर मशाल लेकर खड़े हैं। अगर समय रहते इस आग को न बुझाया गया तो हमारे पास इटली, स्पेन और अमेरिका जैसे कई उदाहरण हैं।
त्वरित निर्णय की क्षमता का परिचय देते हुए भारत सरकार पहले से ही अलर्ट थी। समयानुसार आवश्यक निर्णय जैसे एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग, आइसोलेशन एडवाइजरी और लॉकडाउन का परिणाम ये है की आज हम ऐसी स्थिति में हैं जहाँ से इस महामारी पर नियंत्रण किया जा सकता है। इसके साथ ही हमारे पास पर्याप्त स्वास्थ्य संसाधन उपलब्ध हैं। इसके बावजूद मीडिया का कुछ वर्ग जनता को लचर स्वास्थ्य व्यवस्था का डर दिखाकर अपनी एजेंडाबाजी में लगा हुआ है।
प्रधानमंत्री द्वारा अपने सम्बोधन में 22 मार्च के लिए एक जनता कर्फ्यू की अपील की गई थी। ये जनता कर्फ्यू आगामी लॉकडाउन की परिस्थिति का पूर्वावलोकन था। इसके साथ ही डॉक्टर, पुलिस, सफाईकर्मी तथा अन्य लोग जो इस महामारी से देश को बचाने में दिन रात लगे हुए हैं, उनका ताली बजाकर या शंखनाद के माध्यम से अभिवादन करने का उपाय भी प्रधानमंत्री ने बताया। आदत के अनुसार लेफ्ट लिबरल जमात ने अपनी प्रोपेगेंडा की दुकान खोल ली कि ताली या थाली बजाना कोरोना का इलाज नहीं है, ये सरकार क्या मूर्खता कर रही है। लेकिन शाम 5 बजे भारत की जनता ने बता दिया की वो इस लड़ाई में सरकार के साथ पूरी ईमानदारी और मजबूती के साथ खड़ी है।
हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यह चिंताजनक विषय तो है ही पर साथ में इसके स्टेज-3 में आने का भी खतरा है। स्टेज-3 यानि ‘कम्युनिटी ट्रांसमिशन’ जोकि नियंत्रण के लगभग बाहर ही होती है। इसी की संभावना को देखते हुए भारत में सम्पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी गयी जोकि एकमात्र उपाय है इसे फैलने से रोकने के लिए।
स्वास्थ्य मंत्रालय और विशेषज्ञो द्वारा लगातार चेतावनी के बावजूद कुछ लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। सख्ती के बाद भी लोग अनावश्यक बाहर निकलने से बाज नहीं आ रहे। सोशल मीडिया में बिना सत्यता और वैधता की अफवाहें बह रही हैं। कोरोना को लेकर काफी जोक्स भी बन रहे हैं, जिसमे कुछ गलत नहीं है लेकिन इसे गंभीरता से न लेने की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
यह एक ऐसी जंग है जो सिर्फ घर पर बैठकर और सोशल डिस्टैन्सिंग से ही जीती जा सकती है। हमें ये 21 दिन स्वयं को व अपने परिवार को ही देने हैं तथा सरकार का पूरा सहयोग करना है। स्वास्थ्य मंत्रालय और डॉक्टर्स के द्वारा निरंतर उपाय बताये जा रहे हैं जिनका हमें पालन करना है। निश्चित रूप से भारत इस आपदा पर नियंत्रण कर पुनः एक बार अपने वैश्विक नेतृत्व की अतुल्य क्षमता का परिचय देगा।
-Prashant Bajpai