वर्तमान समय में भारत सहित विश्व के अधिकांश देश आतंकवाद से ग्रसित है, जिनमे इस्लामिक आतंकवाद की भूमिका महत्वपूर्ण है। ऐसी स्थिति में प्रश्न यह उठता है कि ऐसा क्या कारण है की आतंकवाद से इस्लाम धर्म का लगाव बढ़ता गया?
इसके उत्तर निम्नलिखित टिप्पणियोंमें मिल सकते है, जैसे-
1- इस्लाम धर्म की सामी प्रवृत्ति होना, अर्थात इस्लाम धर्म एक धार्मिक किताब क़ुरान, एक मात्र ईश्वर अर्थात अल्लाह और एक मात्र धर्म इस्लाम की मान्यता पर बल देता है, जिससे अन्य धर्मो के साथ उसकी सहिष्णुता कम हो जाती है।
2- इस्लाम और ईसाईयत के बीच सैंकड़ो सालो से चले आ रहे धर्मयुद्ध के कारण वर्तमान में इस्लामिक शक्तियों से ज्यादा प्रभुत्व ईसाई शक्तियों का है जिससे इस्लाम को मानने वाले हीन भावना से ग्रसित हो कर ईसाईयो के प्रति शत्रुतापूर्ण आचरण अपनाते है। 9/11 का हमला और अमेरिका इस्त्राएल जैसे देशो का मुसलमानों द्वारा विरोध इसका एक उदाहरण है।
3- विश्व में जितनी कट्टरता इस्लाम धर्म में है उतनी शायद ही किसी अन्य धर्म में होगी, जिसके कारण मुसलमानों की मानसिकता रूढ़िवादी हो जाती है और वो स्वहित या राष्ट्रहित से पहले अपने धर्म के हित को रखते है।
4- इस्लाम धर्म की व्याख्या को इतना ज्यादा विकृत किया गया है की, हर छोटे- छोटे मामलो में तर्कविहीन फतवा जारी कर दिया जाता है जिनका वर्तमान समय और परिस्थिति से कुछ भी लेना देना नही होता और इसका अंधाधुंध अनुसरण भी किया जाता है।
5- अंतराष्ट्रीय स्तर पर देखे तो वर्तमान समय में अधिकांश इस्लामिक राष्ट्र विभिन्न मोर्चो पर असफल रहे जिसके कारण भुखमरी, गरीबी और नृजातीय हिंसा जैसे नकारात्मक परिणाम इनकी धार्मिक कुंठा को और बढ़ा देती है, जिससे इन्हें हिंसा करना ही सबसे सरल मार्ग लगता है जो आतंकवाद को प्रेरित करता है। इसी आतंकवाद की ये मार्केटिंग भी करते है, पाकिस्तान इसका एक आदर्श उदाहरण है।
6- इस्लामी राष्ट्रों को फलीस्तीन की पीड़ा सर्वाधिक रहती है। जिसके आधार पर ही वो अन्य देशो से अपने संबंधों का निर्धारण करते है और हर उस देश या व्यक्ति का प्रत्यक्ष और हिंसक विरोध करते है जो फिलिस्तीन के मुद्दे पर उनके साथ न हो कर इस्राएल के साथ होते है।
7- वर्तमान समय में देखा जाए तो अधिकांश इस्लामिक देशो में लोकतंत्र का अभाव है और अगर लोकतंत्र है भी तो नाम मात्र का है, जिससे इन देशो की नीतियां कल्याणपरक ना होंकर धार्मिक एजेंडो को बढ़ावा देने वाली होती है और इसका प्रभाव वहाँ के निवासियों पर पड़ता है, जिससे वो धार्मिक अंधता के शिकार हो जाते है।
8- विश्व के अधिकांश इस्लामिक देशो में नशीले ड्रग्स का उत्पादन क्षेत्र मिलता है, जिससे ये राष्ट्र धन कमाने के साथ ही उस धन से आतंकवादियों का वित्त पोषण भी करते है साथ ही उन राष्ट्रों में ड्रग्स की तस्करी भी करवाते है जिनसे उनके संबंध अच्छे नही होते, इस प्रकार ये नारकोटिक्स आतंकवाद को भी प्रायोजित करते है।
9- इस्लामिक देशो में तेल के कुंए अमेरिका को इस क्षेत्र की तरफ आकर्षित करते है, साथ ही इस्लामिक राष्ट्रों के बीच विवादों को बढ़ा कर रूस और अमेरिका दोनों अपने हथियारों की बिक्री को बढ़ाने की नीतियां अपनाते है, जिससे इन देशो में कट्टरता बढ़ती है साथ ही हथियारों की आपूर्ति से हिंसक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलता है।
उपरोक्त टिप्पणियों को देखने के बाद दूसरा प्रश्न ये उठता है कि भारत में इस्लामिक आतंकवाद क्यो देखने को मिलता है?? इसके कारण है-
1- भारत में आधुनिक राजनीति के समय से ही तुष्टिकरण और ध्रुवीकरण के प्रयोग से मुसलमानों को डराया जाता रहा है, जिससे उनकी मानसिकता में गैर-इस्लामियो के प्रति नफरत की भावना पैदा हुई, जिसका उदगार समय-समय पर होने वाले दंगो के रूप में देखा जा सकता है।
2- भारतीय समाज में विभाजन को एक त्रासदी के रूप में देखा जाता है। विभाजन के समय ट्रैन में गैर मुसलमानों की लाशो को भर कर आने का दृश्य हो या विभाजन के लिए जिन्ना का “डायरेक्ट एक्शन डे” या नौअखली के दंगे हो, इन सबने गैर मुसलमानों में मुसलमानों के प्रति नफरत और भय का माहौल बनाया जिससे मुसलमानों का विभिन्न स्तरों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बहिष्कार होने लगा, जिससे बचे हुए भारतीय मुसलमानों में गैर इस्लामी लोगो के प्रति नफरत की भावना और भी बढ़ती गयी।
3- मुसलमानों का ब्रेनवाश करने के लिए दुष्प्रचार का सहारा भी लिया गया, वस्तुतः गोधरा कांड और उसके बाद हुए दंगो में मुसलमानों को अत्यधिक पीड़ित दिखाया गया और उनके मन में नफरत भरी गयी। इसी तरह कश्मीर में होने वाले सैन्य गतिविधियों को मुसलमानों पर अत्याचार के रूप में दिखाया गया जिससे मुसलमानों के मन में भारत विरोधी भावनाये बढ़ने लगी।
4- विश्व में पाकिस्तान ही एकमात्र ऐसा इस्लामिक देश है जिसके पास परमाणु हथियार है और वह इसी के आधार पर खुद को इस्लामिक देशो का नेता मानता है तथा पाकिस्तान भारत को अपना शत्रु भी मानता है जिससे अन्य इस्लामिक राष्ट्र या संगठन भारत के खिलाफ खड़े दिखाई देते है और भारत में रहने वाले मुसलमानों को भारत के खिलाफ भड़काते है।
5- दुनिया में सर्वाधिक गैर मुस्लिम भारत में ही पाए जाते है अतः इन्हें मुसलमान बनाने की “गजवा-ए-हिन्द” की भावना भी इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ावा देती है।
6- भारत में जनसंख्या में अधिक होने के कारण आर्थिक और सामाजिक रूप से सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग मुसलमानों का है, इसलिए इनका ब्रेनवाश करना आसान होता है।
इसके बाद हमारे मन में प्रश्न ये उठता है कि भारत में इस्लामिक आतंकवाद क्यो ‘नही’ होना चाहिए? क्योकि –
1- विश्व में भारत ऐसा देश है जिसमे मुसलमानों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी पाई जाती है, इसलिए उन सभी भारत विरोधी मुस्लिम राष्ट्रों को भारत का विरोध करने से पहले इस तथ्य को ध्यान में रखना चाहिए कि उनकी भारत विरोधी नीतियों का प्रभाव सिर्फ हिन्दू या अन्य गैर इस्लामी लोगो पर ही नही पड़ेगा बल्कि एक बड़ी संख्या में मुसलमान भी इससे प्रभावित होंगे।
2- भारत के संविधान में स्पष्ट लिखा है की भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है और अल्पसंख्यको को समान अधिकार और मूल अधिकार स्पष्ट रूप से प्राप्त है, जैसा कि पाकिस्तान जैसे देशो में देखने को भी नही मिलता।
3- अन्य मुस्लिम राष्ट्रों के मुसलमानों या अल्पसंख्यको की सामाजिक और आर्थिक स्थिति अपेक्षाकृत भारतीय मुसलमानों से भी बेकार है।
4- भारतीय संस्कृति और सभ्यता में “सर्व धर्म समभाव” के गुण मिलते है और इसको हम प्रत्यक्ष रूप से अपने आस-पास भी देख सकते है। उर्दू भाषा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है जो भारतीय और इस्लामिक भाषा को एक साथ प्रस्तुत करता है।