आज कल आप देख रहे हैं हर जगह विद्रोह चल रहा है और लोग एक दूसरे को गलत कदम उठाने को उकसा रहा हैं।आपको पता है इन सब के पीछे किसकी गलती हैं?
इन सब के पीछे गलती हैं बच्चों के मातापिता के परवरिश की, हमारे शिक्षा के पद्धति की और कुछ गलती हैं हमारे आज कल के अपने आपको उच्च शिक्षित समझने वाले बुद्धिजीवियों की।
क्या ये भारत का सपना किसने भूतकाल में देखा था? क्या आपने कभी सोचा था कि भारत के टुकड़े करने वाले छात्रों का सपना पूरा कर देने के लिए पड़ोसी देश नहीं पर अपने लोग ही समर्थन देंगे?
ये हम रास्ता भटक गए हैं या हमें जानबूझ कर रास्ता भटकने कुछ लोग ले जा रहे हैं?
2014 मोदी जी के प्रधानमंत्री बनते ही मानो खुशी की लहर छा गई। 70% भारतीयों में पर कुछ ऐसे तत्व थे और आज भी हैं जिनको ये नामंजूर था, बहुत सारी बार उन तत्वों के द्वारा देश में गृहयुद्ध फैलाने की कोशिश की गई ताकि मोदी जी पर विश्वभर से कीचड़ उछले परन्तु हर बार वो नाकामयाब रहे। और यूँ चलते चलते मोदी जी ने 2019 का इलेक्शन भी जीत लिया, यूँ मानो की वो तत्वों में बोखलाहट सी आ गई थी कि अब मोदी जी को रोके केसे। और मोदी जी ने आते ही अपने सारे वादे पूरे कर दिए कुछ ही महीनों में। परन्तु CAB मे उन हारे हुए तत्वों मे मानो जान आ गई और लोगो को भटकाने का नाम शुरू कर दिया, कुछ वर्गों के लोगो में इतना जहर भर दिया कि आने वाले कहीं साल निकल जाएंगे उन जहर को दिमाग से बाहर निकालने के लिए।
कुछ छात्र भारत तोड़ने के मिशन पे लगे हुए हैं और आश्चर्य कि बात तो ये हैं कि कुछ राजनैतिक पार्टियां भी उनको साथ दे रही हैं, इसका मतलब साफ हैं कि या तो इनको हिंदुस्तान से नफ़रत हैं या फिर वो लोग कुछ पैसों के मकसद से भारत तोड़ने कि बात कर रहे हैं।
सवाल ये भी खड़ा होता हैं कि ये नफ़रत आई कहाँ से?
किसने ऐसी शिक्षा दी कि ये लोग भारत तोड़ने तक तैयार हो गए?
आज भी भारत में कुछ ऐसे परिवार हैं जो खाते तो भारत का हैं पर गुण कहीं और का गाते हैं, और यही संस्कार उनके आने वाली पीढ़ियों में आना शुरू हो गया हैं। और अब ये जहर सड़को पर देखने मिल रहा हैं, हमारे इतिहास दुनिया के सारे इतिहास से महान और बड़ा हैं। पर आपने कुछ मुगलों और गांधी की ही तारीफ़ सुनी हैं अबतक। क्यों की ज्यादा तर स्कूली की किताबों में उनके किस्से ही लिखे गए हैं और लिखने वाले आपको और मुझे दोनों को मालूम हैं।
क्यों कोई किस्सा भारत में हो चुकी क्रांतियों के बारे में नहीं ताकि आने वाली पीढ़ियां गांधीजी के सत्याग्रह के साथ साथ आम इंसानों की क्रांति से भी प्रेरित हो सके? हमारे लोग विश्व की बड़ी बड़ी कंपनियों में CEO हैं, क्यों भारत के पास 4 या 5 कंपनी छोड़ के विश्वस्तरीय कंपनी नहीं?
परिवार में नई सोच, शिक्षा में नए विषय और नए बुद्धजीवियों की जरूरत हैं भारत को। ताकि हम आने वाले कल को भारत और भारत में रहने वाले लोगों का बना सके ना कि सिर्फ ये एक परिवार का भारत हो कर रह जाए।